पद्मनाभस्वामी मंदिर का 14 सीटों पर प्रभाव:मंदिर स्टाफ यूनियन पर सीपीएम काबिज, पर ज्यादातर कम्युनिस्ट नेता पद्मनाभस्वामी मंदिर नहीं आते

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एक घंटा पहलेलेखक: गौरव पांडेय

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तिरुअनंतपुरम के वरिष्ठ पत्रकार अनिल बताते हैं कि मंदिर के भक्त तो पूरे केरल में हैं। लेकिन मंदिर का मुख्य असर जिले की 14 विधानसभा सीटों पर हैं।

केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम स्थित पद्मनाभस्वामी मंदिर देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक में है। मंदिर में प्रवेश के तीन गेट हैं। मेन गेट से मुख्य श्रद्धालु जाते हैं। अन्य दो गेटों से वीआईपी, मंदिर प्रबंधन से जुड़े लोग और रॉयल फैमिली के लोग जाते हैं। चुनावी माहौल में यहां दर्शन करने वालों में बड़ी संख्या में राजनीतिक लोग भी दिखाई ही दे जाते हैं। तभी कम्युनिस्ट पार्टी का झंडा लगाए एक गाड़ी दूसरे गेट की ओर जाती है।

कम्युनिस्ट पार्टी के नेता उतरते हैं और फाइलें लिए हुए बगल के ही बिल्डिंग में चले जाते हैं। सिक्युरिटी गार्ड भी उनसे कुछ नहीं पूछते हैं। मंदिर के दूसरे गेट के पास ही कम्युनिस्ट पार्टी और भाजपा के ट्रेड यूनियंस का झंडा भी टंगा हुआ है। पूछने पर पता चलता है कि मंदिर में ट्रेड यूनियंस भी हैं।

इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 1733 ई. में त्रावनकोर रियासत के महाराजा मार्तंड वर्मा ने करवाया था। इसी त्रावणकोर रॉयल फैमिली के प्रिंस और मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य आदित्य वर्मा कहते हैं कि अब तो राजा जैसी कोई पोस्ट नहीं है, लेकिन हमारे परिवार में सबसे बुजुर्ग सदस्य ही हेड ऑफ फैमिली होता है। फिलहाल हमारे चाचा रामा वर्मा हैं। वह ही मंदिर के चीफ ट्रस्टी भी हैं।

कोरोना से पहले तक रोज 2 से 3 लाख रुपए चढ़ावा चढ़ता था, लेकिन अभी 50 से 60 हजार रुपए ही चढ़ता है। राज्य सरकार मंदिर की कोई आर्थिक मदद नहीं करती है, बल्कि मंदिर हर साल सरकार को पुलिस और अन्य सरकारी मदद के लिए पैसे देती है।

क्या कम्युनिस्ट पार्टी और सरकार के लोग भी मंदिर आते हैं? ये सवाल पूछने पर आदित्य हंसते हुए कहते हैं कि ज्यादा लोग तो नहीं आते हैं, लेकिन एक-दो मंत्री 3-4 बार आए हैं। मंदिर की सिक्युरिटी व्यवस्था को चेक करने के लिए। लेकिन मुख्यमंत्री विजयन कभी भी मंदिर में नहीं आए हैं। मुझे नहीं लगता कि वे आएंगे भी। उनमें और हममें यही फर्क है कि हम भगवान को मानते हैं, वो नहीं मानते हैं।

यह पूछने पर कि आपको क्या लगता है कि कम्युनिस्ट पार्टी के लोग मंदिर क्यों नहीं आते हैं, इस पर आदित्य कहते हैं कि मैं राजनीति पर कोई कमेंट नहीं करूंगा। लेकिन वे मंदिर के विरोध में भी कुछ नहीं करते हैं। वे हमें सपोर्ट भी करते हैं, हां बाकी राज्यों की सरकारों की तरह वे मंदिर में बहुत ज्यादा विश्वास नहीं दिखाते हैं।

भाजपा ने मंदिर के आसपास विकास के लिए 75 करोड़ दिए: तिरुअनंतपुरम के वरिष्ठ पत्रकार अनिल बताते हैं कि मंदिर के भक्त तो पूरे केरल में हैं। लेकिन मंदिर का मुख्य असर जिले की 14 विधानसभा सीटों पर हैं। इन सभी पर मंदिर का प्रभाव है।

श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के कर्मचारी यूनियन के वर्किंग प्रेसिडेंट आरएस विजय मोहन कहते हैं कि यहां मंदिर में सभी पार्टियों की श्रद्धा है। टेंपल कोई पॉलिटिकल प्रोडक्ट नहीं है। यह मंदिर यहां साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। सभी धर्म के लोग मंदिर आते-जाते हैं। भाजपा मंदिर को लेकर राजनीतिक करती है, मंदिर के असपास विकास के लिए 75 करोड़ रुपए भी दिए थे। लेकिन उसका कुछ खास असर नहीं है। मंदिर में सीपीएम से जुड़ी ट्रेड यूनियन का पिछले तीन साल से कब्जा है।

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Source | दैनिक भास्कर

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