
याचिका में सेंट्रल विस्टा के लिए लैंड यूज बदलने वाली अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है. (फाइल फोटो)
सेंट्रल विस्टा (Central Vista) में चिल्ड्रन रिक्रिएशनल पार्क और हरित क्षेत्र का लैंड यूज बदलने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दाखिल याचिका पर केंद्र सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है. इसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता राजीव सूरी को जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 16 नवंबर को होगी.
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से याचिका पर जवाब मांगा था. याचिकाकर्ता राजीव सूरी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि सेंट्रल विस्टा के प्लॉट नंबर एक का इस्तेमाल रिक्रिएशनल सुविधाओं के लिए होना था लेकिन इसका इस्तेमाल आवासीय के लिए किया जा रहा है.
इसके जवाब में केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि वो तीन दिनों में इसका जवाब दाखिल कर देंगे और सरकार से निर्देश लेंगे. उन्होंने कहा कि उनका विचार है कि संसद का निर्माण चल रहा है, जिसमें राष्ट्रपति भवन और उपराष्ट्रपति भवन भी शामिल हैं. ऐसे में सुरक्षा क्षेत्र में रिक्रिएशनल एरिया संभव नहीं हो सकता है.
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याचिका में आरोप लगाया गया है कि भूमि उपयोग में अवैध परिवर्तन की अधिसूचना से दिल्ली के निवासियों को सामाजिक और मनोरंजक गतिविधियों के लिए उपलब्ध सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में अत्यधिक क़ीमती खुले और हरे भरे स्थान से वंचित कर दिया गया है.
सेंट्रल विस्टा परियोजना से मौजूदा इमारतों को ध्वस्त करने, विरासत भवनों को बदलने और संशोधित करने, प्रतिष्ठित इमारतों को ध्वस्त करने, 1960 के युग की ठोस इमारतों को बदलने, जिला पार्क और बच्चों के मनोरंजन पार्क के रूप में खुली जगहों पर कब्जा करने का प्रयास किया गया है, जो भारत के सभी लोगों से संबंधित हैं.
याचिका में ऐसी अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है जो भूमि उपयोग में परिवर्तन की अनुमति देती है. याचिकाकर्ता ने कहा है कि दिल्ली के निवासियों के लिए एक स्वस्थ जीवन और पर्यावरण के परिणाम के रूप में मनोरंजक खुले स्थानों के अधिकार की रक्षा की जानी चाहिए.
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