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डाउनलोड करेंकेंद्र सरकार ने सैटेलाइट मैपिंग के जरिए पूर्वोत्तर राज्यों का सीमा विवाद सुलझाने का फैसला किया है। अधिकारियों ने बताया कि मैपिंग का काम नॉर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लिकेशन सेंटर (NESAC), डिपार्टमेंट ऑफ स्पेस (DoS) और नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल (NEC) को दिया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कुछ महीने पहले सैटेलाइट मैपिंग के जरिए राज्यों की सीमाओं के सीमांकन का सुझाव दिया था। शाह ने पूर्वोत्तर में सीमाओं और जंगलों की मैपिंग के लिए NESAC की मदद लेने की बात कही थी। शिलांग स्थित NESAC पहले से ही इस इलाके में फ्लड मैनेजमेंट के लिए स्पेस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रहा है।
वैज्ञानिक तरीके से बंटवारे में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं
अधिकारी ने कहा कि सीमाओं का बंटवारा वैज्ञानिक तरीके से होगा तो गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं होगी। राज्य भी इसे मानने के लिए तैयार होंगे। एक बार सैटेलाइट मैपिंग हो जाने पर पूर्वोत्तर राज्यों की सीमाएं तय हो जाएंगी और विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा।
असम-मिजोरम की विवादित सीमा पर हिंसा में असम पुलिस के 5 जवानों समेत 6 लोगों की मौत हो गई थी। 50 से अधिक घायल हुए। इस हिंसा ने पूरे देश का ध्यान पूर्वोत्तर के दो राज्यों के सीमा विवाद की ओर खींचा। असम का विवाद सिर्फ मिजोरम से नहीं है, बल्कि उन सभी 6 राज्यों से है, जिनके साथ वह सीमा साझा करता है। हिंसक संघर्ष के बाद दोनों ने एक-दूसरे पर अवैध अतिक्रमण के आरोप लगाए हैं।
बॉर्डर पर हुई झड़पों की CBI जांच कराने की योजना नहीं
वहीं, केंद्र ने साफ किया है कि असम-मिजोरम सीमा पर हुई झड़पों की CBI जांच कराने की कोई योजना नहीं है। विवाद को बातचीत से शांति भरे माहौल में निपटाया जाएगा। सरकार के दो सीनियर अधिकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहती है जिससे जमीनी स्थिति और खराब हो।
उन्होंने बताया कि गृहमंत्री शाह असम और मिजोरम के मुख्यमंत्रियों (हिमंत बिस्वा सरमा, जोरमथांगा) से लगातार संपर्क में हैं। वहीं, जोरामथांगा ने कहा है कि पूर्वोत्तर भारत हमेशा एक रहेगा। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा उनके भाई की तरह हैं और वे इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझा लेंगे।
असम-मिजोरम के बीच जमीन को लेकर यह विवाद क्या है?
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