अमर उजाला विशेष: कोरोना के नौ वैरिएंट ने दुनिया में अब तक मचाई तबाही, तीन अकेले डेल्टा से जुड़े

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दूसरी लहर कम होने के साथ डेल्टा प्लस के मामले बढ़ने पर केंद्र सरकार ने राज्यों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। इस वैरिएंट को सरकार ने गंभीर बताया है क्योंकि दुनिया भर में अब तक वायरस के नौ वैरिएंट ने तबाही मचाई है और उसमें तीन वैरिएंट अकेले डेल्टा से ही जुड़े हैं। डेल्टा वैरिएंट इतना ताकतवर है कि एक व्यक्ति से एक ही दिन में यह 90 और 15 दिन के भीतर 1350 लोगों को चपेट में ले रहा है। 

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पहली लहर के दौरान भारत सहित दुनिया भर में अल्फा वैरिएंट ही सबसे ज्यादा मिल रहा था जो एक व्यक्ति से एक ही दिन में 20 से 30 लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखता था। अब तक आठ लाख से अधिक सीक्वेंसिंग में यह अल्फा वैरिएंट की पुष्टि हो चुकी है लेकिन डेल्टा वैरिएंट इससे कहीं गुना अधिक न सिर्फ फैलता है बल्कि यह उन लोगों को भी संक्रमित करता है जिनमें कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बन चुकी हैं। दूसरी लहर में मिला यह वैरिएंट अब तक दुनिया भर में सात लाख से भी अधिक सीक्वेंसिंग में पाया जा चुका है।

भारत में अभी 28 लैब में जीनोम सीक्वेंसिंग चल रही है। भारत सरकार के डीबीटी विभाग और नई दिल्ली स्थित आईजीआईबी संस्थान की निगरानी में यह सीक्वेंसिंग की जा रही है। आईजीआईबी के ही डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि वायरस के अलग अलग वैरिएंट को लेकर हाल ही में सामने आए अध्ययन से पता चला है कि कोरोना के वैरिएंट जन स्वास्थ्य और एंटीबॉडी हासिल कर चुकी आबादी के लिए चुनौतीपूर्ण रह सकते हैं। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले बीटा वैरिएंट में जो म्यूटेशन हुआ था, वही डेल्टा में भी हुआ जिसके चलते डेल्टा प्लस सामने आया। भले ही डेल्टा प्लस के मामले अभी कम हो लेकिन इस पर निगरानी बेहद जरूरी है।

कोरोना के इन वैरिएंट से मची है तबाही

अल्फा:
अभी तक जिन नौ वैरिएंट ने दुनिया भर में तबाही मचाई है उनमें सबसे ज्यादा अल्फा वैरिएंट फैला था। यह सबसे पहले ब्रिटेन में मिला था अब तक 8,85,722 सैंपल की सीक्वेंसिंग में इसकी पुष्टि हो चुकी है। डब्ल्यूएचओ और सीडीसी ने इसे गंभीर वैरिएंट घोषित किया था। अल्फा वैरिएंट में ही एक और म्यूटेशन हुआ था। यह भी ब्रिटेन में ही सबसे पहले मिला और अब यह दोनों वैरिएंट दुनिया के 90 से भी अधिक देशों में मिल चुका है। दोनों गंभीर श्रेणी में हैं। 

गामा: सबसे पहले ब्राजील में मिला यह वैरिएंट अब तक दुनिया भर के 37,416 सीक्वेसिंग में मिल चुका है। यह अब तक 65 से अधिक देशों में है। इस वैरिएंट में भी अब तक दो और म्यूटेशन हो चुके हैं लेकिन उनके बहुत अधिक मामले अब तक सामने नहीं आए हैं। हालांकि डब्ल्यूएचओ और सीडीसी ने इन तीनों ही वैरिएंट को गंभीर की श्रेणी में रखा है।

बीटा : दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले मिला यह वैरिएंट अब तक दुनिया के 80 से अधिक देशों में है। दुनिया भर में 24,523 सैंपल की सीक्वेंसिंग में यह मिल चुका है। इसमें एक ही म्यूटेशन हुआ था लेकिन उसके बहुत अधिक मामले सामने नहीं आए। यही म्यूटेशन अब डेल्टा में हुआ है जिसके मामले अब सामने आ रहे हैं। बीटा भी गंभीर श्रेणी में है।

डेल्टा : सबसे पहले भारत में मिले डेल्टा वैरिएंट और इसमें दो म्यूटेशन होने के बाद यह तीनों गंभीर श्रेणी में हैं। अब तक 80 से अधिक देशों में मिल चुके हैं। डेल्टा वैरिएंट 64,449 सैंपल में मिल चुका है। जबकि डेल्टा प्लस 155 और एवाई.2 वैरिएंट 87 सैंपल में मिल चुका है। यह तीनों गंभीर श्रेणी में रखे गए हैं।

वायरस के ये सभी स्वरूप भारत में मिल चुके हैं। इनके अलावा ईटा, कापा, लोटा वैरिएंट भी हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक अभी अध्ययन कर रहे हैं। जल्द ही इनसे जुड़ा आधिकारिक जीनोमिक सर्विलांस बुलेटिन जारी किया जाएगा।

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