प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर, जेवर में नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की आधारशिला रखी।परियोजना स्थल पर पीएम के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य एम सिंधिया भी थे। सिंधिया ने कहा, “नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा एक मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी हब होगा। यह 1 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करेगा। जल्द ही हम राज्य में अयोध्या में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे सहित 17 हवाईअड्डे देखेंगे।”
हवाई अड्डे का विकास यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएपीएल) द्वारा किया जा रहा है, जो परियोजना के स्विस रियायतकर्ता ज्यूरिख इंटरनेशनल एयरपोर्ट एजी की 100 प्रतिशत सहायक कंपनी है।यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (वाईआईएपीएल) उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के साथ घनिष्ठ साझेदारी में पीपीपी मॉडल के तहत नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विकास कर रहा है।एयरपोर्ट बनने से प्रदेश में रोजगार के अवसर खुलने की संभावना जताई जा रही है।
इसका निर्माण पूरा होने पर यह उत्तर प्रदेश का पांचवां एयरपोर्ट होगा। इस बहुप्रतीक्षित परियोजना को यूपी विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा से कुछ हफ्ते पहले हरी झंडी दिखाई जा रही है। मोदी ने 20 अक्टूबर को कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था। अयोध्या में एक और अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा निमार्णाधीन है। इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाद जेवर हवाई अड्डा दिल्ली-एनसीआर में बनने वाला दूसरा इंटरनेशनल एयरपोर्ट होगा।
रणनीतिक रूप से इस एयरपोर्ट की अहमितय काफी अधिक होगी और यह हवाई अड्डा दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़, आगरा, फरीदाबाद और आसपास के क्षेत्रों के लोगों के लिए सुविधाजनक होगा। हवाई अड्डे के पहले चरण का विकास 10,050 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से हो रहा है। यह 1300 हेक्टेयर से अधिक हेक्टेयर पर फैला है। पहले चरण का निर्माण हो जाने के बाद हवाई अड्डे की क्षमता वार्षिक रूप से 1.2 करोड़ यात्रियों की सेवा करने की हो जाएगी। निर्माण-कार्य तय समय पर होने की उम्मीद है और 2024 तक काम पूरा हो जाएगा। इसे अंतर्राष्ट्रीय बोली-कर्ता ज्यूरिख एयरपोर्ट इंटरनेशनल एजी क्रियान्वित करेगा।
आपको बता दें कि पहले चरण का मैदानी काम, यानी भू-अधिग्रहण और प्रभावित परिवारों का पुनर्वास पूरा किया जा चुका है। पहली बार भारत में किसी ऐसे हवाई अड्डे की परिकल्पना की गई है, जहां एकीकृत मल्टी मॉडल कार्गो केंद्र हो तथा जहां सारा ध्यान लॉजिस्टिक संबंधी खर्चों और समय में कमी लाने पर हो। समर्पित कार्गो टर्मिनल की क्षमता 20 लाख मीट्रिक टन होगी, जिसे बढ़ाकर 80 लाख मीट्रिक टन कर दिया जाएगा। औद्योगिक उत्पादों के निर्बाध आवागमन की सुविधा के जरिये, यह हवाई अड्डा क्षेत्र में भारी निवेश को आकर्षित करने, औद्योगिक विकास की गति बढ़ाने और स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे नये उद्यमों को अधिसंख्य अवसर मिलेंगे तथा रोजगार के मौके भी पैदा होंगे।
इस हवाई अड्डे में ग्राउंड ट्रांस्पोर्टेशन सेंटर विकसित किया जायेगा, जिसमें मल्टी मॉडल ट्रांजिट केंद्र होगा, मेट्रो और हाई स्पीड रेलवे के स्टेशन होंगे। इसके साथ ही टैक्सी, बस सेवा और निजी वाहन पार्किंग सुविधा मौजूद होगी। इस तरह हवाई अड्डा सड़क, रेल और मेट्रो से सीधे जुड़ने में सक्षम हो जाएगा। नोएडा और दिल्ली को निर्बाध मेट्रो सेवा के जरिए जोड़ा जायेगा। आसपास के सभी प्रमुख मार्ग और राजमार्ग, जैसे यमुना एक्सप्रेस-वे, वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस-वे तथा अन्य भी हवाई अड्डे से जोड़े जाएंगे। हवाई अड्डे को प्रस्तावित दिल्ली-वाराणसी हाई स्पीड रेल से भी जोड़ने की योजना है, जिसके कारण दिल्ली और हवाई अड्डे के बीच का सफर मात्र 21 मिनट का हो जाएगा।
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