नई दिल्ली, 13 फरवरी: नारी शक्ति की प्रतीक, स्वतंत्रता सेनानी और महान कवयित्री सरोजिनी नायडू की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन। उनके अतुलनीय योगदान को सम्मान देने के लिए हर वर्ष 13 फरवरी को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तिकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दोहराने का अवसर प्रदान करता है।
सरोजिनी नायडू केवल स्वतंत्रता संग्राम की योद्धा नहीं थीं, बल्कि भारतीय नारी शक्ति की बुलंद आवाज भी थीं। अपनी ओजस्वी कविताओं, राष्ट्रभक्ति और समाज सुधार के विचारों के माध्यम से उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और समानता के लिए संघर्ष किया। उन्हें “भारत कोकिला” (Nightingale of India) की उपाधि दी गई, क्योंकि उनके विचारों में ऊर्जा, जागरूकता और प्रेरणा का अद्भुत संगम था। वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं और स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव प्राप्त किया। उनके योगदान ने महिलाओं को राजनीति, साहित्य और समाज सुधार के क्षेत्र में आगे बढ़ने की राह दिखाई।
आज जब हम राष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं, यह विचारणीय है कि क्या वास्तव में महिलाएं पूरी तरह स्वतंत्र हैं। देश में महिलाओं की सुरक्षा और समानता को लेकर कई कानून बनाए गए हैं, लेकिन क्या वे अपनी वास्तविक स्वतंत्रता और हक प्राप्त कर पाई हैं? क्या बेटियों को बेटों के समान अवसर मिल रहे हैं? क्या महिलाएं हर स्थान पर सुरक्षित महसूस करती हैं? क्या समाज की मानसिकता महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है?
आज भी महिलाएं भेदभाव, असमानता, शोषण और हिंसा की शिकार होती हैं। सिर्फ कानूनों का निर्माण पर्याप्त नहीं है, बल्कि समाज की मानसिकता में बदलाव लाना आवश्यक है। जब तक महिलाओं को समानता का दर्जा नहीं मिलेगा, तब तक समाज और राष्ट्र पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो सकते। महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर त्वरित न्याय सुनिश्चित करने, उनकी शिक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने, और उन्हें सिर्फ सम्मान ही नहीं, बल्कि निर्णय लेने का अधिकार देने की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय महिला दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि संकल्प लेने का अवसर है। यह दिवस हमें सरोजिनी नायडू के संघर्ष और विचारों को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है। आज हम सभी को यह प्रण लेना चाहिए कि हर महिला के लिए एक सुरक्षित, समान और सशक्त समाज बनाने की दिशा में सार्थक प्रयास करेंगे। जब नारी सशक्त होगी, तभी राष्ट्र सशक्त होगा।