मोंगरा हो हल्ला करेइय्या फूल आय. मोटी जइसने येकर कली रोज बिहनिया-बिहनिया बोरी मं भर के मदुरई के मट्टुतवानी बजार मं हबर जाथें. कली मन ला प्लास्टिक पनपनी मं उड़ेलत लोगन मन नरियावत हवंय, “आगू बढ़व, आगू बढ़व.” बेपारी ये कोंवर फूल मन ला हल्का हाथ ले लोहा के तराजू मं तऊलथें अऊ एक-एक किलो ला झिल्ली मं भरके ग्राहेक मन ला बेंचे सेती रखत जावत हवंय. कऊनो येकर दान पूछत दिखथे, त कऊनो नरियावत दाम बतावत रहिथे, प्लास्टिक पनपनी ऊपर गंदा–ओद्दा गोड़ के दाग, जुन्ना बासी फूल के लगे ढेरी, खरीदी-बिक्री के हिसाब रखेइय्या दलाल, तेज नजर, एक ठन कापी मं हड़बड़ी मं लिखे गे हिसाब, अऊ येकर मंझा मं ककरो के ऊंच अवाज, “मोला घलो एक किलो फूल चाही...”

माईलोगन मन बढ़िया बढ़िया फूल बिसोय मं लगे रहिन. वो मं मुट्ठा मं धरथें अऊ वो ला परखत अपन अंगुली ले गिरा देथें. मोंगरा बरसात जइसने गिरत जाथे. एक झिन फूल बेचेइय्या महतारी एक ठन गुलाब अऊ गेंदा के फूल ला धियान ले जोरथे, ओकर दांत मं हेयरपिन दबे हवय. जेन मं दूनो फूल ला लगा के  वो ह  अपन जुड़ा मं लगा लेथे. वो ह मोंगरा, गुलाब, गेंदा के रंग ले सजे टुकना ला उठाथे, अऊ मुड़ मं बोह के, भीड़ भरे बजार ले बहिर निकर जाथे.

सड़क के कोनहा मं, एक ठन छाता के छांव मं, वो ह फूल मन ला गिनथे अऊ नग के हिसाब ले बेंचथे- मोंगरा के कली हरियर सुत मं दूनो डहर बंधाय हवंय, बहिर डहर, पंखुड़ी के भीतर ले बगरत महक. अऊ जब ये ह खिल जाथे – जुड़ा मं, कार के भीतरी मं, भगवान के फोटू ऊपर लगे खीला मं – महकत अपन नांव ला बताथे: मदुरई मल्ली.

पारी ह तीन बछर मं तीन बेर मट्टुथवानी बजार गे रहिस. सितंबर 2021 मं भगवान गणेश के जनम दिन, विनायक चतुर्थी ले चार दिन पहिली पहिली बेर जाय बखत, फूल के बेपार मं भारी मारामारी रहिस. ये ह मट्टुथवानी बस टेसन के पाछू मं रहिस, जिहां वो बखत कोविड रोक के सेती बजार ला कुछु बखत दूसर जगा लगाय गे रहिस. येकर मकसद सोशल डिस्टेंसिंग रहिस. फेर ओकर बाद घलो थोकन मारामारी रहिस.

मोर क्लास लेगे के पहिली, मदुरई फ्लावर मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष ह अपन नांव ला बताथें: मंय पूकडई रामचंद्रन अंव. अऊ ये ह “फूल बजार मं लहरावत हवय, ये ह मोर यूनिवर्सिटी आय.”

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फूल बजार मं मदुरई मल्ली ले भरे बोरी ला खाली करत किसान. कली के खिले के पहिली बेचे ला चाही

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चिल्हर बेचेइय्या, अधिकतर कोचनिन, कमती मोंगरा बिसोवत रहिन. वो मन ये फूल मन ला एके संग धागा मं बांध के लड़ी बना के बेंचहीं

63 बछर के रामचंद्रन 50 बछर ले जियादा बखत ले मोंगरा के कारोबार मं हवंय. वो ह येला तब सुरु करे रहिस जब वो ह मुस्किल ले किसोर उमर के रहिस. वो ह कहिथें, “मोर परिवार के तीन पीढ़ी ये कारोबार मं हवंय.” येकरे सेती अपन आप ला पूकडई कहिथें, जेकर तमिल मं मतलब होथे फूल बजार, रामचन्द्रन ह मोला हंसत कहिथे. “मंय अपन बूता ले मया करथों, ओकर मन सम्मान करथों, ओकर पूजा करथों. मंय येकर ले सब्बो कुछु हासिल करे हवंव, इहाँ तक ले के मोर पहिरे कपड़ा घलो. अऊ मंय चाहथों के हरेक कऊनो- किसान अऊ बेपारी फले- फूले.”

वइसे ये ह अतक असान नो हे. मोंगरा के बेपार मं दाम अऊ उपज के अस्थिर होय के सेती ये हमेशा संभव नई होवय. अतकेच नई, येकर उपज मं पानी पलोय, लागत के दाम, संदेहा बरसात अऊ मजूर के कमी जइसने कतको दिक्कत ले घलो निपटे ला परथे.

कोविड-19 लॉकडाउन भयंकर बिपत बन गीस. एक गैर जरूरी उपज माने जवेइय्या मोंगरा के कारोबार उपर असर परिस, जेकर ले किसान अऊ दलाल मन के ऊपर भारी असर परिस. कतको किसान फूल ला छोड़ के साग-भाजी धन दार वाले उपज के खेती करे लगीन’

फेर रामचंद्रन जोर देके कहिथें के येकर समाधान हवय. वो ह एके संग कतको बूता ऊपर नजर रखे मं माहिर हवय, वो ह किसान अऊ ओकर उपज, खरीददार अऊ माला बनेइय्या मन के ऊपर नजर रखथे, अऊ कभू-कभू कऊनो घलो ढेरियावत लोगन मन ला ‘देई’ (हे) कहिके नरियाथे. मोंगरा (जैसमिन सैम्बैक) के उपज अऊ चिल्लर अऊ थोक बेपार बढ़ाय बर ओकर उपाय नियम ले बंधे हवंय, जेन मं मदुरई मं सरकार डहर ले चलेइय्या एक ठन इतर कारखाना ले मेल मिलाप करत रहय अऊ बिन बाधा इतर के आयत ला तय करे ह प्रमुख आय.

वो ह उछाह ले कहिथें. “गर हमन अइसने करथन, त  “मदुरई मल्ली मनगढा मल्लिया इरुकुम (मदुरई के मल्ली कभू घलो अपन चमक नई गंवाही).” एक चमक जऊन ह सिरिफ फूल के चमक ले कहूँ जियादा हवय अऊ समृद्धि के आरो देथे. रामचंद्रन ये बात ला कतको बेर दुहराथें. मानो वो ह अपन पसंद के फूल सेती अंजोर ले भरे अगम ला दिखावत होवंय.

