
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: ishwar ashish
Updated Mon, 05 Jul 2021 10:45 AM IST
सार
सीबीआई ने रिवरफ्रंट घोटाले में लखनऊ सहित कई राज्यों और अलग-अलग जिलों में कई ठिकानों पर छापेमारी की है। मामले में दर्जनों अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है।
ख़बर सुनें
विस्तार
बता दें कि सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन विंग ने रिवर फ्रंट घोटाले में करीब दर्जनों लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। यूपी में लखनऊ के अलावा, नोएडा, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रायबरेली, सीतापुर, इटावा और आगरा में छापेमारी की गई है। रिवरफ्रंट घोटाले सपा सरकार में हुए जिसमें छापेमारी शुरू कर दी गई है।
दरअसल, रिवरफ्रंट घोटाले के आरोप समाजवादी पार्टी सरकार पर लगते रहे हैं। रिवरफ्रंट सपा सरकार में गोमती नदी के किनारे बनवाया गया था जिसका सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव प्रचार करते रहे हैं।
प्रदेश में 2017 में भाजपा सरकार आने पर मामले की जांच की बात कही गई थी जिसके बाद से कई अफसरों के खिलाफ अब तक एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। मामले में अब फिर से छापेमारी का दौर शुरू हो चुका है।
करीब 1500 करोड़ रुपये के इस घोटाले की जांच फिलहाल सीबीआई कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय भी मनी लांड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच कर रहा है।
राज्य सरकार ने चार साल पहले घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति की थी। उससे पहले अप्रैल 2017 में प्रदेश सरकार ने रिवर फ्रंट घोटाले की न्यायिक जांच के आदेश दिए थे।
जांच के बाद गोमती नगर थाने में कई अधिकारियों के खिलाफ कमेटी ने एफआईआर दर्ज कराई थी। उसी एफआईआर को आधार बनाकर सीबीआई ने रिपोर्ट दर्ज की थी। एक इंजीनियर रूप सिंह की गिरफ्तारी इस मामले में कुछ ही दिन पहले की गई थी। रिवर फ्रंट परियोजना के तहत अकेले सिंचाई विभाग ने 800 से अधिक टेंडर जारी किए थे। इनमें नियमों को दरकिनार कर ठेकेदारों को काम दिया गया था। उस समय लखनऊ खंड शारदा नहर के अधिशासी अभियंता रूप सिंह के खिलाफ सीबीआई को पर्याप्त सुबूत मिले थे।