नम आंखों के साथ दानिश सुपुर्द ए खाक !

न्यूज डेस्क ।Twocircles.net

अफगानिस्तान में रिपोर्टिंग के दौरान मारे गए भारतीय पत्रकार दानिश सिद्दीकी को रविवार देर रात दिल्ली में सुपुर्द-ऐ-खाक़ कर दिया गया। एक मुठभेड़ के दौरान तालिबान लड़ाकों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान ने उनके पार्थिव शरीर को वर्ल्डवाइड पिंक क्रॉस कमेटी (आईसीआरसी) को सौंप दिया था। इसकी जानकारी भारत सरकार को भी दी गई थी, जिसके बाद भारत सरकार ने उनके शव को वापस भारत लाने की प्रक्रिया की थी। दानिश सिद्दीकी का नाम दुनिया के टॉप फोटो जर्नलिस्ट में शामिल था।


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शहीद दानिश का पार्थिव शरीर रविवार शाम 7 बजे इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा के टर्मिनल 3 पर पहुंचा, जिसे अल्पसंख्यक आयोग के वाइस चेयरमैन आतिफ रशीद और कुछ परिचितों ने प्राप्त किया। वहां से एंबुलेंस में सिद्दीकी के शव को गफ्फार मंजिल स्थित उनके आवास पर लाया गया और पूरे सम्मान के साथ उनके परिजनों को सौंप दिया गया। लगभग 10 बजे हजारों लोगों की मौजूदगी में जामिया कैंपस में उनके जनाजे की नमाज़ अदा की गई। और बाद नमाज़े जनाजा उनके शव को जामिया मिल्लिया इस्लामिया के ही कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक़ कर दिया गया। कोरोनाकाल को देखते हुए लोगों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का भी खासा ख्याल रखा जा रहा था।

इससे पहले जामिया मिल्लिया इस्लामिया (जेएमआई) के कुलपति से अनुरोध किया गया था कि दानिश सिद्दीकी के शव को विश्वविद्यालय के कब्रिस्तान में दफनाने दिया जाए। जिस अनुरोध को कुलपति ने स्वीकार कर लिया था। आपको बता दें कि ये कब्रिस्तान विशेष रूप से विश्वविद्यालय के कर्मचारियों, उनके जीवनसाथी और नाबालिग बच्चों के लिए ही है। हालांकि दिवंगत फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी की देश के प्रति सेवा को देखते हुए ये अपवाद कदम उठाया गया।

एजेके मास कम्युनिकेशन के कार्यवाहक निदेशक ने बताया, “दानिश हमारे हॉल ऑफ फेम में सबसे चमकीले सितारों में से एक थे। वो अक्सर अपने अनुभवों को साझा करने के लिए छात्रों से मिलने आया करते थें। हम उन्हें मिस किया करेंगे लेकिन उनकी स्मृति को भी जीवित रखेंगे।” प्रोफ़ेसर सबीना गाडीहोक ने कहा कि उनकी तस्वीरें काफी गहरी है, लेकिन उन्होंने कभी भी अपने फ्रेम के भीतर की गरिमा से समझौता नहीं किया।

दानिश सियासत रॉयटर्स के लिए अफगानिस्तान और तालिबान के बीच के तनाव को कवर कर रहे थे। जहां शुक्रवार को कंधार के स्पिन बोल्डक इलाके में अफगानिस्तानी सेना और तालिबान के बीच के संघर्ष को कैमरे में उतारते समय उनकी मृत्यु हो गई। अफगानी अधिकारियों ने मौत की वजह तालिबान के तरफ से चल रही गोलीबारी को बताया है जबकि तालिबान ने इस घटना में उनका कोई हाथ होने से इंकार कर दिया है। हालांकि अभी पूरे मामले की जांच चल रही है।

एक हिंदुस्तानी न्यूज चैनल को दिए अपने बयान में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, “हमें नहीं पता की पत्रकार किसकी फायरिंग के दौरान मारा गया था,” प्रवक्ता ने इस बात से भी इंकार कर दिया की उन्हे नही पता की मौत कैसे हुई। हालांकि प्रवक्ता ने दानिश सिद्दीकी की मौत पर खेद जताया है और साथ ही ये भी कहा कि वार जोन में जाने से पहले पत्रकारों को उन्हे सूचित किया जाना चाहिए ताकि वो उस व्यक्ति विशेष का ध्यान रख सकें।

इधर उनकी मौत पर विश्व के कोने-कोने से शोक संदेश आएं। अमेरिका के तरफ से स्टेट डिवीजन की प्रवक्ता जलिना पोर्टर ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि सिद्दीकी की उनके काम के वजह से पहचान थी। वह अपनी फोटोज़ के माध्यम से मानवीय चेहरों में छिपी भावनाओं को प्रकट करते थे। पोर्टर ने कहा कि सिद्दीकी का निधन पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने तालिबान से भी हिंसा रोकने की अपील की और कहा कि अफगानिस्तान की प्रगति आपसी बातचीत के जरिए की जा सकती है।

सीपीजे एशिया कार्यक्रम के समन्वयक स्टीव बटलर ने भी उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि दानिश सिद्दीकी का निधन एक दुखद घटना है, भले ही अमेरिका और उसके सहयोगी अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को हटा लें, लेकिन पत्रकार अपना काम जारी रखेंगे। उन्होंने तालिबान से अपील करते हुए कहा कि तालिबान लड़ाकों को भी पत्रकारों की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

दानिश सिद्दकी का बचपन दिल्ली में ही गुजरा था। उन्हे बचपन से ही फोटोज के प्रति काफी रुचि थी। 2005-2007 में जेएमआई से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिप्लोमा करने के बाद, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत न्यूज चैनलों के संवाददाता के रूप में किया। और बाद में अपनी रुचि को महत्व देते हुए 2010 में, एक विश्व सूचना कंपनी, रॉयटर्स से जुड़ गए। वो रॉयटर्स के लिए भारत से मुख्य फोटो जर्नलिस्ट थें। उन्हें कुछ समय पहले ही 2018 में पुलित्जर अवार्ड से भी नवाज़ा गया था। उनके पिता प्रो. अख्तर सिद्दीकी जामिया मिल्लिया इस्लामिया में कॉलेज ऑफ स्कूलिंग के डीन के पद से सेवानिवृत्त हैं।

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