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नई दिल्ली29 मिनट पहले
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मीटिंग में टेलिकॉम, पावर, सिविल एविएशन, अर्थ-साइंस मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी भी मौजूद रहेंगे। (फाइल फोटो)
तूफान ताऊ ते के बाद अब देश पर अब चक्रवात यास का खतरा मंडरा रहा है। मौसम विभाग ने इसके बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान में बदलने की आशंका जताई है। यह 26 मई को ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तटों से टकरा सकता है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार सुबह 11 बजे नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDMA) के अधिकारियों और प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे। इस दौरान वे तूफान से निपटने की तैयारियों का रिव्यू करेंगे। मीटिंग में टेलिकॉम, पावर, सिविल एविएशन, अर्थ साइंस मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी भी मौजूद रहेंगे।
24 मई को चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के मुताबिक, चक्रवात यास के उत्तर, उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने की संभावना है। यह 24 मई तक एक चक्रवाती तूफान में तब्दील हो सकता है और अगले 24 घंटों में बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान का रूप ले सकता है। यह 26 मई को पश्चिम बंगाल के पास बंगाल की उत्तरी खाड़ी और उससे सटे उत्तरी ओडिशा और बांग्लादेश के तटों तक पहुंच जाएगा।
बंगाल और ओडिशा पर सबसे ज्यादा असर
तूफान को लेकर पहले से ही आंध्र प्रदेश, ओडीशा, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और अंडमान-निकोबार में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। इसका सबसे ज्यादा असर बंगाल और ओडिशा पर पड़ेगा। अंडमान और निकोबार और पूर्वी तट के कुछ इलाकों में तेज बारिश होने की संभावना है। इससे बाढ़ का खतरा भी बन सकता है।
कोस्टगार्ड समेत डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस स्टैंडबाय पर
कोस्ट गार्ड, डिजास्टर रिलिफ टीम (DRTs), इन्फ्लेटेबल बोट, लाइफबॉय और लाइफजैकेट, इसके अलावा डॉक्टरों की टीम और एंबुलेंस को स्टैंडबाय पर रखा है। पोर्ट अथॉरिटी, ऑयल रिग ऑपरेटर्स, शिपिंग- फिशरीस अथॉरिटी और मछुआरे संघों को चक्रवात को लेकर जानकारी दे दी गई है।

लगातार मौसम पर रखी जा रही निगरानी
ICG के प्रवक्ता के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में मौसम पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। तमिलनाडु, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अलावा अंडमान और निकोबार द्वीपों में आईसीजी रिमोट ऑपरेटिंग स्टेशन (ROS) की मदद से अलर्ट भेजे जा रहे हैं।
केंद्र ने 5 राज्यों को जारी की गाइडलाइन
- इमरजेंसी कमांड सिस्टम और इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर और कंट्रोल रूम को तुरंत एक्टिव करें। नोडल अफसर तैनात करें और उसकी कॉन्टैक्ट डिटेल स्वास्थ्य मंत्रालय को उपलब्ध कराएं।
- तटवर्ती राज्यों के सभी जिलों में हॉस्पिटल डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान को शुरू कर दें। इन जिलों के अस्पतालों में आपातकालीन स्थितियों के लिहाज से तैयारियों का रिव्यू भी कर लिया जाए।
- जो इलाके तूफान के रास्ते में आ रहे हैं, वहां के सामुदायिक चिकित्सा केंद्रों और अस्पतालों से मरीजों की ऊंचाई वाले इलाकों के बड़े अस्पतालों में शिफ्टिंग का एडवांस प्लान तैयार कर लें।
- कोविड मैनेजमेंट के लिए निगरानी यूनिट, स्वास्थ्य टीमों को भी महामारी के अलावा डेंगू, मलेरिया, सर्दी-खांसी, चेचक जैसी बीमारियों के लिए तैयार रहने को कहें।
- तूफान प्रभावित इलाकों में सभी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में, इनमें कोविड सेंटर्स भी शामिल हैं, पर्याप्त मैन पावर होनी चाहिए। ये सभी केंद्र पूरी तरह से फंक्शनल होने चाहिए। मैन पावर की कमी को प्रभावित न होने वाले जिलों से पूरा कर लिया जाए।
- प्रभावित इलाकों के अस्पतालों, लैब और वैक्सीन कोल्ड चेन, ऑक्सीजन प्रोडक्शन यूनिट और दूसरी सपोर्टिव मेडिकल फैसिलिटीज में पर्याप्त पावर बैकअप हो। इसके अलावा इन अस्पतालों में बिजली-पानी और ईंधन की भी पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
- तेज हवाओं और भारी बारिश के कारण आवागमन प्रभावित हो सकता है। इमरजेंसी को ध्यान में रखते हुए जरूरी दवाओं का स्टॉक पहले से जमा कर लें। ORS, क्लोरीन टैबलेट, ब्लीचिंग पाउडर और कोरोना के इलाज में लगने वाले दूसरे ड्रग की व्यवस्था कर ली जाए। कोविड और नॉन कोविड, दोनों तरह के अस्पतालों के लिए ये कदम जरूरी हैं।