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डेरी: मदुरई फ्लावर मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष पुकडई रामचंद्रन 50 बछर ले जियादा बखत ले मोंगरा के कारोबार मं हवंय. जउनि: मोंगरा के कली ला इलेक्ट्रॉनिक  अऊ लोहा तराजू ले तऊले जाथे अऊ चिल्लर लेवाल मन ला पेकेट मं भरे जाथे

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मदुरई मं, मोंगरा के दाम येकर किसिम अऊ दरजा के अधार ले अलग-अलग होथें

बिहनिया-बिहनिया मोंगरा के कारोबार तेज हो जाथे,हो-हल्ला ले बजार भर जाथे. हमर अवाज कऊनो सुन सके येकर बर जोर ले  नरियाथन. लागथे के हमर आवाज ये होहल्ला अऊ फूल मन के महक मं जइसने समा गे हवय.

रामचंद्रन हमन बर चाहा मंगवाथें. अऊ जब हमन बिहनिया ले पछीना मं तरबतर ताते-तात, मीठ चाहा ला पिये लगथन, त वो ह हमन ला बताथें के कुछेक किसान हजारों मं कारोबार करथें अऊ कुछेक 50,000 रूपिया तक ले कमा लेथें. “ये वो किसान आंय जेन ह कतको एकड़ मं पऊधा लगाय हवंय. कुछेक दिन पहिली जब फूल 1000 रूपिया किलो बिकाय रहिस त एक झिन किसान ह 50 किलो लेके आइस ये ह लाटरी लगे जइसने रहिस – एक दिन मं 50,000 रूपिया!”

बजार कइसने हवय, रोज के कारोबार कतक हवय? रामचंद्रन ह येकर कीमत 50 लाख ले एक करोड़ रूपिया तक आंके हवय. ये ह एक निजी बजार आय. इहाँ करीबन 100 दूकान हवंय अऊ हरेक दूकान मं रोजके 50,000 ले एक लाख रूपिया के बिक्री होथे. अब तुमन हिसाब लगा लेव.”

रामचंद्रन बताथें के बेपारी बिक्री मं 10 फीसदी कमिशन लेथें.”ये ह बछरों बछर ले बदले नई ये,” वो ह बताथें. “अऊ ये ह जोखम ले भरे कारोबार आय.” जब किसान पइसा नई दे सकय त बेपारी ह नुकसान ला उठाथे. वो ह कहिथे के कोविड -19 लॉकडाउन के बखत अक्सर अइसने होय हवय.

दूसर बखत जाय ह, अगस्त 2022 मं विनायक चतुर्थी ले ठीक पहिली,  फूल बजार मं हवन, येकर दू ठन चाकर रद्दा हवय, अऊ दूकान के दूनो डहर लाईन से लगे हवय. रोजके लेवाल तरीका ला जानथें. लेन-देन जल्दी होथे. फूल ले भरे बोरी आथे अऊ चले जाथे. दुकान मन के मंझा के रद्दा जुन्ना फूल ले भरे हवय. वो ह खुनावत हवंय, अऊ बासी फूल के बास अऊ ताजा फूल के तेज महक, एक-दूसर ले लड़त जान परथे. मोला बाद मं पता चलिस के ये विचित्र महक कुछु रासायनिक मेल के सेती घो रहिस. इहाँ येकर वजह इण्डोल आय जेन ह टट्टी-पेसाब, माखुर के बास अऊ कोयला ला छोड़ मोंगरा मं घलो स्वाभाविक रूप ले मिलथे.

कम सांद्रता होय ले इण्डोल मं फूल के महक आथे, फेर उच्च सांद्रता मं ये ह सरे के बास देथे

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बजार मं बेचे सेती रखाय गेंदा, गुलाब अऊ दीगर फूल

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रामचंद्रन फूल के दाम तय होय के माई बात ला फोर के बताथें. मोंगरा सेती, बीच फरवरी मं फूल आय ला सुरु हो जाथे. “अप्रैल तक उपज बढ़िया होथे, फेर दाम कम रहिथे. 100 ले 300 रूपिया किलो तक ले. मई के दूसर पाख ले मऊसम बदले ला सुरु होथे अऊ हवा चले ला लागथे. अऊ उपज घलो जियादा होथे. अगस्त अऊ सितंबर मं, ये बीच के सीजन आय. उपज आधा हो जाथे अऊ दाम दुगुना हो जाथे. ये बखत मं एक किलो के दाम 1,000 रूपिया तक हबर जाथे. अऊ साल के आखिरी के महिना –नवंबर, दिसंबर– अऊसत उपज के के सिरिफ 25 फीसदीच मिलथे. तब दाम जगा के मुताबिक होथे. “तीन चार धन पांच हजार रूपिया किलो कऊनो नवा बात नो हे. थाई मासम (15 जनवरी ले 15 फरवरी) घलो बिहाव के सीजन आय, अऊ लेवाली के बनिस्बत पूर्ति बनेच कम होथे.”

रामचंद्रन के अनुमान हवय के मट्टुतवानी के माई बजार मं अऊसत आवक – जिहां किसान मन सीधा अपन उपज ला लाथें- करीबन 20 टन, मतलब 20,000 किलो हवय. अऊ 100 टन दीगर फूल. इहाँ ले फूल ह तमिलनाडु के परोसी जिला - डिंडीगुल, थेनी, विरुधुनगर, शिवगंगई, पुदुक्कोट्टई के दीगर बजार मं जाथें.

फेर ये फूल के उपज ‘घंटीवक्र’ के अर्थशास्त्र के नियम पालन नई करय, वो ह बताथें. “ये ह पानी, बरसात ऊपर आसरित रथे. एक एकड़ वाला किसान ये हफ्ता एक तिहाई, अगला हफ्ता एक तिहाई, अइसने तरीका ले पानी पलोही, जेकर ले वो ला (कुछु हद तक ले) थिर उपज मिलत रहय. फेर जब बरसात होथे त सब्बो के खेत पानी ले भर जाथे अऊ सब्बो पऊधा एक संग खिले लग जाथे. “ये बखत मं दाम ह भारी गिर जाथे.”

रामचंद्रन करा 100 किसान मोंगरा लेके आथें. “मंय जियादा मोंगरा नई लगावं,” वो ह कहिथें. “ये मं भारी मिहनत के जरूरत परथे.” बस टोरे अऊ बजार ले जाय मं- किलो पाछू करीबन 100 रूपिया लग जाथे. येकर दू-तिहाई हिस्सा मेहनताना मं चले जाथे. गर मोंगरा के दाम सौ रूपिया किलो ले गिर जाथे, त किसान मन ला भारी नुकसान उठाय ला परथे.

किसान अऊ बेपारी के रिश्ता जटिल होथे. तिरुमंगलम तालुका के मेलौप्पिलिगुंडु बस्ती के 51 बछर के मोंगरा किसान पी. गणपति, रामचंद्रन ला फूल बेंचथें. वो ह बताथें के वो ह बड़े बेपारी मन के संग “अडईकलम ” धन सरन मं जाथें.  “भारी फूले बखत, मंय कतको बेर बजार जाथों – बिहनिया, मंझनिया, संझा –फूल ले भरे बोरी धरके. मोला अपन उपज बेंचे मं बेपारी मन के मदद लेगे ला परथे.” पढ़व: मिहनत के पछीना ले महकत मोंगरा

पांच बछर पहिली गणपति ह रामचंद्रन ले कुछु लाख रूपिया उधर ले रहिस अऊ वोला फूल बेंच के सोझिस. अइसने मामला मं दलाली थोकन जियादा होथे – ये ह 10 ले 12.5 फिसदी तक चले जाथे.

