ओडिशा में नारीत्व का जश्न मनाने वाला मिथुन संक्रांति उत्सव राजा पर्व 3 दिवसीय त्योहार सोमवार से पूरे ओडिशा में मनाया जा रहा है. ओडिशा पर्यटन विकास निगम (ओटीडीसी) ने रविवार को ‘पिठा ऑन व्हील्स’ नाम से एक विशेष कार्यक्रम शुरू किया. COVID-19 के कारण, हम बहुत ही कम लोगों के साथ राजा पर्व मना रहे हैं. चूंकि महिलाएं इन 3 दिनों के दौरान काम नहीं करती हैं, इसलिए ‘पीठा ऑन व्हील्स’ के 7 वाहन भुवनेश्वर में लोगों के दरवाजे तक पहुंचेंगे.”
ओडिसा सरकार ने लोगों से राजा पर्व, घर में ही मनाने की अपील की है। तीन दिन का यह कृषि पर्व आज से राज्य भर में मनाया जा रहा है।राज्यव्यापी लॉकडाउन जारी रहने के मद्देनजर लोगों से घर में ही इसे मनाने को कहा गया है ताकि कोरोना संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ा जा सके।
ऐसा माना जाता है कि देवी पृथ्वी या भगवान विष्णु की दिव्य पत्नी पहले तीन दिनों के दौरान मासिक धर्म से गुजरती हैं. चौथे दिन को वसुमती गढ़ुआ या भूदेवी का औपचारिक स्नान कहा जाता है. राजा शब्द राजसवाला (अर्थात् मासिक धर्म वाली महिला) से आया है और मध्ययुगीन काल के दौरान यह त्योहार कृषि अवकाश के रूप में अधिक लोकप्रिय हो गया, जिसमें भूदेवी की पूजा की गई, जो भगवान जगन्नाथ की पत्नी हैं.
भगवान जगन्नाथ के अलावा पुरी मंदिर में भूदेवी की एक चांदी की मूर्ति अभी भी पाई जाती है. तीन दिनों के दौरान महिलाओं को घर के काम से छुट्टी दी जाती है और इनडोर गेम खेलने का समय दिया जाता है. लड़कियां पारंपरिक साड़ी पहनकर सजती हैं और पैर पर अलता लगाती हैं. धरती पर नंगे पांव चलने से सभी लोग परहेज करते हैं.
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