पति-पत्नी चित्रकला देखने गए | पत्नी प्रदर्शनी देखकर बाहर आ गई और पति की प्रतिक्षा करने लगी |
पति जब काफी देर तक बाहर नहीं आए तो वह दोबारा अंदर गई | उसने देखा कि पति चित्र को बड़े गौर से देख रहे थे | उसने पास जाकर देखा – चित्र एक नवयुवती का था जिसमें कपड़ों के स्थान पर पत्ते पहन रखें | चित्र का शीर्षक था “बसंत” |
पत्नी ने पति को चलने के लिए कहा तो उसने हाथ के इशारे से रोक दिया “जरा ठहरो” |
पत्नी चिढ़कर बोली – क्यों ? क्या पतझड़ की प्रतीक्षा हैं ?
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एक साहब की दो पत्नियॉं थी | एक दिन एक पत्नी से कुछ गलती हो गई तो साहब ने गुस्से में आकर कहा- रेखा मैं तुम्हें तलाक देता हूं |
यह सुनते ही दूसरी पत्नी ने कहा – अजी, आप भी कितने बेरहम है, जरा-सी गलती पर आप इसे तलाक दे रहे है |
पति ने फिर क्रोध में आकर कहा – हेमा, मैं तुम्हें भी तलाक देता हूं, जाओ |
साथ के मकान की खिड़की से उन साहब की पड़ोसन यह तमाशा देख रही थी | उसने उन दोनों की तरफ हमदर्दी जताते हुए उन साहब से कहा- गलती तो
हर इन्सान से होती है | कृपया दोनों पत्नियों को क्षमा कर दें | इतना सुनते ही उन साहब का क्रोध और भी तेज हो गया और वे अपनी पड़ोसन से बोले – अगर
मेरा वश चलता तो मैं तुम्हें भी तलाक दे देता | उसी समय पीछे से पड़ोसन के पति की आवाज आई – इजाजत है, दे दो तलाक |
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एक सज्जन अपने बच्चो के साथ क्रिकेट का अभ्यास कर रहे थे | उनके बल्ले से उछलते हुये गेंद उन्हीं के रसोईघर में जा गिरी, रसोई में पत्नी ने झल्लाते हुयें गेंद
उठाई और उसे इतनी तेजी और जोर से पति की ओर लौटाया कि गेंद ठीक उसके सिर में जा लगी |
पति – (दर्द से कराहते हुये) राजू की मम्मी तुमने तो मेरा सिर फोड़ दिया |
पत्नी – मुझे तुम्हारी तरह एक-एक, दो-दो रन लेने की आदत नहीं है …. इसलिए सीधा छक्का उड़ा दिया था |