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डेरी: मोंगरा के किसान पी. गणपति अपन मोंगरा के नवा पऊध के पांत के बीच मं चलत. जउनि: एक किसान ह पऊधा ला दिखावत हवय जेकर पाना ला कीरा खा लेय हवंय

मोंगरा के दाम कऊन तय करथे? रामचंद्रन मोला सफाई देथे. “लोगन मन बजार बनाथें. लोगन मन पइसा ला चलाथें. ये भारी तेज चलेइय्या आय,” वो ह कहिथें. “दाम 500 रूपिया किलो से सुरु हो सकथे. गर वो लाट ह तेजी ले चलथे, त हमन तुरते वो ला 600 तक मढ़ा देथन. गर हमन ला ओकर लेवाली दिखथे, त हमन 800 रूपिया कहिथन.”

जब वो ह किसोर उमर के रहिस, "100 फूल 2 आना, 4 आना, 8 आना बेंचावत रहिस.”

घोड़ा गाड़ी मं फूल ला लाय जावत रहिस, अऊ डिंडीगुल टेसन ले दू ठन पैसेंजर ट्रेन रहिस.” वो मन बांस अऊ ताड़ पाना के टुकना मं भेजत रहिन जेन ह फून ला हवादार अऊ गद्दा जइसने रखथे. तब मोंगरा लगेइय्या किसान बनेच कम रहिन. अऊ महतारी किसान घलो बनेच कम रहिन.”

रामचंद्रन अपन बचपना के महक वाले गुलाब ला लेके बड़बड़ावत हवंय, जऊन ला वो ह  "पनीर गुलाब ( भारी महक वाले गुलाब) कहिथें. “तुमन वोला अभू घलो खोजे नई सकव! अतक मंदरस माछी ये फूल के चरों डहर झूमत रहिथें,के मोला न जाने कतक घाओ काटे हवंय!” फेरवोकर बोली मं नराजगी नई ये. सिरिफ अचरज हवय.

अऊ घलो जियादा श्रद्धा समेत, वो ह मोला अपन फोन मं तऊन फूल मन के फोटू ला दिखाथे जेन ला वो ह मन्दिर के कतको तिहार मं दान करे हवंय: रथ, पालकी, देंवता ला सजाय सेती. वो ह फोटू मन ला बदलत जाथे, हरेक ह एक दूसर के बनिस्बत भारी सुग्घर हवय.

फेर वो ह बीते बखत मं नई रहय अऊ अगम का बारे मं साफ हवय. “नवाचार अऊ नफा सेती पढ़े लिखे जवान ल इका मन ला ये कारोबार मं आय के जरूरत हवय.” रामचंद्रन करा कॉलेज धन विश्वविद्यालय के डिग्री नई ये, अऊ न त वो ह जवान आय. फेर ओकर तजुरबा दूनो सेती सबले बढ़िया हो सकत हवय.

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रामचंद्रन हाथ मं (डेरी) एक ताजा गुलाब के पंखुड़ी के माला धरे हवंय, जेन ला बनाय ह कठिन अऊ महंगा दूनो हवय, जइसने के वो ह बताथें (जउनि)

पहिली नजर मं, फूल के लड़ी, माला, अऊ इतर क्रांतिकारी कारोबारी बिचार जइसने नई लगय. वो ह सधारन ले घलो कुछु अऊ घलो हवंय. हरेक माला रचनात्मकता ले भरे कहिनी आय, ये कहिनी ह इहां फूल के आय, फूल मन ला सुग्घर मनभावन लड़ी मं बनाय, पहिरे जाय, सराहे जाय अऊ आखिर मं खातू बन जाय के कतको कथा ले गुजरथे.

38 बछर के एस. जयराज बूता करे जाय सेती हरेक दिन शिवगंगई ले मदुरई बस मं जाथे. वो ह माला बनाय के ‘आदि-अंत’ सब्बो ला जानथे. अऊ करीबन 16 बछर ले बढ़िया कारीगरी करत हवय. वो ह गरब करत कहिथे, वो ह कऊनो घलो फोटू ले कऊनो डिज़ाइन के नकल कर सकथे. अऊ येकर छोड़ अपन मन के घलो बनाथे. गुलाब-पंखुड़ी के एक जोड़ी माला सेती वोला मजूरी मं 1,200 ले 1,500 रूपिया मिलथे. एक सधारन मोंगरा माला के दाम 200 ले 250 रूपिया तक ले होथे.

रामचंद्रन बताथें के हमर इहाँ आय के दू दिन पहिली, माला बनेइय्या अऊ फूल के डोरी के भारी कमी रहिस. “येला बनाय सेती बने करके सीखे के जरूरत हवय. ये ह पइसा बनाथे,” वो ह जोर देवत कहिथे. “कऊनो माइलोगन ह कुछु पइसा लगा के दू किलो मोंगरा बिसो सकथे अऊ धागा मं पिरोके बेंचे के बाद 500 रूपिया कमई कर सकथे.” संग मं, फूल मन ला ‘कूरू’ धन सैकड़ा के हिसाब ले चिल्लर मं बेंचे ला घलो कमई कर सकथे.

फूल के लड़ी बनाय बर तेजी अऊ माहिर होय ला रथे. रामचंद्रन ह हमन ला बना के बताथें. अपन डेरी हाथ मं कर के धागा ला धरके, वो ह जल्दी ले अपन जउनि हाथ ले मोंगरा के कली ला धरथे, अऊ वोला एक दूसर ले जमा के रखथें, कली ला बहिर डहर ले देखथें अऊ एक ठन सूत ला उलट के वोला बांध लेथे. अवेइय्या पांत सेती वइसनेच करत जाथे. येकर आगू घलो वइसने. अऊ मोंगरा के माला बन जाथे...

वो ह सवाल करथे के विश्वविद्यालय मं लड़ी बनाय अऊ माला बनाय काबर सिखाय नई जाय सकय.”ये ह कारोबार अऊ जीविका के हुनर आय. मंय घलो पढ़ा सकथों. मंय माध्यम बन सकथों... काबर मोर करा हुनर हवय.”

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कन्याकुमारी जिला मं थोवलाई फूल बजार एक ठन बड़े लीम के रुख तरी भरथे

रामचन्द्रन बताथें के कन्याकुमारी के तोवालई के फूल-बजार मं कली मन ला पिरोय के बूता एक ठन नफा वाले कुटीर उदिम माने जाथे.  “इहाँ ले फूल के लड़ी मन ला कतको दूसर कस्बा अऊ शहर मं भेजे जाथे. खास करके केरल के तीर के शहर तिरुवनंतपुरम, कोल्लम अऊ कोच्चि ये मन मं प्रमुख आंय. ये माडल ला दूसर जगा मं काबर नई अपनाय जाय सकय? गर जियादा ले जियादा माइलोगन मन ला ये काम ला सीखाय जाही, त येकर ले आमदनी घलो बढ़ही, मोंगरा के अपन घर के सहर मं ये माडल ला काबर नई अपनाय जाय ला चाही?”

