कोरोना की वैक्सीन लोगों को गंभीर COVID-19 और कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मौत से बचाने में कारगर है लेकिन फिर भी इसकी वैक्सीन को लेकर गलत और भ्रामक दावे वायरल हो रहे हैं। लोगों के मन में वैक्सीन के सामान्य साइड इफेक्ट और बेहद ही कम देखे गए कुछ प्रतिकूल प्रभावों के जोखिम को लेकर डर फैलाया जा रहा है।
लोगों को यह कहकर डराया जा रहा है कि कोविड के टीके से Guillain-Barre Syndrome या जीबी सिंड्रोम नाम का एक न्यूरोलॉजिकल विकार हो जाएगा। इस दावे में कितनी सच्चाई है और असल में आपको किन चीज़ों को लेकर सावधान रहना है, हम यहां समझा रहे हैं।
Guillain-Barre Syndrome एक दुर्लभ, ऑटोइम्यून विकार है। मतलब इसमें रोगों से आपकी रक्षा करने वाली प्रणाली ही शरीर पर हमला कर देती है। इसमें व्यक्ति की अपनी प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे मांसपेशियों में कमज़ोरी आ जाती है और कभी-कभी लकवा मार जाता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक ये विकार दुलर्भ है, जो प्रति 1 लाख लोगों में से कोई 1 इससे प्रभावित होता है।
मैक्स हेल्थकेयर में न्यूरोलॉजी के हेड और प्रिंसिपल डायरेक्टर डॉ. जेडी मुखर्जी बताते हैं,
इसमें नर्व के ऊपर की जो परत होती है, जिसको मायलिन बोलते हैं, वो उतर जाती है। आमतौर पर इसके पहले कोई इंफेक्शन होता है या दस्त होता है, कभी-कभी बेहद दुर्लभ मामलों में किसी वैक्सीनेशन से भी ये हो सकता है।
डॉ. मुखर्जी बताते हैं कि इस तरह के लक्षण आने पर डॉक्टर या न्यूरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए और इसकी दवा से आमतौर पर सारे मरीज़ ठीक हो जाते हैं।
जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल डोज वैक्सीन, जिसे भारत में भी आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है और एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की कोरोना वैक्सीन, जिसे भारत में हम कोविशील्ड के नाम से जानते हैं, ये वैक्सीन लगवाने वाले कुछ लोगों में टीकाकरण के बाद एक न्यूरोलॉजिकल विकार Guillain-Barre Syndrome के कुछ मामले रिपोर्ट किए गए।
अमेरिका के फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने जॉनसन एंड जॉनसन COVID वैक्सीन पर और यूरोपियन मेडिसिन्स एजेंसी (EMA) ने एस्ट्राजेनेका की COVID वैक्सीन के बेहद दुर्लभ साइड इफेक्ट की लिस्ट में Guillain-Barre Syndrome का रिस्क जोड़ा है।
EMA ने कहा है कि हाथ-पैर में कमजोरी और लकवा जैसा महसूस होने पर तुरंत मेडिकल सहायता लेनी चाहिए।
हालांकि विशेषज्ञों ने ये भी कहा कि इसका रिस्क दुर्लभ है और पूरी तरह से साफ नहीं है कि वैक्सीन इस सिंड्रोम का कारण बनी हो और कोविड वैक्सीन से मिलने वाले फायदे इसके संभावित, लेकिन दुर्लभ प्रतिकूल प्रभावों की तुलना में कहीं अधिक हैं।
किसी भी टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत टीकाकरण के बाद संभावित प्रतिकूल घटनाओं के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी जाती है और देखी जाने वाली हर प्रतिकूल घटना को दर्ज किया जाता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उसकी वजह वैक्सीन ही हो।
हम जानते हैं कि किसी भी वैक्सीन को इस्तेमाल में तभी लाया जाता है, जब वो प्रभावी और पूरी तरह से सुरक्षित होती है। कोविड की वैक्सीन सुरक्षित है और इस कोरोना महामारी से निपटने के लिए हमें इसकी जरूरत है। इसलिए लापरवाही ना करें, वैक्सीन लगवाएं और कोविड उपयुक्त व्यवहार का पालन करें।
नोट: ये स्टोरी आपकी सामान्य जानकारी के लिए है, यहां किसी बीमारी के इलाज का दावा नहीं किया जा रहा है। स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए आप डॉक्टर से सलाह लें।
यह श्रृंखला क्विंट हिंदी और ख़बर लहरिया पार्टनरशिप का अंश है। लेख क्विंट द्वारा लिखा और रिसर्च किया गया है, जिसे Youth Ki Awaaz पब्लिशर्स प्रोग्राम के तहत YKA पर प्रकाशित किया जा रहा है।
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