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गुलाम को हुए 23 वर्ष, संगीतकार ललित पंडित ने इस तरह बनाया आती क्या खंडाला

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आमिर खान की आवाज में गुलाम का हिट गीत आती क्या खंडाला कम्पोज करने वाली लोकप्रिय जतिन-ललित की जोड़ी के संगीतकार ललित पंडित ने बताया कि यह गीत कैसे बना।

ललित कहते हैं, “एक मजेदार घटना मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूं। फिल्म सिटी में गुलाम का बहुत बड़ा सेट था, उस सेट पर एक पूरा मोहल्ला बनाया गया था। हम सभी सेट देखने जा रहे थे। आमिर, निर्देशक विक्रम भट्ट, मेरे भाई जतिन और मैं एक कार में सवार हो गए। हम रास्ते में संगीत की योजना बना रहे थे, तब मैंने आमिर को रमेश सिप्पी की सागर का गाना सागर जैसी आंखों वाली ये तो बता तेरा नाम है क्या गुनगुनाते सुना मुझे आमिर खान की आवाज पसंद आई।

तभी मुझे आमिर को गुलाम फिल्म के लिए गवाने का आइडिया सूझा। मैंने उन्हें सुझाव दिया कि तुम गाना क्यों नहीं गाते? आमिर को लगा कि मैं मजाक कर रहा हूं। उन्होंने जवाब दिया, अरे क्या यार! मैं कहां गाना-वाना गा सकता हूं। लेकिन मैंने जिद की और कहा कि नहीं, आमिर आपकी वोकल टेक्सचर माइक फ्रेंडली है। हम एक गाना बना सकते हैं जो आपकी आवाज के अनुकूल हो। तो वे मान गए।

ललित और उनके भाई जतिन ने महसूस किया कि यह बड़ी जिम्मेदारी है। ललित कहते है, “आमिर का गाना कोई छोटी बात नहीं थी। उनके प्रशंसकों को उनसे कुछ खास की उम्मीद होगी। उन दिनों हमारे पास गाने के लिए गोविंदा और संजय दत्त जैसे कई सितारे थे। सलमान को गाने का भी शौक था। शाहरुख खान भी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी के एक गाने का हिस्सा थे। निर्देशक विक्रम भट्ट को आमिर के गाने का आइडिया पसंद आया।” लेकिन सवाल था, गाओ क्या ?

ललित कहते हैं, “चूंकि गुलाम में आमिर की भाषा रंगीला की तरह एक बंबइया टपोरी की थी इसलिए हमने उसी के अनुसार एक गीत की रचना करने का फैसला किया, आमिर उत्साहित थे, लेकिन सतर्क थे। उन्होंने कहा, कृपया मेरी रेंज के अनुकूल ही कुछ लिखें। मैं इसे तभी गाऊंगा, जब मुझे यकीन हो जाए कि यह मेरे लिए अच्छा होगा। हमने उन्हें आश्वासन दिया कि इस गाने को उनकी स्वीकृति के बाद ही रिकाॅर्ड किया जाएगा। हम फिल्मसिटी के रास्ते में गाने के सभी डिटेल्स पर चर्चा करते रहे, उदाहरण के लिए नायक एक टपोरी था इसलिए वह कविता नहीं गाएगा …हम संभावनाओं पर चर्चा करते रहे। उस रात सेट पर जाने के बाद हम गाने को कंपोज करने के लिए जुट गए। अगली सुबह निर्देशक विक्रम भट्ट फोन पर बहुत उत्साहित थे। वे यही सोच रहे थे कि आमिर के गायन में आखिर क्या खास होगा। इसके लिए उन्होंने बाकी सब कुछ रोक दिया था। ”

अब आमिर के लिए परफेक्ट टपोरी गाने की तलाश शुरू हो गई। ललित कहते हैं, “हमें सही गीत नहीं मिला। गुलाम में नितिन रायकवार सहायक थे। वे आती क्या खंडाला का आइडिया लेकर आए। नितिन बहुत प्रतिभाशाली है। हमने एक धुन तैयार की और नितिन को गीत लिखने के लिए कहा। नितिन ने ऐ क्या बोलती तू लिखा।

इस बीच मिस्टर परफेक्शनिस्ट गाने के लिए तैयार हो रहे थे। ललित याद करते हैं। “जब भी आमिर जतिन से गाने पर चर्चा करने के लिए आते और मैं उनसे उनका कोई पसंदीदा गाना गाने के लिए कहता ताकि हमें पता चले कि वे कौन से नोट्स में सहज थे। हमने पाया कि वे 4-5 नोट्स में ठीक थे। मैंने आमिर की रेंज को नोट किया और उसी रेंज में गाना कंपोज किया। यदि आप फिर से आती क्या खंडाला सुनेंगे तो आप पाएंगे कि इसमें गाने से ज्यादा तो आपसी बातचीत है।

गुलाम की टीम को यह धुन काफी पसंद आई। ललित के अनुसार, “जब हमने गाना बजाया तो मुकेश, महेश और विक्रम सहित सभी ने खूब पसंद किया। आमिर को भी गाना अच्छा लगा, लेकिन उन्होंने कहा कि वे इसे तभी गाएंगे, जब वे पूरी तरह सहज होंगे। उन्होंने हमसे वादा लिया कि उसके परिवार में किसी को भी पता नहीं चलना चाहिए कि वे गुलाम के लिए गा रहे हैं, क्योंकि उन्होंने कभी भी आमिर को एक गायक के रूप में नहीं सोचा था। आमिर ने हमसे गाने का पूर्वाभ्यास करने के लिए कुछ समय देने की बात कही। दी। आमिर बहुत व्यस्त थे, वैसे ही जतिन और मैं भी थे। आमिर आधी रात के आसपास गाने की रिहर्सल करने के लिए आते और फिर हम हर रात परफेक्शनिस्ट के साथ लगभग 90 मिनट तक रिहर्सल करते। ”

अब गीत रिकॉर्ड करने का समय आया। ललित बताते हैं, “जब वास्तव में गाने की रिकॉर्डिंग की बात आई तो आमिर ने सिर्फ 30 मिनट में पूरा गाना गा दिया। और क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि उन्हें गायन के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था ?

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