फरवरी 2023 मं, पारी ह सहर के ये हिसाब-किताब ला समझे सेती तोवालई बजार गीस. तोवालई शहर नागरकोइल ले जियदा दूरिहा नई ये अऊ ये ह चरों डहर ले डोंगरी अऊ खेत ले घिरे हवय, इहाँ ऊँच ऊँच  पवनचक्की लगे हवंय. ये बजार ह एक ठन बड़े अकन लीम तरी अऊ ओकर तीर-तखार मं भरथे. मोंगरा के लड़ी मन ला ताड़ के पाना के बने टुकना मं कमल पाना मं भरे जाथे. इह ये फूल तमिलनाडु के तिरुनेलवेली अऊ  कन्याकुमारी के जिला मं ले आथे, जेन ह इहाँ ले जियादा दूरिहा नो हे. ये बात बेपारी -सब्बो मरद-बताथें. फरवरी के सुरु के दिन मं इहाँ मोंगरा के भाव 1,000 रूपिया किलो हवय. फेर इहाँ सबले बड़े कारोबार फूल के लड़ी मन के आंय जेन ला माईलोगन मन बनाथें. फेर वो मन ये बजार ले नदारत हवंय. मंय पूछेंव के वो मन खं हवंय. मरद मन गली डहर आरो करत कहिथें, “अपन अपन घर मं.”

अऊ, उहिच गली मं मोला आर. मीना मिल गे. 80 बछर के मीना भारी धीरज ले मोंगरा के फूल (पित्ची धन जातिमल्ली के किसिम) ला धरथें अऊ वो ला एक ठन सुत मं पिरोवत हवंय. वो ह चश्मा नई पहिरे हवंय. मोर ये जाने के इच्छा ले कुछु देर मं हंस परथें. “ मंय ये फूल मन ला छू के पहिचान लेथों, फेर लोगन मन के चेहरा ला तीर ले जाके पहिचाने सकथों.” ओकर उंगुली अनुभव अऊ समझ के सहारा ले काम करत हवंय.

वइसे, मीना ला ओकर हुनर के मुताबिक मेहनताना नई मिलय. ओकर आगू करीबन 2,000 मोंगरा के कली रखाय हवंय जऊन ला वो ह मुस्किल ले घंटा भर मं पिरो लिहीं. मीना ला पित्ची किसिम के मोंगरा के 200 ग्राम के एक लड़ी पिरोय के बदला मं सिरिफ 30 रूपिया मिलथे. एक किलो कली ( करीबन 4,000 ले 5,000 कली) पिरोय के एवज मं वो ला सिरिफ 75 रूपिया मिलही. गर इही बूता वो ह मदुरई मं करत रतिस, त वो ला दुगुना मेहनताना मिलतिस. फेर तोवालई मं जऊन दिन वो ह 100 रूपिया कमा लेथे तऊन दिन वो ह भारी खुस रहिथे. मोंगरा के फूल के नाजुक, सुग्घर अऊ मनभावन लड़ी बनावत वो ह हमन ला कहिथे.

येकर बनिस्बत माला बनाय के बूता जियादा नफा वाले आय. अऊ ये काम ला मरद मन कब्जा जमाय रखे हवंय.

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तोवालई फूल बजार के पाछू अपन घर मं (डेरी) बइठे मीना, जेन ह जातिमल्ली किसिम के (जउनि) मोंगरा के लड़ी बनाय के काम मं माहिर हवंय. अब 80 बछर उमर के मीना ये काम दसों साल ले करत हवंय, फेर ये मिहनत अऊ बारीक़ काम के एवज मं वोला बनेच कम मेहनताना मिलथे

रामचन्द्रन बताथें के मदुरई अऊ ओकर तीर तखार के इलाक में हरेक दिन करीबन 1,000 किलो मोंगरा के फूल के लड़ी अऊ माला बनाय के कारोबार होथे, फेर, ये बखत भारी दिक्कत घलो आय ला लगे हवय. लड़ी ला जल्दी पिरोय ला परथे, काबर “मोट्टु वेदिचिदम,” मतलब मंझनिया के भारी घाम मं ये ह जल्दी कुम्हला जाथे. तब ओकर दाम कुछु  नई रह जाय, वो ह बताथें. ये माइलोगन मन ला काम करे सेती ‘सिपकॉट’ (द स्टेट इन्डस्ट्रीज प्रोमोशन कॉर्पोरेशन ऑफ़ तमिलनाडु) जइसने कऊनो जगा काबर नई देय जाय. ये काम सेती जगा ला वातानुकूलित होय जरुरी आय, जेकर ले फूल ताजा रहेव अऊ माइलोगन मन वो ला जल्दी ले पिरो सकंय. है ना? तेजी के घलो महत्तम हवय, काबर जब येला बहिर देश मन मं भेजे जाय त फूल के लड़ी मन सही सलामत अऊ ताजा रहेंव.

“मंय मोंगरा ला कनाडा अऊ दूबई तक ले पठोय हवंव. कनाडा तक फूल हबरे मं 36 घंटा लाग जाथे. तब तक ओकर ताजापन बने रहे ला चाही, है ना ?”

दूसर देश मं फूल भेजे के कारोबार मं वो ह कइसने आइस.काबर के ये ह कऊनो असान बूता नो हे. फूल मन ला कतको घड़ी चढ़ाय-उतारे जाथे. चेन्नई अऊ कोच्चि धन तिरुवनंतपुरम पहुंचे के पहिली ये फूल मन ला लंबा दूरिहा जाय ला परथे. उहाँ ले वोला हवाई जहाज ले अपन जगा मं भेजे जाथे. मदुरई ला मोंगरा भेजे के केंद्र बनाय जाय चाही. ये बात रामचन्द्रन जोर देवत कहिथें.

ओकर बेटा प्रसन्ना बीच मं बोलत कहिथे, “हमन ला एक्सपोर्ट कॉरिडोर अऊ सलाह के जरूरत हवय. किसान मन ला घलो बेंचे मं सहयोग करे ला चाही, संगे संग, इहाँ ओतका पेकिंग करेईय्या घलो नई यें जतक निर्यात का कारोबार सेती जरूरी आय. इही काम बर हमन ला कन्याकुमारी के तोवालई धन चेन्नई जाय ला परथे. हरेक देश मं निर्यात के अपन मापदंड अऊ मुहर हवंय. ओकर ले जुरे नियम के बारे मं किसान मन ला बता के वो मन के मदद करे जा सकत हवय.”

वइसे, मदुरई मल्ली ला 2013 लेच भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) मिले हवय, फेर प्रसन्ना के नजर मं छोटे किसान अऊ बेपारी मन बर येकर जियादा महत्ता नई ये.

“दूसर इलाका के मोंगरा के कतको किसिम ला मदुरई मल्ली के रूप मं मंजूरी दे दे गे हवय. येकर खिलाफ मंय कतको आवेदन घलो देय हवंव.”

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डेरी: तोवालई के फूल बाज़ार मं ताड़ के पाना ले बने टुकना मं भर के रखे गे मोंगरा के फूल. जउनि: मोंगरा के अलग-अलग किसिम कन्याकुमारी जिला मं भारी मात्रा मं कमल के पाना मं भर के रखे जाथें. ये पाना मं फूल ह सही सलामत अऊ ताजा बने रहिथे.

