हैलो! 1098, मैं घर में नहीं रहूंगा, मेरी नानी और मम्मी बहुत मारती हैं…

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, लखनऊ
Published by: लखनऊ ब्यूरो
Updated Tue, 08 Jun 2021 03:55 AM IST

सार

चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन को महज एक महीने में 150 के करीब फोन आए हैं। आम दिनों में यह आंकड़ा 50 के करीब रहता है।

ख़बर सुनें

विस्तार

हैलो! 1098, मैं घर में नहीं रहूंगा, मेरी नानी और मम्मी मुझे बहुत मारती हैं। आज मुझे नानी ने पीठ पर मारा और मम्मी ने उस पर मिर्चा लगा दिया। वे मुझसे कह रहे थे मोबाइल रख दो, मैं बोर हो रहा था, मैंने नहीं रखा। मैं घर से भागा, रास्ते में एक आंटी कार से जाती मिलीं, उन्होंने 1098 पर फोन करने को कहा। चाइल्ड लाइन के पास दो जून को आए इस फोन के बाद बच्चे और अभिभावकों की काउंसिलिंग की गई है।

विज्ञापन

ये केस तो महज बानगी है, दरअसल लॉकडाउन फिर बच्चों पर हिंसा का बड़ा कारण बनता जा रहा है। घर में सभी सदस्यों की उपस्थिति के बीच बढ़ती जा रहीं बंदिशें बच्चों को जिद्दी बना रही हैं। इस वक्त बच्चों की मन: स्थिति समझने के बजाय अभिभावक उन पर हाथ छोड़कर गुस्सा निकाल रहे हैं। बच्चों के साथ हिंसा के 13 मामले मई में और दो मामले जून के पहले हफ्ते के ही हैं। इन सभी बच्चों की उम्र 08 से 15 साल के बीच है। पिटाई की शिकायत करने वाले बच्चे शहर के जाने-माने स्कूलों में पढ़ते हैं।

एक महीने में करीब 150 फोन

चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन को महज एक महीने में 150 के करीब फोन आए हैं। आम दिनों में यह आंकड़ा 50 के करीब रहता है। इसमें से कोविड के कारण माता-पिता या दोनों में से किसी एक को खोने वालों के फोन की संख्या घटा भी दें तो 80 के करीब कॉल ऐसी हैं जो पिटाई, खाने की जरूरत को लेकर बच्चे कर रहे हैं। एक बच्ची ने शिकायत की थी कि मामा ने उसका शोषण करने की कोशिश की। इसके बाद मां तुरंत उसे लेकर नोएडा चली गई।

27 लड़कियां, सात लड़के घर से भागे

आंकड़े बताते हैं कि शहर ही नहीं, गांवों तक लॉकडाउन का असर पड़ा है। खासकर घरों में बंद लड़कियां और लड़के, जो खुद के बालिग होने का दावा करते हैं, घर से भागे हैं। इनमें लखनऊ, सीतापुर, सुल्तानपुर, हरदोई के 27 लड़कियां और सात लड़के हैं। ज्यादातर मामलों में कारण घर की बंदिशें ही रही हैं। सीडब्ल्यूसी की मेंबर मजिस्ट्रेट डॉ. संगीता शर्मा का कहना है कि चाइल्ड लाइन ऐसी शिकायतों पर घरवालों और बच्चे दोनों की काउंसिलिंग करता है। लॉकडाउन में बच्चों की शारीरिक व मानसिक दोनों गतिविधियों पर असर पड़ा है। हमें उन्हें कहीं छूट भी देनी होगी, उनकी बातों को सुनना होगा। उनकी जिद के पीछे भी एक कारण है, यह समझने की जरूरत है।

चाइल्ड लाइन हेल्पलाइन को महज एक महीने में 150 के करीब फोन आए हैं। आम दिनों में यह आंकड़ा 50 के करीब रहता है।

Source

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *