सारनाथ भारत के उत्तर प्रदेश के गंगा और वरुण नदियों के संगम के पास वाराणसी से 10 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में स्थित एक छोटा सा गांव है। ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश यहीं सारनाथ में ही दिया था जिसे ‘धर्म चक्र प्रवर्तन’ का नाम दिया जाता है और जो बौद्ध मत के प्रचार-प्रसार का आरंभ था। सारनाथ बौद्ध धर्म के चार प्रमुख तीर्थों में से एक है। बौद्ध धर्म के अलावा सारनाथ को जैन धर्म और हिन्दू धर्म में भी महत्व प्राप्त है। जैन ग्रन्थों में इसे सिंहपुर कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म यहां से थोड़ी दूर पर हुआ था। यहां पर सारंगनाथ महादेव का मन्दिर भी हैं। सारंगनाथ मंदिर में एक ही अर्घ में दो शिवलिंग हैं। यह श्रावण माह (जुलाई-अगस्त) के दौरान जारी रहने वाले अपने भव्य मेले के लिए प्रसिद्ध है।सारनाथ एक तीर्थस्थल होने के साथ ही लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण रहा है और यह अपने सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ रहस्यों के लिए भी जाना जाता है। सारनाथ में कई मंदिर, मठ, संग्रहालय, और उद्यान यहां के प्रमुख आकर्षण हैं जो बौद्ध धर्म और उसके इतिहास को समर्पित हैं, और चौखंडी स्तूप हर साल कई पर्यटकों को आकर्षित करने वाले सबसे प्रमुख लोगों में से एक है। तो जानते हैं यहां के पर्यटक स्थलों के बारे में।
अशोक स्तंभ :
सारनाथ में महान सम्राट अशोक ने कई स्तूप बनवाए थे। उन्होंने यहां प्रसिद्ध अशोक स्तंभ का भी निर्माण करवाया, जिनमें से अब कुछ ही शेष बचे हैं। इन स्तंभों पर बने चार शेर आज भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है। वहीं स्तंभ के चक्र को राष्ट्रीय ध्वज में देखा जा सकता है।
डीयर पार्क :
डीयर पार्क भी बड़ी संख्या में पर्यटकों का अपनी ओर खींचता है। यही वह जगह है जहां गौतम बुद्ध ने पहला उपदेश दिया था। इतना ही नहीं, डीयर पार्क में स्थित धमेख स्तूप वो जगह है, जहां पर गौतम बुद्ध ने ‘आर्य अष्टांग मार्ग’ का संदेश दिया था।
चौखंडी स्तूप :
सारनाथ में कई स्तूपों में से एक है चौखंडी स्तूप, जहां बुद्ध की हड्डियां रखी गई हैं। पुरातात्विक और खुदाई के क्षेत्र में जमीन से कई प्रचीन स्मारक निकली हैं।
सारनाथ म्यूजियम :
सारनाथ म्यूजियम में पर्यटक 3 शताब्दी ईसा पूर्व से 12 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से सम्बंधित वस्तुऐं देख सकते हैं। खुदाई के दौरान मिली शिल्पकृतियों को रखा गया हैं।
मूलगंध कुटी बिहार :
मूलगंध कुटी बिहार, को 1931 में महाबोधि सोसाइटी ने बनवाया था। पहले धर्मोपदेश प्रचार करने की मुद्रा में भगवान बुद्ध की स्वर्ण प्रतिमा की यहाँ पूजी जाती है। भगवान बुद्ध के अवशेष यहाँ रखे है, जो हर साल बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर बाहर लाये जाते है।
हीनयान बुद्ध मंदिर :
हरे भरे बागों के बीच में स्थापित शानदार हीनयान बुद्ध मंदिर का निर्माण 1993 में सारनाथ देखने आये थाई गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया था। यहाँ भगवानबुद्ध की प्रतिमा भूमिस्पर्श मुद्रा में है।