अपन बात ला खतम करे के पहिली रामचन्द्रन हरेक किसान अऊ बेपारी के ये बात जरुर कहिथें के मदुरई के अपन खुद के इतर कारखाना के जरूरत हवय. वो ह ये घलो कहिथें के ये कारखाना ला सरकार के हाथ मं होय ला चाही. मोंगरा के ये देश मं अपन आय–जाय बखत मंय ये बात अतक घाओ सुने हवंव के मानो ये फूल के इतर बना ले ले ये इलाका के सब्बो समम्स्या अपन आप खतम हो जाहीं. अब त दूसर लोगन मं घलो ये बात मं राजी हवंय.

हमर पहिली भेंट होय के बछर भर बाद रामचन्द्रन 2022 मं अपन बेटी के संग रहे बर अमेरिका चले गे. येकर बाद घलो मोंगरा के कारोबार मं ओकर पकड़ थोकन घलो कमती नई परिस. वो ला अऊ ओकर कर्मचारी मन ला मोंगरा बेन्चेइय्या किसान घलो इहीच कहिथें के रामचन्द्रन निर्यात ला नफावाले अऊ सुभीता के बनाय सेती भारी मिहनत करत हवंय. येकरे संगेच वो ह विदेश मं रहिके घलो अपन कारोबार अऊ बजार ऊपर भारी नजर रखे रहिथें.

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संस्था के रूप मं बजार ह कतको जरूरी बूता करत सदियों ले बने हवय, बेपार के जिनिस ला बदले सेती. जेनेवा ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट मं ‘अजाद भारत मं आर्थिक नीति निर्मान के इतिहास’ विषय ऊपर शोध करेइय्या रघुनाथ नागेस्वरन येला फोर के बताथें. “ फेर बीते एकाध सदी मं येला तटस्थ अऊ स्वनियंत्रित संस्था के रूप मं रखे जाय के कोशिश होवत हवय. असल बात ये आय के येला खास जगा बताके स्थापित करे जावत हवय.”

“अपन बूते दिखत ये संस्था ला खुल्ला छोड़ देय के बिचार अब धीरे-धीरे समान्य होवत जावत हवय. अऊ,   बजार के कऊनो घलो बे असर नतीजा ला गैर जरूरी रूप ले राज के दखल ला देय जाय लगे हवय. बजार के ये निरूपन निश्चित रूप ले इतिहास के नजर ले गलत हवय.”

रघुनाथ ह ये “तथाकथित मुक्त बजार” के बारे मं समझाथें, जऊन मं “अलग-अलग जिनिस मन ला अलग-अलग स्तर के अजादी मिले हवय.” गर तुमन बजार के लेनदेन मं कऊनो सक्रिय भूमका निभाय ला चाहत हवव. टे तुमन  येकर तौर-तरीका ले गुजरे बिना नई बांचे सकव. वो ह धियान दिलाथें. बेशक इहाँ एक ठन तथाकथित लुकाय हाथ हवय, फेर ये ह तऊन मुठ्ठा भर के आंकड़ा घलो कम नई ये जऊन ह देखे मं आवत हवय अऊ जेन ह बजार मं अपन ताकत दिखाय सेती बेसबर हवंय. बजार के काम धाम के केंद्र बेपारी होथें, फेर ओकर ताकत के चिन्हारी करे जाय जरूरी आय, काबर वो मन महत्तम जानकारी के खजाना होथें.”

रघुनाथ कहिथें के पावर के सोर्स के रूप मं “ अलग-अलग जानकारी के महत्ता ला ठीक-ठाक समझे सेती” कऊनो अकादमिक शोधपत्र ला पढ़े के जरूरत नई ये. जानकारी मन तक ये असमान पहुंच असल मं हमर जात, वर्ग अऊ लिंग पहिचान ला बताथे. जब हमन कऊनो खेत धन कारखाना ले कऊनो जिनिस बिसोथन, त ओकर बारे मं जानकारी हमर करा होथे. ये बात तऊन एप्प मन ऊपर घलो लागू होते जेन ला हमन अपन स्मार्टफ़ोन मं डाउनलोड करथन धन जब हमन कऊनो इलाज कराय ला चाहथन. सही आय ना ?”

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डेरी: सितंबर 2021 मं बिहनिया बखत, जब फूल बजार कोविड-19 के रोक सेती कुछु बखत बर मट्टुतवानी बस टेसन मं चले गे रहिस. जउनि: बिहनिया-बिहनिया बेपार के बखत बजार मं पड़े मोंगरा के फूल के ढेरी, जब उपज के पहिली खेप आथे, तब मोंगरा के दाम बनेच बढ़े रहिथे. ओकर बाद दाम धीरे-धीरे गिरे ला लगथे

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डेरी: बीके सेती लोहा के तराजू मं रखाय मोंगरा के फूल. जउनि: एक झिन मजूर केरा के डोरी ला नाप के काटत हवय. ये पातर डोरी ले माला बनाय जाथे. ये रस्सी ला लड़ी मं नई बऊरे जाय

जिनिस जइसने, येकर ले कुछु जिनिस बनेइय्या मन घलो बजार के ताकत ला इस्तेमाल करथें, जेकर ले बनाय जिनिस के दाम तय करे जा सके. आम लोगन के मन मं इही बात हवय के बनवइय्या दाम तय करे ला काबू मं रखे के मामला मं सक्षम नई होवंय, काबर ओकर मन मं बरसात अऊ बजार के खतरा ले लेके संदेहां रहिथे. इहाँ हमन खेत-उपज लेवेइय्या किसान मन के बात करत हवन.

रघुनाथ कहिथें, “किसान मन के घलो कतको वर्ग हवंय. येकरे सेती हमन ला फोर के सब ला समझे के जरूरत हवय. बात ला समझे सेती, जइसने मोंगरा के फूल ले जुड़े ये रपट ला ले जाय सकथे. काय सरकार ला इतर कारखाना ला काबू मं रखे ला चाही? धन येला बेंचे ला सुभीता बनाय अऊ मूल्य-संवर्धित उत्पाद सेती एक ठन निर्यात केंद्र बनाके दखल देय ला चाही, जेकर ले छोटे कारोबारी मन ला जियादा ले जियादा लाभ मिल सकय?”

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मोंगरा महंगा फूल आय. ऐतिहासिक रूप ले ओकर महक के गुन – कली, फूल, डारा-पाना, जड़ी, अऊ तेल के अपन अलग महत्तम हवय, अऊ येकर कतको किसिम ले बऊरे जावत हवय. पूजा के जगा ले लेके सुते के खोली अऊ रंधनी खोली तक ले यह मिल जाही. कहूँ वो ह समर्पन के प्रतीक आय त कहूँ सुवाद अऊ कामना के. चन्दन, कपूर, इलायची, केसर, गुलाब अऊ मोंगरा – दीगर इतर जइसने ये घलो हमर जिनगी मं जाने पहिचाने अऊ ऐतिहासिक महक ले के आथें. फेर काबर के येला समान्य ढंग ले बऊरे जाथे अऊ आसानी ले मिलथे, येकरे सेती ये ह बनेच दुब्भर नई लगय. फेर इतर उदिम दूसर कहिनी कहिथे.

इतर उदिम मं काम करे के हमर गियान अभी सुरु होय हवय.

