‘शहरों में तो बहुत सारे तारे एक साथ देखना असंभव है क्योंकि इतना प्रदूषण होता है कि आकाश भी साफ नहीं दिखता। यहां पर वातावरण और आकाश बिलकुल साफ था, ऐसा लग रहा था कि हम पर किसी ने चांद-तारों से भरी चादर ओढ़ा दी हो। यहां आकर लगा कि दोबारा जी उठे।’ यह कहना है उत्तराखंड के बेनीताल में हुई पहली एस्ट्रो पार्टी में शामिल होने आईं श्रेया सोनाली का। सोनाली बताती हैं, ‘पार्टी तो बहुत सारी की, पर यह बिल्कुल अलग रही। हम दो दिन यहां रुके। ऐसा लग रहा था कि समय थम जाए। बस एकटक हम चांद और टिमटिमाते तारे देखते रहें।’
देश में पहली बार एस्ट्रो पार्टी यानी चांद-तारों के बीच पार्टी में करीब 8200 फीट ऊंचाई से जब प्रतिभागियों ने चांद-तारों को नजदीक से देखा तो लगा वो किसी और ही दुनिया में आ गए हों। सोनाली बताती हैं,‘ऐसे आयोजन महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इनसे आकाशीय घटनाओं के बारे में काफी जानकारी मिलती है। दिल्ली से आए रमेश मुमक्षु ने बताया,‘शहरों में ये चीजें गुम हो चुकी हैं। यहां आकर लगा कि रिवाइवल हो गया। दो रातों तक चांद-तारों की जानकारियां जुटाने के बाद दिन में हम करीब स्थित गांव के स्कूल भी गए।
नजारा अद्भुत था, वहां पर रॉकेट बनाने से लेकर लॉन्चिंग तक पूरी प्रक्रिया के बारे में जाना। टेलीस्कोप से जुपिटर देखना अविस्मरणीय अनुभव था। ऐसे नजारे अब तक टीवी पर ही देखते थे, पर यहां लाइव देखा तो दंग रह गए। उत्तराखंड सरकार, चमोली प्रशासन और स्टारस्केप्स ने यह आयोजन किया था। संस्था के रामशीष रे ने बताया कि यह देश का पहला एस्ट्रो पार्क है। एस्ट्रो टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए यह पहल की गई थी। सैलानियों की मदद के लिए रातभर 8 एक्सपर्ट साइट पर ही मौजूद रहे। प्रवेश के लिए फीस नहीं रखी गई थी। अब अगले साल अप्रैल में एस्ट्रो पार्टी आयोजित करेंगे।
स्टारगेजिंग और स्टार हंटिंग का अनुभव भी
प्रतिभागियों ने बताया कि बेनीताल जैसी सुंदर और अद्भुत जगह पर रात में आकाश के जादू को अनुभव शानदार था। स्टारगेजिंग, स्टार हंटिंग, स्काय ऑब्जर्वेशन, एस्ट्रोफोटोग्राफी के साथ कई सारे अनुभव हुए। ट्रैकिंग, बर्ड वॉचिंग, साइकिलिंग जैसी गतिविधियों ने जिंदगी बदलने वाला अनुभव दिया।
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