किशन कुमार, नई दिल्ली
Published by: दुष्यंत शर्मा
Updated Mon, 21 Jun 2021 04:23 AM IST
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सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में इस बार कई ऐसे छात्र हैं जो कोरोना महामारी की वजह से परीक्षा देने से चूक गए हैं। इसकी प्रमुख वजह है कोरोना महामारी की चपेट में आना। क्योंकि, कोरोना की दूसरी लहर के बीच कई छात्र और उनके परिजन भी कोरोना की चपेट में आ गए थे। इस वजह से कई छात्र आंतरिक मूल्यांकन परीक्षाओं में भी शामिल नहीं हो सके थे। इसे लेकर छात्रों को भी चिंता सता रही थी कि परीक्षा में शामिल न होने की वजह से उनके परिणाम पर इसका असर पड़ेगा।
छात्रों ने फैसले को सराहा
पटेल नगर स्थित एसडी सीनियर सेंकेडरी स्कूल के एक छात्र मृदुल गुप्ता ने कहा कि गत वर्ष जनवरी में उन्हें कोरोना हो गया था। इस वजह से प्री बोर्ड परीक्षा में वह शामिल नहीं हो सके। इसके बाद कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच स्थिति और भी खराब हो गई थी। उन्हें डर था कि मूल्यांकन के दौरान उनके प्री बोर्ड के अंक नहीं जुड़ सकेंगे। हालांकि, अब उम्मीद है क्योंकि, सीबीएसई बहुविकल्पीय के आधार पर मूल्यांकन की नीति को अपना रहा है।
दरियागंज स्थित एक नामी निजी स्कूल के छात्र रोशन चौहान ने कहा कि गत वर्ष वह व उनका पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आ गया था। इस वजह से वह आंतरिक मूल्याकंन परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सके थे। बाद में परीक्षाएं रद्द होने पर और भी चिंता बढ़ गई थी। बोर्ड की ओर से लिया गया यह निर्णय सराहनीय है।
दिव्यांगजनों को भी मिलेगी छूट
बोर्ड ने नए फॉर्मूले के तहत दिव्यांगजनों को भी राहत प्रदान की है। ऐसे छात्रों को भी स्कूल में आंतरिक परीक्षाएं देने की जरूरत नहीं है और न ही स्कूल उन्हें परीक्षा लेने के लिए बुला सकते हैं। इन छात्रों का भी मूल्यांकन उनके पिछली तीन कक्षाओं के बहुविकल्पीय प्रदर्शन के आधार पर किया जाएगा।
स्कूल छात्रों से अंकों का नहीं करा सकेंगे सत्यापन
बोर्ड ने सत्र 2020-21 के लिए साफ तौर पर स्पष्ट किया है कि स्कूल पुनर्मूल्यांकन और अंकों का सत्यापन छात्रों से नहीं करा सकेंगे। यहां तक की एक बार अंक निर्धारण करने के बाद स्कूलों को छात्रों को उत्तरपुस्तिका तक दिखाने की अनुमति नहीं है। इससे पहले स्कूल आंतरिक मूल्यांकन में अंकों के सत्यापन के लिए छात्रों को उत्तरपुस्तिका दिखा देते थे। इससे छात्र अंकों से संतुष्ट न होने पर स्कूल को पुनर्मूल्यांकन के लिए दावा कर देते थे। हालांकि, अब यह अधिकार सीधा सीबीएसई के पास आ गया है। बोर्ड से मिले अंकों से संतुष्ट न होने पर छात्रों के पास दोबारा परीक्षा देने का भी विकल्प उपलब्ध होगा।
एक बार अंक अपलोड करने पर नहीं हो सकेगा संशोधन
सीबीएसई ने स्कूलों को स्पष्ट किया है कि आंतरिक मूल्यांकन के बाद दिए गए अंकों को ध्यान से जांचा जाए। क्योंकि, स्कूल की ओर से एक बार अपलोड कर दिए गए अंकों को ही अंतिम माना जाएगा। इसके बाद गलत अंक अपलोड करने या फिर संशोधन को लेकर किए जाने वाले अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जाएगा। केवल एक बार ही अंकों को अपलोड करने का विकल्प मौजूद रहेगा।