पहिली अऊ सबले पहिली काम ‘ठोस’ होथे, जिहां ये फूल मं के सत्व ला एक खाद्य विलायक बऊर के निकारे जाथे. ये सार अर्द्धठोस अऊ मोमयुक्त होथे. जब येकर ले जम्मो माँ ला निकार देय जाथे, तब ये ह पूरा पूरी ‘एब्सोल्यूट’ तरल मं बदल जाथे. ये ह पूरा तरह ले बऊरे लइक हो जाथे अऊ अल्कोहल मं घुल जाथे.

एक किलो ‘एब्सोल्यूट’ मोंगरा के दाम मोटा-मोटी 3,26,000 हज़ार होथे.

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बंडल मं एक संग रखाय ‘जातिमल्ली’ के लड़ी

राजा पलानीस्वामी, जैसमिन सी.ई. प्राइवेट लिमिटेड (जेसीईपीएल) के डायरेक्टर आंय. ये कंपनी दुनिया भर मं मोंगरा समेत कतको किसिम के फूल के सार (सांद्र अऊ एब्सोल्यूट दूनों) के अकेल्ला सबले बड़े बनेइय्या आय. वो ह हमन ला बताथें के एक किलो जैसमिन सैम्बैक एब्सोल्यूट पाय बर एक टन गुंडु मल्ली धन मदुरई मल्ली के जरूरत परथे. चेन्नई के अपन दफ्तर मं बइठे मोला वो ह दुनिया मं इतर उदिम के बारे मं मोटा-मोटी जानकारी देथें.

सबले पहिली वो ह बताथें, “हमन इतर नई बनावन. हमन सिरिफ प्राकृतिक समान बनाथन, जेन ह इतर बनाय मं लगेइय्या दीगर जिनिस मन ले एक आय.”

जऊन चार किसिम के मोंगरा ले वो मन बनाथें तऊन मं दू माई किसिम आंय: जैसमिन ग्रैंडीफ्लोरम (जातिमल्ली) अऊ जैसमिन सैम्बैक ((गुंडु मल्ली). जातिमल्ली एब्सोल्यूट के दाम 3,000 अमेरिकी डॉलर प्रति किलो हवय, फेर गुंडु मल्ली ‘एब्सोल्यूट’ करीबन 4,000 अमेरिकी डॉलर प्रति किलो के भाव मं बिकथे.

राजा पलानीस्वामी कहिथें, “ठोस अऊ ‘एब्सोल्यूट’ किसम के दाम पूरा पूरी फूल के दाम ऊपर तय होथे, इतिहास बताथे के फूल के दाम ह हमेशा बढ़ेच हवय. मंझा के कऊनो बछर मं एक दू बेर दाम ह गिरे हो सकत हवय, फेर अक्सर ये बढ़ेच हवंय.” वो ह बताथें के ओकर कंपनी बछर भर मं 1,000 ले 1,200 टन मदुरई मल्ली ( जेन ला गुंडू मल्ली के नांव ले घलो जाने जाथे) के प्रसंस्करण करथे, जेकर ले 1 ले 1.2 टन के बीच जैसमिन सैम्बैक ‘एब्सोल्यूट’ बनथे, जेन ह 3.5 टन के दुनिया के मांग के एक तिहाई हिस्सा ला पूरा करे सकत हवय. कुल मिलेक भारत के जम्मी इतर उदिम – जऊन मं राजा के तमिलनाडु के दू कारखाना अऊ कुछु दीगर उदिम सामिल हवंय – ये मं में कुल सैम्बैक फूल के उपज के 5 फीसदी ‘एब्सोल्यूट’ के खपत होथे.

जइसने हरेक किसान अऊ दलाल मन इतर कारखाना के आंकड़ा के बारे मं बताय रहिन, वो ले देखत असल आंकड़ा अऊ ये कारोबार मं ओकर ले जुरे महत्ता ला जान के सचमुच मं अचरज ले भरे रहिस. राजा हंसत हवंय, “एक उदिम के रूप मं हमन ये फूल के एक ठन नान कन खपत करेइय्या हवन. फेर हमर भूमका किसान मन के सेती एक न्यूनतम दाम तय करे के बात मं बनेच महत्तम हवय. येकर ले किसान ला नफा तय होथे. किसान अऊ बेपारी बेशक बछर भर जियादा दाम मं फूल बेंचे ला चाहथें. फेरी तुमन जानतेच होहु के महक अऊ सुग्घर के ये बेवसाय अपन चरित्र मं भारी अस्थिर हवय. वो मन ला लगथे के हमन भारी मुनाफा कमाथन, फेर असल बात ये इच आय के ये ह उपभोक्ता बजार के मामला आय.”

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मोती जइसने उज्जर मोंगरा के कली कन्याकुमारी जिला के तोवालई बजार के दीगर राज मं भेजे जाय ला हवंय

ये चरचा बनेच अकन जगा मं चलत रहिथे. भारत ले लेके फ़्रांस तक, अऊ मदुरई जिला के मोंगरा बजार ले लेके ओकर ग्राहेक तक – जेन मं डायर, गुएर्लिन, लश, बुल्गारी जइसने दुनिया के नामी इतर बनेइय्या घलो हवंय. मंय ये दूनो दुनिया के बारे मं थोर-बहुत जाने सीखे सके हवंव, जऊन ह बनेच अलग होय के बाद घलो एक दूसर ले गुंथाय हवंय.

राजा बताथें के फ़्रांस ला इतर के ग्लोबल रजधानी माने जाथे. वो मन पचास बछर पहिली मोंगरा के सत्व भारत ले मंगाय सुरु करे रहिन. वो इहाँ जैसमिनम ग्रैंडीफ्लोरम धन जातिमल्ली सेती आय रहिन. “अऊ इहाँ वो मन ला अलग अलग फूल के अलग अलग किसिम के खजानाच मिल गे.”

महत्तम मोड़ फ़्रांसिसी ब्रांड जे’अडोर के सुरु होय ला माने जा सकत हवय, जेकर घोसना 1999 मं डायर ह करे रहिस. अपन उत्पाद के बारे मं कंपनी ह अपन बेबसाइट मं अपन नोट मं लिखे हवय, इन्वेंट्स ए फ्लावर दैट डज नॉट एक्सिस्ट, एन आइडियल ( एक आदर्श फूल के जनम जेन ह अस्तित्व मं नई).” राज बताथें के ये आदर्श फूल जैसमिन सैम्बैक आय, जेन ह हरियर अऊ ताजा इहाँ दिखत हवय अऊ बाद मं ये चलन मं आगे.” अऊ मदुरई मल्ली धन जइसने के डायर येला कहिथे, “समृद्ध जैसमिन सैम्बैक” ह सोन के रिंग वाले एक ठन नान कन कांच के बोतल मं फ़्रांस अऊ दूसर देश मं अपन जगा बना ले हवय.

वइसे, येकर बनेच पहिली ले फूल ला मदुरई अऊ तीर-तखार के फूल बजार ले हासिल करे जावत रहिस. फेर ये ह हरेक दिन नई होवय. बछर भर के अधिकतर दिन मं जैसमिन सैम्बैक के दाम भारी होय सेती येकर सत्व नई निकारे जावत रहिस.

