आज़ादी के 74 वर्ष बाद भी आज देश बड़ी चुनौतियों से जूझ रहा है। देश मे बढ़ती महंगाई दर आम जनमानस के लिए एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। देश में निम्न वर्ग से लेकर मध्यम वर्ग आज आसमान छूती हुई इस मंहगाई का सामना कर रहा है। देश में युवाओं की बढ़ती हुई बेरोजगारी भी आज के समय में एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। 

कोरोना महामारी जैसी बड़ी चुनौती से निपटना भी केंद्र और राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। कोरोना की पहली लहर से लेकर दूसरी लहर की लॉकडाउन की चरणबद्ध प्रक्रिया में देश के करोड़ों नौकरीपेशा लोगों को अपनी नौकरी तक गवानी पड़ी है। एक नए अध्ययन के अनुसार देश में अब 1 करोड़ से ज़्यादा लोग गरीबी रेखा के स्तर से नीचे आ गए हैं।

देश मे 50 प्रतिशत से ज़्यादा लोगों को रोज़गार लघु और मध्यमवर्गीय उद्योगों से मिलता है, परंतु देश का लघु उद्योग आज बुरी तरह दयनीय स्थिति से गुज़र रहा है। शहरी क्षेत्रों से लोगों का पलायन लगातार ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ हो रहा है।

पिछले वर्ष मोदी सरकार के द्वारा 20 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया गया था, जिसका एक बड़ा हिस्सा लघु एवं मध्यमवर्गीय उद्योगों के लिए था, परंतु सरकार के इन प्रयासों के बावजूद भी देश में ऑटोमोबाइल उद्योग, पर्यटन उद्योग से जुड़े लाखों लोगों को कोरोना के चलते बेरोजगार होना पड़ा है।

केंद्र सरकार और देश की अलग-अलग राज्य सरकारों की तरफ से भी जनता को सहूलियत दी जा रही है। हाल ही में मोदी सरकार के द्वारा देश के 75 करोड़ लोगों को दीपावली तक फ्री राशन देने की घोषणा से गरीबी रेखा में जीवनयापन करने वाले लोगों को कुछ हद तक राहत महसूस हुई है।

हाल ही में दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की  सरकार द्वारा दिल्ली के ऑटो ड्राइवर और मज़दूरों को सरकार की तरफ से नगद राशि दी गई थी, जिससे गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को इस राशि से बड़ी राहत मिली है और ऐसे ही अन्य राज्य सरकारों की तरफ से भी गरीब लोगों को नगद राशि दे कर मदद करने की घोषणा की गई है, परंतु यह समाधान स्थायी नहीं है। 

केंद्र सरकार को देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए देश के गरीब लोगों को नगद राशि की मदद देनी चाहिए, जिससे देश की ग्रामीण क्षेत्रों की मांग को बढ़ा कर देश की गिरती अर्थव्यवस्था को गति दी जा सके और आम जनमानस के लिए रोज़गार के नए अवसर सृजन हो सकें। 

हाल ही में मोदी सरकार के मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल में युवा चेहरों को प्राथमिकता दी गई है, इसमें वकील, डॉक्टर, इंजीनियर और नौकरशाह को मंत्रिमंडल में चुना जाना सरकार का एक बहुत अच्छा कदम है, जिससे आम जनमानस एवं सरकार को यह उम्मीद बड़ी है कि देश की गंभीर चुनौतियों जैसे देश की जीडीपी में लगातार गिरावट होना, बढ़ती महंगाई, बढ़ती बेरोजगारी, देश में बंद होते लघु ओर मध्यम उद्योग इस नए केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होंगे। 

Youth Ki Awaaz के बेहतरीन लेख हर हफ्ते ईमेल के ज़रिए पाने के लिए रजिस्टर करें

You must be logged in to comment.