कोरोना बचाव हेल्पलाइन: जरा संभलकर चलना होगा, पिछली गलतियों से कुछ अच्छा सीखना होगा।

चंडीगढ़, दिवाकर: पूरे देश की स्थिति इस समय बद से बत्तर दिखती नजर आ रही । देश के हर नागरिक को खुद ही समझदार बनना होगा । अपनी सुरक्षा का ज़िम्मा खुद ही लेना होगा ।क्योंकि जिस प्रकार से देश इस कोरोना लहर की चपेट में सिकुड़ता चला जा रहा है उसको ध्यान से रखते हुए हमे सरकार द्वारा निकाली गई गाइडलाइन पर खरा उतरना होगा। देश में सभी युवाओं को इस बात का भी ज्ञात हैं । की भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत करदी हैं । जो बहुत ही कारगार सिद्ध हो रही है। मंगलवार रात श्री मोदी जी ने भारत को संभोधित करते हुए , वॉलंटियर, सुरक्षा कर्मी , नौजवान इन सबकी तारीफ के साथ हौसले की बात करी हैं ।क्योंकि जिस तरह देश का जवान सदैव अपनी भारत माता की रक्षा के लिए अपनी ड्यूटी पर तैनात रहता हैं ठीक उसी प्रकार हम सभी भारतवसियों को इस महामारी को जड़ से खत्म कर भारत को कोरोणा मुक्त बनाना है ।

केंद्र सरकार और राज्य सरकारों द्वारा समय समय पर डी गई गाइडलाईन का पालन करना हैं हम सभी देशवसियों को एक जुट होकर इस कोरो ना को हराना हैं । डर कर नहीं डटकर इसका सामना करना चाहिए क्योंकि देश की 135 करोड़ की आबादी को उम्मीद होनी चाहिए की एक ना एक दिन हमें इस महामारी को जड़ से खत्म करने में जरूर कामयाबी मिलेगी। हमे सीखना चाहिए 2020 से जब इस महामारी की दवाई की खोज पूरे देश विदेश के वैज्ञानिक कर रहे थे। क्योंकि उन्हें उम्मीद थी हम जरूर सफल होंगे । उन्होंने 2020 में बढ़ रहे मृत्यु दर से सीखा। उन्होंने पलायन कर रहे प्रवसियो से सीखा, जो रात को बिना कुछ खाए बिना अपने गांव को चल दिए। ना देखा रात ना देखा दिन ।बस दिखाई दिया तो अपना गांव ओर अपने । लेकिन उन्हें भी उम्मीद थी आज नहीं तो कल अपने निवास स्थान पर जरूर पहुंचने । पूरा देश लॉक डाउन था तब इन प्रवसियों के ठेकेदारों ने इन्हे बेरोजगार कर दिया था। गांव से निकलते समय ये सोचते हैं कि शहर जाकर रोजी रोटी कमाकर अपने बच्चों और अपना घर चलाएंगे। लेकिन इस महामारी के आने से उन प्रवासियों कि उम्मीद घटती दिखाई दी ।

भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीते सालों में जैसे थाली बजाकर, शंखनाद बजाकर, अपने अपने घरों में दीवा जलाकर लोगो को प्रेरित किया था कि वो इन विचारधाराओं के साथ मिलकर कोरो ना को जड़ से खत्म कर से टबी वैक्सीन भी नहीं आई थी । लेकिन फिर भी भारत की 135 करोड़ की जनता ने इसका पालन किया । धीरे धीरे जैसे जैसे हालात काबू में आए वैसे वैसे हमारे वैज्ञानिकों विशेष यज्ञो ने भी पूरा अपना आत्मबल से वैक्सीन की खोज निकाली । आत्मनिर्भर भारत ने किसी पर भी निर्भर ना होकर अपने देश की रक्षा के लिए हमेशा परोपकारी रहा है ।

पिछले वर्ष 2020 ओर 21 के अंतराल में मनुष्य ने बहुत कुछ खोया हैं क्योंकि ये अंतराल बहुत ज्यादा भ्यावक मंजर लेकर सामने आता था । कितनो ने लॉक डाउन के दौरान अपने घर पर भी खुद को नुक़सान पहुंचता। फ्रस्ट्रेशन से कितनो के घरों में लड़ाइयां हुई। मानसिकता से कितने विद्यार्थी अपनी पढ़ाई को लेकर परेशान हुए। भगवत गीता के द्वितीय अध्ाय श्लोक 63 में कहा गया ।

क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥

इस श्लोक का अर्थ है क्रोध से मनुष्य की मति मारी जाती है यानी मूढ़ हो जाती है जिससे स्मृति भ्रमित हो जाती है. स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही नाश कर बैठता है. लेकिन इस साल लोगो में। एक चेतना सी जगी हुई हैं उसी चेतना एवं उम्मीद के साथ देश भर के लोगों ने इस महामारी से बचने के लिए खुद को वैक्सीन के हवाले कर दिया इसी भरोसा से कोरो ना जैसी संक्रमित वायरस से बच जाएंगे।
हमनें सीखा है एक साल में जानते हैं जा सी ढिलाई भी हमे मौत के मंजर तक ले जा सकती हैं । इसलिए केंद्रीय सरकार समय समय अपना उपदेश उन तमाम देश विदेश में रह रहे लोगों को देते हैं ।

ध्यान रखे – क्योंकि महामारी से बचने में पहले अपनी सावधानी होनी चाहिए क्योंकि अपनी सावधानी से ही अपनी ही सावधानी हैं ।
मास्क ना निकाने , भीड़ वाली जगह पर ना जाए , सनीटाइज हमेशा साथ रखे ।

Leave a Reply