राजा कहिथें, “हमन ला तऊन सब्बो जिनिस ला सफ्फा सफ्फा समझे के जरूरत हवय जेन ह फूल बजार मं फूल के लेवाली अऊ पूर्ति ला असर करथे. हमर लेवाल\ समन्वयक  बजार मं रहिथे अऊ वो मन बजार के दाम ला चेत धरे नजर रखथें. हमर करा बजार सेती उचित दाम घलो होथे, अऊ उहाँ हमन दाम तय होय ला अगोरत रहिथन, जइसने 120 रुपिया किलो के दाम. दाम तय करे मं हमर कऊनो भुमका नई होवय.” वो ह हमन ला बतावत सफ्फा सफ्फा कहिथे के बजार ह येकर दाम तय करथे.

“हमन सिरिफ बजार ऊपर नजर रखथन अऊ अगोरत रहिथन. काबर के जियादा फूल हासिल करे बाबत हमर करा 15 ले घलो जियादा बछर के तजुरबा हवय, येकरे सेती हमन पूरा सीजन मं दाम के अनुमान होथे. हमर कंपनी 1991 मं बनाय गे रहिस, येकरे सेती हमन अपन लेवाली अऊ उत्पादन ला बढ़ाय के घलो कोशिश करथन.”

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मदुरई के मट्टुतवानी फूल बाज़ार मं फलत-फूलत मोंगरा फूल के कारोबार

राजा कहिथें इही मॉडल सेती ओकर ताकत के भरपूर इस्तेमाल नई होय सकत हवय. “तुमन ला भरपूर अऊ थिर मात्रा मं हरेक दिन फूल नई मिलय. ये ह लोहा कारखाना बरोबर नो हे जिहां बछर भर बेर के बेर उत्पादन सेती भरपूर कच्चा माल ला जमा करके रखे जा सकथे. इहाँ हमन ला रोज के फूल ला अगोरे बर परथे. हमर ताकत तऊन बढ़िया दिन के भरोसा मं हवय जब बने उपज बिके बर बजार मं न आ जाय.”

राज के मुताबिक, जम्मो बछर भर मं मुस्किल ले 20 धन 25 दिनेच होथे. “तऊन दिन मं हमन रोज के 12 ले 15 टन फूल के प्रसंस्करण करथन, बाकि के बचे दिन मं हमन ला कमती फूल मिथे, जेन ह अक्सर 1 टन ले 3 टन तक होथे, अऊ कभू-कभू त बिल्कुले घलो नई.”

राजा मोर ये सवाल के जुवाब देवत कहत रहिथें के किसान मन के फूल के थिर दाम मिल सके येकरे सेती सरकार ला एक ठन कारखाना खोले के ओकर मन के मांग के बारे मं ओकर काय राय हवय. राजा तर्क देथें, “मांग के अस्थिर होय अऊ तय नई होय ह सरकार ला ये कारोबार मं आय ले रोके के माई कारन आय. किसान अऊ बेपारी मं के सेती कारोबारी संभावना ले भरे ये काम ला सरकार ह सायद बेवसाय के नजरिया ले घलो नई देखत होही. जब तक ले वो ह बांचे लोगन ला फूल उपज ले ले नई रोकही अऊ उत्पादन ऊपर अपन एकाधिकार नई रखही, तब तक ओकर हैसियत घलो बांचे उत्पादक जइसने समान्य माने जाही. सरकार घलो उही किसान ले फूल बिसोही जेकर ले दीगर बेपारी बिसोथें, अऊ उही ग्राहेक ला फूल के सत्व बेंचही जेन ला दीगर निर्माता बेंचथें.”

सबले बढ़िया महक हासिल करे सेती मोंगरा के खिलतेच ओकर प्रसंस्करण जरूरी आय. ये बात घलो राजाच बताथें. “एक सरलग रासायनिक प्रतिक्रिया के बादेच इतर ले महक निकरथे जऊन ह मोगरा के ठीक खिले के बखत निकरथे. इही फूल जब बासी हो जाथे, त ओकर महक घलो खराब हो जाथे.”

ये प्रक्रिया ला बने करके समझे-बूझे सेती राजा ह मोला ये बछर फरवरी के सुरु मं अपन कारखाना मं आय के नेवता देथें, जेन ह मदुरई के लकठा मं हवय.

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मदुरई के मट्टुतवानी फूल बाज़ार मं दीगर दिन ले कम चहलपहल भरे एक दिन

फरवरी 2023 हमर जाय के पहिली दिन मदुरई शहर के मट्टुतवानी बजार ला थोकन घूमे ले सुरु होथे. मोर मदुरई जाय के ये ह तीसर बेर आय. अऊ, संजोग ले आज बजार मं बहुते जियादा  भराय नई ये. फूल बजार मं बनेच कम मोंगरा के फूल आय हवंय. ओकर बनिस्बत कतको दीगर रंगीन फूल के ढेरी मढ़ाय हवय. गुलाब ले भरे कतको टुकना, रजनीगंधा अऊ गेंदा के कतको बोरी, धवनम (मर्जोरम) के ढेरी. कमती आय के बाद घलो मोंगरा के फूल 1,000 रूपिया किलो के भाव ले बिकत हवय. तीज न तिहार जेकर सेती ये ह आय. बेपारी मन ये रोना रोवत रहिथें.

मदुरई शहर ले हमन सड़क के रद्दा ले परोस के डिंडीगुल जिला के निलकोट्टई तालुका डहर निकर जाथन. हमन ला तऊन किसान मन ले मिले ला हवय जऊन मन राजा के कंपनी ला मोंगरा के दू किसिम - ग्रैंडीफ्लोरम अऊ सैम्बैक बेंचथें. इहाँ आके मोला अचरज ले भरे कहिनी सुने के मऊका मिलिस.

मारिया वेलान्कन्नी नांव के उन्नतशील किसान, जऊन ह 20 बछर ले घलो जियादा बखत ले मल्ली के खेती करे के तजुरबा हवय, मोला बढ़िया उपज के गोपन बात ला बतावत कहिथें के येकर सेती जरूरी आय के छेरी मन मोंगरा के जुन्ना पाना ला चर लेंव.

वो ह अपन एक एकड़ के छटवां हिस्सा मं लगे हरियर पऊध ला दिखावत कहिथें, “ये तरकीब सिरिफ मदुरई मल्ली के मामला मं काम के होथे. येकर ले फसल दुगुना, अऊ कभू-कभू त तिगुना ले घलो जियादा हो सकत हवय.” ये तरीका सधारन फेर अचरज ले भरे आय- छेरी गोहड़ी ला मोंगरा के खेत मं चरे बर खुल्ला छोड़ देवव. ओकर बाद खेत ला दस दिन तक ले सूखे परे देवव, ओकर बाद खातू डारव. करीबन पाख भर डारा मन पऊंरे ला धरहीं अऊ पच्चीसवां दिन मं तुमन के आगू मं मोंगरा के फूल ले लदाय पऊधा लहलहावत रहीं.

