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कांग्रेस को अपना इस्तीफा देने के बाद पूर्व सांसद सुष्मिता देव टीएमसी में हुई शामिल

कांग्रेस को अपना इस्तीफा सौंपने के तुरंत बाद, पार्टी की पूर्व सांसद सुष्मिता देव सोमवार को पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गईं।उन्हें टीएमसी नेताओं और सांसदों अभिषेक बनर्जी और डेरेक ओ ब्रायन की मौजूदगी में पार्टी में शामिल किया गया।

कुछ घंटे पहले देव राज्य सचिवालय नबन्ना पहुँची। इससे पहले देव ने बनर्जी के साथ कोलकाता के कैमाक स्ट्रीट स्थित उनके कार्यालय में बैठक की।कांग्रेस की पूर्व सांसद ने रविवार को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से अपने इस्तीफे के बारे में एक पत्र लिखा।

पार्टी से इस्तीफा देने से पहले सुष्मिता देव ने ट्विटर अकाउंट पर अपना बायो बदलकर पूर्व कांग्रेस नेत्री कर दिया था। सुष्तिमा देव के इस्तीफे पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी के नेताओं का दर्द सुष्मिता देव के इस्तीफे के साथ बाहर आ गया। सिब्बल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि जब युवा नेता पार्टी छोड़कर जाते हैं तो उसका आरोप पार्टी के पुराने नेताओं और बुजुर्ग नेताओं पर लगता है।

उन्होंने कहा, “मैं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ अपने तीन दशक लंबे जुड़ाव को संजोती हूं.. आपने मुझे जो मार्गदर्शन और अवसर दिए, उसके लिए मैं व्यक्तिगत रूप से आपका धन्यवाद करती हूं।” देव दिवंगत दिग्गज कांग्रेसी संतोष मोहन देव की बेटी हैं। 2014 में पहली बार सिलचर की पारिवारिक सीट से संसद पहुंची थी।

सुष्मिता देव का कांग्रेस छोड़ना राहुल गांधी के लिए बड़ा झटका है।सुष्मिता को राहुल का करीबी समझा जाता था राहुल गांधी ने ही उन्हें महिला कांग्रेस की कमान दी थी। ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, प्रियंका चतुर्वेदी के बाद अब कांग्रेस छोड़ने वाले युवा नेताओं में सुष्मिता देव का नाम भी शामिल हो गया है। सुष्मिता देव को प्रियंका गांधी के करीब भी माना जाता था,बीते लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी उनके लिए प्रचार करने सिलचर पहुंची थीं।

पश्चिम बंगाल में सरकार चला रही टीएमसी में शामिल होकर सुष्मिता बराक वैली में ममता बनर्जी के सहारे बंगाली पहचान की राजनीति को मजबूत करने की कोशिश करेंगी। ममता ने असम में एनआरसी का विरोध किया था जिससे असम की बंगाली आबादी प्रभावित है। टीएमसी में शामिल होने से बराक वैली में भले ही सुष्मिता के पांव जम जाएं लेकिन असम के अन्य इलाकों में उन्हें मुश्किल होगी।उससे भी पहले उन्हें त्रिपुरा में अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी।