देश में कई बार यह देखने को आता है कि किसी राज्य में कोई सरकार चुन कर आती है तो वह अपने नेताओं और मंत्रियों के ऊपर से आपराधिक और सिविल मुकदमों को हटाने का फैसला सुना देती है। मगर आज के बाद से ऐसा नहीं हो पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने आज एक फैसला सुनाया है, जिसके तहत कोई भी सरकार अब ऐसा नहीं कर पाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने आज 10 अगस्त को राजनीति में अपराधीकरण को रोकने के लिए दो महत्वपूर्ण फ़ैसलें सुनाए हैं। पहले फैसले के तहत चुनावों के समय अब सभी राजनीतिक पार्टियों को अपने उम्मीदवारों की घोषणा के 48 घंटों के भीतर उम्मीदवारों के ऊपर दर्ज मुकदमों की जानकारी को पब्लिश करनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आरएफ नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने इस संबंध में अपने 13 फरवरी, 2020 के फैसले में निर्देश को संशोधित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पूर्व के आदेश में कहा था कि उम्मीदवारों के चयन के 48 घंटों के भीतर या नामांकन दाखिल करने की पहली तारीख से कम से कम दो सप्ताह पहले उनका विवरण प्रकाशित करना होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक पार्टियों को उम्मीदवारों के घोषणा के 48 घंटे के भीतर मुकदमों की जानकारी देनी होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण रोकने के संदर्भ में एक दूसरा फैसला सुनाया है, जोकि काफी ऐतिहासिक है। उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ कोई आपराधिक मामला संबंधित राज्य के हाईकोर्ट की मंजूरी के बगैर वापस नहीं लिया जा सकता है।
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