This post is a part of YKA’s dedicated coverage of the novel coronavirus outbreak and aims to present factual, reliable information. Read more.

पालघर ज़िले के ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी समुदायों में कोरोना संक्रमण को लेकर भय और गलतफहमी को दूर करने के लिए पालघर के वारली चित्रकारों ने आदिवासी बहनों, भाइयों को वारली पेंटिंग के ज़रिये कोई लक्षण दिखाई देने पर परीक्षण और टीकाकरण करने का संदेश दिया है। ग्यारहवीं कक्षा की स्टूडेंट्स तन्वी वरथा और वारली चित्रकार सुचिता कामदी, आदिवासी समुदाय में कोरोना के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करने के लिए आदिवासी बोली भाषा का उपयोग कर रही हैं।

तन्वी और सुनीता की वारली पेंटिंग

पालघर ज़िले में डहाणू, तलासरी, पालघर, वाडा, विक्रमगढ़, जव्हार, मोखाड़ा आदि आदिवासी बहुल क्षेत्र हैं और आदिवासी समुदायों में कोरोना महामारी को लेकर भय और गलतफहमी फैली हुई है। जब बुखार, खांसी, जुकाम जैसे लक्षण हों, तो वहां के स्थानीय निवासी बीमारी से निजात पाने के उपाय के साथ-साथ गाँव की दवा भी इस्तेमाल करते नज़र आ रहे हैं।

आदिवासी समुदायों में जागरूकता करने के लिए अपनी बोली के माध्यम से प्रचार-प्रसार

ग्रामीण इलाकों में कोरोना फैल रहा है। वहीं, कोरोना महामारी के निवारक टीके लेने के बारे में आदिवासी समुदायों में भय और गलतफहमी फैल रही है। इसलिए पालघर ज़िले के आदिवासी इलाकों में टीकाकरण को लेकर ज़्यादा प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। नतीजन तन्वी और सुचिता ने पालघर आदिवासी समुदायों की वारली पेंटिंग बनाकर अपनी बोली भाषा के ज़रिये कोरोना के लक्षणों की जानकारी देने के साथ-साथ टीकाकरण करवाने की आदिवासी समुदायों से अपील भी की है।

इस कोरोना वैक्सीन को लेकर आदिवासी समुदायों में अभी भी काफी दहशत है, अब भी लोगों में जागरुकता नहीं, भीड़ लग रही है, शादी हो रही है, मास्क नहीं है और अब, तो तीसरी लहर के आने की संभावना भी बताई जा रही है। आदिवासी समुदायों में इस महामारी को लेकर जागरूकता पैदा करने की बहुत ज़रूरत है। आपकी सुरक्षा आपके हाथों में है, इस प्रकार के संदेश भी आस-पास के ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में भी प्रसारित करने में भी वे मदद कर रही हैं।

कीर्ती वरथा, आदिवासी एकता परिषद, महाराष्ट्र

मैं ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासी लड़कियों को ऑनलाइन वारली पेंटिंग सिखा रही हूं। मुझे लोगों के बीच इस कोरोना महामारी की जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता महसूस हुई, इसलिए मैंने वारली चित्रकार सुचिता कामदी और मेरी बेटी तन्वी वरथा के साथ यह विचार साझा किया। दोनों ने देश- दुनिया की प्रसिध्द वारली पेंटिंग कला पर अपनी बोली भाषा का प्रयोग करते हुए वारली पेंटिंग से मिलते-जुलते चित्र बनाए।

इस माध्यम का इस्तेमाल करके आदिवासी समुदायों के लोगों को जागरूक करना भी ज़रूरी है। गाँवों -गाँवों में यह संदेश फैलाना भी ज़रूरी है। हम आदिवासी समुदायों में जागरूकता पैदा करने के लिए कई प्रकार की गतिविधियां कर रहे हैं।

वारली बोली भाषा से दिया संदेश

सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, गले में खुजली, सिरदर्द, शरीर में दर्द, थकान, ठंड लगना, सूखी खांसी ये सब  कोरोना बीमारी के लक्षण हैं। अगर ऐसा है, तो तुरंत दवा लें, अगर कोरोना बीमारी को दूर रखना चाहते हैं, तो कोरोना का टीका लगवाएं, मास्क का प्रयोग करें। साबुन से हाथ धोएं, घर पर रहें, सुरक्षित रहें, भीड़ ना लगाएं, आंखों को ना छुएं, नाक को ना छुएं और एक-दूसरे से सुरक्षित एवं उचित दूरी बनाए रखें।

Youth Ki Awaaz के बेहतरीन लेख हर हफ्ते ईमेल के ज़रिए पाने के लिए रजिस्टर करें

You must be logged in to comment.