एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्डरिंग एक्ट के तहत श्री लाल महल लिमिटेड की 7.50 करोड़ की संपत्ति को अटैच कर दिया गया है। अटैच की गयी संपत्ति में गोल्ड ज्वेलरी, सिल्वर ज्वेलरी और कॅश भी शामिल है। एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट ने डायरेक्टर ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआइ) की शिकायत के आधार पर कस्टम एक्ट के अंतर्गत जांच शुरू की थी।
डीआरआइ अधिकारी के अनुसार श्री लाल महल लिमिटेड कंपनी विदेश से जीरो इम्पोर्ट ड्यूटी पर सोना मंगाकर उसके गहने तैयार करती है। जिसे सिर्फ एक्सपोर्ट ही किया जा सकता है। नोटबंदी के बाद कंपनी ने 430 किलो सोना मंगाया जिसे एक्सपोर्ट करने कि बजाय भारत के घरेलू बाजार में बेच दिया गया।
कंपनी ने नोटबंदी के दौरान 140 करोड़ रुपये के कालाधन को 430 किलो सोना बता दिया था । नोटबंदी के बाद कालाधन छुपाने के इस षड़यंत्र का पर्दाफाश डाक्रेक्टोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने नोएडा के छापामारी के दौरान किया था। इस सोने के कीमत आज के भाव के अनुसार 140 करोड़ रुपये हैं।
कंपनी ने मेटल एंड मिनरल ट्रेडिंग कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया के माध्यम से विदेश से बड़े पैमाने पर सोने की खरीदारी की है । इसके लिए कंपनी ने अपने एक कंपनी बिंद्रा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड ने आरटीजीएस के जरिये बड़ी अमाउंट ट्रांफर की और उस रकम से विदेश से सोना ख़रीदा गया।
जिस बिंद्रा सेल्स प्राइवेट लिमिटेड के जरिये एमएसटीसी से सोना खरीदा गया, उसी कंपनी के जरिये श्री लाल महल ने पुराने नोट के बदले भारतीय बाजार में सोना बेच दिया। कंपनी ने ड्यूटी फ्री इंपोर्टेड गोल्ड को डायवर्ट कर 17.50 करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी की चोरी की है। डीआरआइ अधिकारी अब आगे की जांच में यह देख रखे है कि भारत में किन-किन लोगों ने यह सोना खरीदा है।
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