प्लास्टिक एक ऐसी वस्तु है जिसका आविष्कार एक बहुत बड़े क्रांति के रूप में हुआ था। प्लास्टिक अपने आप में बहुत उपयोगी है भी, मगर जब प्लास्टिक का आवश्यकता से अधिक और गैरजरूरी कार्यों में होने लगा तो यह जल, जमीन और वायु तीनों के लिए एक बड़ा पर्यावरण समस्या बन गया।
प्लास्टिक से उत्पन्न होने वाले इसी समस्या के समाधान के लिए केन्द्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी की है, जिसमें मंत्रालय ने आगामी वर्ष के 1 जुलाई से प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है।
आज 13 अगस्त 2021 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन संशोधन नियम, 2021 को अधिसूचित किया, जो 2022 तक कम उपयोगिता और उच्च कूड़े की क्षमता वाले एकल-उपयोग वाली प्लास्टिक वस्तुओं को प्रतिबंधित करता है।
अपने अधिसूचना में पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा है कि पॉलीस्टाइनिन और विस्तारित पॉलीस्टाइनिन सहित एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग, वस्तुओं को 1 जुलाई, 2022 से प्रतिबंधित किया जाएगा। ज्ञात हो कि प्लास्टिक के बनी वे वस्तुएं जिनका उपयोग बहुआयामी है और एक से ज्यादा बार होती है, उसके निर्माण और उपयोग 1 जुलाई 2022 से आगे भी जारी रहेंगे। यह प्रतिबंध सिर्फ एकल उपयोग वाले प्लास्टिक की वस्तुओं पर लागू होगा।
विदित हो कि देश के बहुत से राज्यों में अभी भी प्लास्टिक या पॉलिथीन के उत्पादन और उपयोग पर प्रतिबंध लगा हुआ है, फिर भी उक्त राज्यों के ज्यादातर हिस्सों में खुलेआम रूप से प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है। कुछ राज्यों में तो उनके सीमा के अंदर ही इसका उत्पादन भी किया जाता है। इन राज्यों में अप्रतिबंधित राज्यों से अवैध रूप से सप्लाई मिल जाती है। उम्मीद है कि भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय द्वारा लगाए जाने वाले इस प्रतिबंध से आगामी 1 जुलाई से देश में सिंगल इस्तेमाल वाले प्लास्टिक का उपयोग बंद हो जाए।