हंसत, वो ह बताथें के ये इलाका मं ये ह मामूली बात आय. ”छेरी मन के पाना खाय के फूल खिले ले सीधा रिस्ता हवय अऊ ये तरीका पुरखोती के गियान आय. ये तरीका ला बछर भर मं तीन बेर करे जाथे. ये इलाका मं घाम के महिना मं छेरी मन मोंगरा के पाना ला खाथें. वो मन के चरे ले खेत के बढ़िया गुड़ाई होय के संगे संग, टूट के गिरे परे डारा-पाना मन बाद मं माटी मं मिलके खातू हो जाथें. चरवाहा मन येकर बर कऊनो मेहनताना नई लेवंय. वो मन के खातिरदारी सेती बस चाहा अऊ बरा काफी आय. फेर रात मं इही बूता करे सेती बदला मं चरवाहा मन कुछेक सैकड़ा छेरी चरे के एवज मं 500 रूपिया लेथें, फेर आखिर मं येकर लाभ मोंगरा उगेइय्या किसानेच ला होथे.”

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डेरी: मारिया वेलान्कन्नी उन्नतशील किसान आंय, जऊन ह जेसीईपीएल ला मोंगरा के फूल देथें. जउनि: जेसीईपीएल मं आर. एंड डी. के मुखिया कतिरोली स्मेलिंग सेशन बखत रखे सेती चेत धरके फूल के  छंटनी करत हवंय

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मोंगरा के सत्व बनेइय्या कारखाना मं स्मेलिंग सेशन के बखत रखे गे मोंगरा के अलग अलग किसिम. इहाँ कतको फूल के ‘एब्सोल्यूट’ ला आर. एंड डी. टीम ह प्रस्तुत करे रहिस

जेसीईपीएल के डिंडीगुल कारखाना जाय बखत कतको अऊ जिनिस हमन ला अगोरत रहिन. हमन ला औद्योगिक प्रसंस्करण संयंत्र ले जाय गीस, जिहां क्रेन, पुली, डिस्टिलर अऊ कूलर के मदद ले ‘सांद्र’ अऊ  ‘एब्सोल्यूट’ बनाय जावत रहिस. जब हमन उहाँ गे रहेन उहाँ मोंगरा के फूल नई रहिस. फरवरी के सुरु के दिन मं ये फूल के उपज भरी कम होथे अऊ वो ह महंगा घलो मिलथे. फेर दूसर महक के सत्व पहिली जइसने निकारे जावत रहिस अऊ चमकत स्टील के मशीन मन थोकन कलकल करत अपन बूता करत रहिन. ये मशीन ले निकरत महक हमर नथुना मं भरत जावत रहिस. ये महक भारी तेज रहिन. हमन सब्बो के चेहरा खिले रहिस.

51 बछर के वी.कतिरोली, जऊन ह जेसीईपीएल मं आरएंडडी के प्रबंधक आंय, हंसत हमर अगवानी करथें अऊ हमन ला ‘एब्सोल्यूट’ के नमूना सूंघे बर देथें. वो ह एक ठन लंबा टेबल के पाछू मं ठाढ़े हवंय. टेबल मं फूल ले भरे बांस के कतको टुकना रखाय हवंय. कुछु लेमिनेट करे चार्ट घलो परे हवंय जऊन मं ओकर महक ले जुरे जानकारी लिखाय हवंय. कुछेक बनेच नान शीशी घलो हवंय जऊन मं अलग-अलग महक के ‘एब्सोल्यूट’ रखाय हवंय. जाँच स्ट्रिप्स ला कतको नान नान बाटल मं डुबोवत, वो ह हरेक घटक ला जोस ले बताथे अऊ हरेक प्रतिक्रिया ला लिख लेथें.

ये महक मं एक चंपा के हवय –मीठ अऊ मादक, अऊ दूसर रजनीगंधा –तेज अऊ तीखा. ओकर बाद वो ह दू किसिम के गुलाब के ‘एब्सोल्यूट’ देथें –पहिली  भारी कोंवर अऊ ताजा, अऊ दूसर के महक डूब जइसने नरम अऊ खास. ओकर बाद गुलाबी अऊ उज्जर रंग के कमल. ये दूनों मं शांत अऊ ख़ुश्बूदार फूल के जइसने महक. अऊ, गुलदाउदी –जेन ह कागज के ये कोना मं भारत मं होय बर-बिहाव मं जइसने महकत हवय.

ये मं महंगा अऊ जाने चिन्हे मसाला अऊ जड़ी बूटी हवंय. मेथी के महक बघार जइसने हवय. वइसने करी पत्ता के महक मोला मोर डोकरी दाई के रांधे के सुरता करा देथे. फेर मोंगरा सबके उपर भारी हवय. मंय जब ये महक मन के बखान करे सेती जूझे ला लगथों, तब कतिरोली मोर मदद करथें, फूल के महक, मीठ, एनिमलिक (कस्तुरी जइसने), हरियर, फल के महक, हल्का तीखा, वो बिना रुके कहत जावत रहिथे. तोर मनपसंद महक काय आय, मंय ओकर ले पूछथों. मोला आस हवय के वो ह कऊनो फूल के नांव धरही.

वो ह मुचमुचावत कहिथे, “वनिला.”  वो ह अपन टीम के संग मिलके भरपूर छानबीन करे के बाद कंपनी सेती भारी बढ़िया वनिला महक बनाय हवय. गर वोला अपन खास इतर बनाय रतिस, त वो ह मदुरई मल्लीच के बनाय रतिस. वो ह इतर उदिम मं सेबल बढ़िया जिनिस बनाय के नामी कंपनी के रूप मं अपन पहिचान बनाय ला चाहत हवंय.

मदुरई शहर ले निकरते सात हरियर खेत मं किसान मन मोंगरा के खेत मं बूता करत दिखत हवंय. ये जगा कारखान ले बनेच दूरिहा घलो नई ये. ये पऊधा मं फूले के बाद मोंगरा के किस्मत आय के कहां जाही –भगवान के चरन मं, कऊनो बिहाव के मंडवा मं, कऊनो नान कन टुकना मं धन क उनो रद्दा मं गिरे परे होही. फेर जहाँ घलो होही ओकर संग ओकर महक घलो बगरत रही.

ये शोध अध्ययन ला अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय डहर ले अपन रिसर्च फंडिंग प्रोग्राम 2020 के तहत फंडिंग करे गे हवय.

अनुवाद: निर्मल कुमार साहू

Aparna Karthikeyan is an independent journalist, author and Senior Fellow, PARI. Her non-fiction book 'Nine Rupees an Hour' documents the disappearing livelihoods of Tamil Nadu. She has written five books for children. Aparna lives in Chennai with her family and dogs.

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Photographs : M. Palani Kumar

M. Palani Kumar is PARI's Staff Photographer and documents the lives of the marginalised. A 2019 PARI Fellow, Palani was also the cinematographer for ‘Kakoos’, a documentary on manual scavengers in Tamil Nadu, by filmmaker Divya Bharathi.

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P. Sainath is Founder Editor, People's Archive of Rural India. He has been a rural reporter for decades and is the author of 'Everybody Loves a Good Drought'.

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Translator : Nirmal Kumar Sahu

Nirmal Kumar Sahu has been associated with journalism for 26 years. He has been a part of the leading and prestigious newspapers of Raipur, Chhattisgarh as an editor. He also has experience of writing-translation in Hindi and Chhattisgarhi, and was the editor of OTV's Hindi digital portal Desh TV for 2 years. He has done his MA in Hindi linguistics, M. Phil, PhD and PG diploma in translation. Currently, Nirmal Kumar Sahu is the Editor-in-Chief of DeshDigital News portal Contact: [email protected]

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