पहले तो संक्रमितों का बड़ी संख्या में मिलना और उसके बाद खराब स्वास्थ्य व्यवस्था। एक बार फिर से सारी स्थिति पिछले साल आए संक्रमण के पहली लहर की याद दिला रहा है। पहले की तरह मरीज फिर से लाचार हो रहे हैं। पहले की तरह एक बार फिर संक्रमण की जद में आकर पूरा देश फिर से मजबूर हो रहा है। ऐसी विकट स्थिति में हमारी खराब स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर से सवालों ले घेरे में आ जाती है। जो 1 साल के दरमियान भी नहीं सुधरी।

ड्यूटी छोड़ पार्किंग एरिया में इकट्ठा हुए जूनियर डॉक्टर

कोरोना संक्रमण की भयावह होती स्थिति के बीच जूनियर डॉक्टरों ने हड़ताल कर दी है। रायपुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से संबद्ध जूनियर डॉक्टर मंगलवार को सामान्य ड्यूटी छोड़कर पार्किंग एरिया में इकट्‌ठा हो गए। जूनियर डॉक्टरों का आरोप है कि उन्हें खराब गुणवत्ता के PPE किट, मास्क और सर्जिकल ग्लव्स पहनकर कोरोना ड्यूटी के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसकी वजह से उनमें आधे से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। संक्रमित रेजिडेंट डॉक्टरों को अवैतनिक अवकाश के लिये मजबूर किया जा रहा है।

1 वर्ष बाद भी नहीं बदली व्यवस्था की स्थिति

रेजिडेंट डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना ड्यूटी के गुणवत्ता वाले PPE किट, एन-95 मास्क और ग्लव्स की मांग लंबे समय से की जा रही हैं। अभी तक प्रशासन ने इसका संज्ञान तक नहीं लिया है। PPE किट के नीचे पहनने के लिए स्क्रब तक उपलब्ध नहीं हैं। पूरी इस व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर इंद्रेश की ओर से कहा गया कि पिछले एक वर्ष से सभी रेजिडेंट डॉक्टर कोरोना के इलाज में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। प्रशासन के पास पर्याप्त समय होने के बावजूद इस महामारी से लड़ने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किये गये। इसका हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। हम में से बहुत से डॉक्टर खुद संक्रमित हो चुके हैं।

बेड नहीं है तो पोर्टल पर बताए अस्पताल : एसोसिएशन प्रवक्ता

एसोसिएशन के प्रवक्ता ने कहा, प्रशासन की लापरवाही हम पर भारी पड़ रही है। पोर्टल पर अस्पताल में बिस्तर खाली दिख रहा है। मरीज आ रहा है तो पता चल रहा है कि यहां कोई बेड खाली नहीं। मजबूरी में उसे इंतजार करने को कहना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में उसके परिजनों का गुुस्सा रेजिडेंट डॉक्टर झेल रहे हैं। अगर अस्पताल में बेड नहीं है तो प्रशासन यह कहने की हिम्मत जुटाए की बेड नहीं है।
इलाज के दौरान और मरीजों की मौत के बाद बने ऐसे हालात से भी डॉक्टर नाराज हैं। उनका कहना है ऐसी स्थिति देखकर मरीजों और मृतकों के परिजन उन्हें कोसते हैं, गाली-गलौज करते हैं।

ऐसी स्थिति में छत्तीसगढ़ जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने चिकित्सा शिक्षा संचालक को ज्ञापन सौंप कर बताया है कि वे लोग आज से कोरोना और आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर शेष कार्यों को तत्काल प्रभाव से बंद कर रहे हैं। उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो 15 अप्रैल से वे आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर देंगे। फिर भी बात नही मानी गई तो 18 अप्रैल सुबह 8 बजे से कोविड ड्यूटी भी छोड़ देंगे। इस हड़ताल के साथ उन्होंने अस्पताल प्रबंधन के समक्ष अपनी निम्नलिखित मांगे भी रखी :

भीषण गर्मी में भी खुले बरामदे में एक पंखे के सहारे ड्यूटी करने की मजबूरी से भी डॉक्टरों में नाराजगी है।

अपनी सुविधाएं बढ़ाने की भी मांग रखी

जूनियर डॉक्टरों ने ग्रामीण क्षेत्र में सेवा का अनुबंध दो वर्ष से घटाकर एक वर्ष करने की मांग की है।

ग्रामीण क्षेत्र में सेवा के लिए प्रदेश भर में एक समान 95 हजार रुपए का स्टाइपेंड प्रदान किया जाए।

छात्रवृत्ति बढ़ाकर इंटर्न डॉक्टर को 20 हजार, पीजी डॉक्टर प्रथम वर्ष को 80 हजार और पीजी डॉक्टर द्वितीय और तृतीय वर्ष को 85 हजार रुपए दिये जाएं।

कोरोना ड्यूटी वालों को प्रोत्साहन राशि दी जाए। रेजिडेंट डॉक्टर को 10 हजार, पैरामेडिकल स्टाफ को 500 और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को 200 रुपए।

जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने मेडिकल कौंसिल के मापदंडों के मुताबिक एमडी, एमएस और मेडिकल डिप्लोमा की परीक्षाएं आयोजित करने की मांग की है। कहा गया कि पांच दिनों के भीतर परीक्षा तिथि घोषित कर दी जाए।

 

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