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RBI ने छीना दीवान हॉउसिंग फाइनेंस लिमिटेड के डिपोजिट (जमा) स्वीकार करने का स्टेटस

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) से डिपाजिट  स्वीकार करने वाली हाउसिंग फाइनेंस कंपनी का स्टेटस छीन लिया है और इसे नॉन-डिपोजिट टेकिंग हाउसिंग फाइनेंस कंपनी घोषित किया है । DHFL के दिवालिया होने और पीरामल एंटरप्राइजेज द्वारा इसके अधिग्रहण को मंजूरी मिलने के बाद RBI ने यह कदम उठाया है और DHFL पर कैश डिपोजिट लेने पर प्रतिबंध लगा दिया है ।

RBI ने इसे बिना जमा लेने वाली आवास वित्त कंपनी के रूप में वर्गीकृत किया है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) मुंबई के आदेश में इसका खुलासा हुआ कि RBI ने इस NBFC पर कैश डिपोजिट लेने पर बैन लगा दिया है। NCLT मुंबई पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस की 35,250 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दे दी जिससे DHFL के अधिग्रहण का रास्ता साफ हो गया है ।

पीरामल ग्रुप के रेजोल्यूशन प्लान के मुताबिक, DHFL के लेनदारों को 65% अपने ऐसेट में रिडक्शन करना पड़ा और इसके NCD होल्डर्स को केवल 1 रुपया मिला, जिनका DHFL पर 45,000 करोड़ रुपये से अधिक बकाया था ।
NCLT मुंबई की पीठ ने अपने 1486 पेज के आदेश में कहा कि DHFL अब जमा स्वीकार करने वाली NBFC नहीं रह गई है। कंपनी अब बिना जमा स्वीकार करने वाली NBFC होगी ।

DHFL पहली फाइनेंस कंपनी है जो बैंकरप्सी (Bankruptcy) के तहत NCLT के पास गई थी। RBI ने 20 नवंबर, 2019 को DHFL के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भंग कर दिया था और उसकी जगह सुब्रमणि कुमार को कंपनी का प्रशासक नियुक्त किया था। कंपनी 21 बैंकों और हजारों जमाकर्ताओं के 95,000 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज भुगतान नहीं करने के कारण दिवालिया हो गई ।

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