भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने आज सूचित किया है कि भारत के चार और वेटलैंड्स को रामसर सचिवालय से रामसर स्थलों के रूप में मान्यता प्राप्त हुई है। ये चार वेटलैंड साइटें गुजरात के थोल और वाधवाना और हरियाणा से सुल्तानपुर और भिंडावास में स्थित हैं। इन चार रामसर स्थानों को शामिल करने के बाद भारत में रामसर स्थानों की संख्या 46 हो जाएगी।
ज्ञात हो कि ईरान के रामसर नामक स्थान में 2 फरवरी 1971 को हुए सम्मेलन में प्रतिभागी देशों द्वारा वेटलैंड्स के रूप में स्थाई उपयोग व संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय संधि पर समझौता और हस्ताक्षर हुआ था। यह समझौता रामसर सम्मेलन के नाम से विख्यात हुआ। इस समझौते में वैश्विक स्तर पर जैवविविधता में हो रहे निरंतर परिवर्तन और हास का सम्मिलित समावेशी प्रयासों द्वारा प्रबंधन और नियमन करने के लिए इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया गया था।
ज्ञात हो कि पानी से सचुरेटेड भूभाग को आर्द्रभूमि या वेटलैंड कहा जाता है। वेटलैंड ऐसे स्थान को कहते हैं, जहां साल के 12 महीनों में से कम से कम आठ महीने पानी भरा रहता है। जैवविवधता की दृष्टि से वेटलैंड्स स्थल बहुत संवेदनशील होते हैं और विशेष प्रकार की वनस्पतियों के उगने और फलने-फूलने के कारण इनके संरक्षण की आवश्यकता होती हैं।