भारत ने कोरोना महामारी को रोकने की दिशा में बहुत हद तक सफलता प्राप्त की है, मगर अभी भी कोरोना के तीसरे लहर के आने का खतरा सर पर मंडरा रहा है। इसलिए भारत सरकार कोरोना महामारी के मामले में कोई भी चांस नहीं लेना चाह रही है।
इसी प्रयास के तहत भारत सरकार फूल स्पीड से कोविड के विरुद्ध वैक्सीनेशन प्रक्रिया को जारी रखे हुए है, जिसके परिणामस्वरूप देश में अभी तक 50 करोड़ से ज्यादा लोगों को कोविड की वैक्सीन दी जा चुकी है। केंद्र सरकार इस वैक्सीनेशन कार्यक्रम के अलावे भी कुछ आसान वैक्सीन विकल्पों पर रिसर्च जारी रखे हुए है, जिससे भविष्य में जब 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को वैक्सीन देने की प्रक्रिया आरंभ हो तो बच्चों सहित संवेदनसील लोगों पर वैक्सीन का कोई भी दुष्प्रभाव न पड़ने पाए।
सरकार के इसी प्रयास के मद्देनजर आज एक सफलता हाथ लगी है, जब नियामक द्वारा भारत बायोटेक द्वारा विकसित पहली नोजल वैक्सीन के दूसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी मिल गई है।
इस बारे में केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जानकारी देते हुए बताया था कि जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) और उसके पीएसयू, जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) द्वारा समर्थित और भारत बायोटेक द्वारा विकसित पहली नोजल वैक्सीन (नाक से दी जाने वाली वैक्सीन) के दूसरे चरण के परीक्षण के लिए नियामक की मंजूरी मिल गई है।
ज्ञात हो कि इस नोजल वैक्सीन के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूर्व में जिक्र कर चुके हैं और आज इसके दूसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी ने इस वैक्सीन के जल्द उपलब्धता की ओर एक कदम को आगे बढ़ाया है। इस नोजल वैक्सीन के आ जाने से न सिर्फ वैक्सीनेशन कि प्रक्रिया तेज आएगी, बल्कि साथ ही कोविड वैक्सीन लगवाने से डरने वाले लोगों की संख्या भी कम होगी। इससे देश कोविड के विरुद्ध लड़ाई में अंतिम सफलता को पा सकेगा।
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