न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गुवाहाटी
Published by: कुमार संभव
Updated Sat, 27 Mar 2021 04:16 AM IST
विधानसभा चुनाव 2021
– फोटो : सोशल मीडिया
ख़बर सुनें
विस्तार
असम में विधानसभा चुनाव के पहले चरण के तहत आज (27 मार्च) मतदान होगा। इसके तहत 12 जिलों की 47 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। ये सीटें ऊपरी असम और ब्रह्मपुत्र के उत्तरी किनारे वाले इलाकों में आती हैं। बता दें कि असम में भाजपा पर काफी दबाव है, क्योंकि वह अपनी सरकार बचाने की कोशिश में लगी हुई है। असम में सुबह 7 बजे मतदान शुरू होगा और शाम 6 बजे तक जारी रहेगा।
इन दिग्गजों की किस्मत दांव पर
बता दें कि असम में पहले चरण के मतदान में मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल, विधानसभा अध्यक्ष हीरेंद्रनाथ गोस्वामी और असम की प्रदेश कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष रिपुन बोरा की किस्मत दांव पर है। इसके अलावा सत्तारूढ़ भाजपा और असम गण परिषद के कई मंत्रियों की भी किस्मत भी पहले चरण के मतदान के साथ ईवीएम में कैद हो जाएगी। पहले चरण में अधिकतर सीटों पर सत्तारूढ़ भाजपा-एजेपी गठबंधन, कांग्रेस नीत विपक्षी महागठबंधन और नवगठित असम जातीय परिषद (एजेपी) के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं।
ऐसा है सियासी समीकरण
बता दें कि इन 47 सीटों पर 37 मौजूदा विधायक दोबारा चुनाव लड़ रहे हैं, जिनमें 24 भाजपा के टिकट से मैदान में हैं। वहीं, कांग्रेस और असम गण परिषद (एजेपी) से 6-6 और एआईयूडीएफ से एक विधायक चुनावी रण में दोबारा किस्मत आजमा रहे हैं। पहले चरण की 47 सीटों में से 11 सीटें अपर असम और उत्तरी असम की हैं। पांच सीटें सेंट्रल असम के नगांव जिले की हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और उसकी सहयोगी एजेपी ने 35 सीट जीतकर बड़ी कामयाबी हासिल की थी। उस दौरान भाजपा का वोट शेयर 36 फीसदी रहा और पार्टी को 27 सीटों पर कामयाबी हासिल हुई। वहीं, कांग्रेस 36 फीसदी वोट शेयर के साथ सिर्फ नौ सीटें ही जीत सकी थी। बता दें कि 2016 से पहले तक अपर असम को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। कांग्रेस ने 2011 में यहां 38 सीटें (46 फीसदी वोट शेयर) और 2016 में 27 सीटें (39 फीसदी वोट शेयर) जीती थीं।
इन सीटों पर कांटे की टक्कर
गौरतलब है कि पहले चरण की इन 47 सीटों में से 10 सीटों पर 2016 के विधानसभा चुनाव में जीत का अंतर पांच हजार वोट से भी कम था। वहीं, 2011 के विधानसभा चुनाव में ऐसी सीटों की संख्या नौ और 2006 विधानसभा चुनाव में 23 रही थी। पिछले चुनाव में शिवसागर विधानसभा सीट पर जीत का अंतर सिर्फ 542 वोट का था। इसी तरह अमगुरी, लखीमपुर, डूम डूमा और थोवरा में भी हालिया चुनावों में कांटे की टक्कर देखी गई। 2016 के विधानसभा चुनाव में 18 सीटों पर जीत का अंतर 20 हजार वोटों से ज्यादा रहा, जिनमें 12 सीटें भाजपा के खाते में गईं। वहीं, उसकी सहयोगी एजेपी ने तीन सीटों पर कब्जा जमाया। बाकी तीन सीटों में से एक-एक पर कांग्रेस, यूआईडीयूएफ और निर्दलीय को जीत मिली।
महिला उम्मीदवारों पर भरोसा कम
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, असम में पहले चरण के तहत जिन 47 सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनके लिए कुल 264 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें महिला उम्मीदवारों की संख्या महज 25 है। कांग्रेस ने कुल छह महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है, जबकि भाजपा ने तीन और एजेपी ने सिर्फ एक महिला उम्मीदवार पर दांव खेला है। बीते चुनावों में भी ऐसा ही ट्रेंड नजर आया है। गौरतलब है कि गोलाघाट विधानसभा सीट पर 2001 से अजंता नियोग चुनाव जीत रही हैं। पहले वह कांग्रेस में थीं, लेकिन पार्टी ने उन्हें पिछले साल निष्कासित कर दिया। इस बार वह भाजपा के टिकट पर ताल ठोक रही हैं। इस बार तीन विधानसभा क्षेत्र शिवसागर, बताद्रोवा और टियोक ऐसे हैं, जहां सभी उम्मीदवार महिलाएं ही हैं। इसके अलावा शिवसागर जिले की अमगुरी सीट पर 1985 से अब तक कोई भी पार्टी लगातार दो चुनाव नहीं जीत सकी। 2016 में इस सीट पर एजेपी के प्रदीप हजारिका सिर्फ 1 हजार 620 वोटों के अंतर से जीते थे। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार अंगकिता दत्ता को हराया था।
अनुभवी नेताओं पर ज्यादा दांव
एडीआर की ओर से जारी डेटा के मुताबिक, पहले चरण में अधिकतर उम्मीदवार (59%) 41 से 60 वर्ष आयु वर्ग के हैं। असम में अब तक हुए चुनावों में यही ट्रेंड नजर आया है। पहले चरण में सबसे युवा उम्मीदवार मैथ्यू टोपनो हैं, जिनकी उम्र 25 साल है। वह रंगापारा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, सबसे उम्रदराज उम्मीदवार 85 साल के प्रेमधर बोरा हैं। वह बिहपुरिया सीट से निर्दलीय मैदान में हैं। 2016 के विधानसभा चुनाव में इन 47 सीटों में से पांच ऐसे निर्वाचन क्षेत्र थे, जहां जीत के अंतर से ज्यादा वोट नोटा के खाते में गए थे। इन सीटों में सूटिया और थोवरा पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। वहीं, सारुपथार, शिवसागर और डूम डूमा सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। यहां कुल वोटों में से 1.5 फीसदी वोट नोटा को गए थे।
पिछले चुनाव से इस बार ज्यादा करोड़पति
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, असम में पहले चरण के चुनाव में करोड़पति उम्मीदवारों की संख्या 2016 की तुलना में बढ़ गई है। 2016 के दौरान पहले चरण में कुल 83 करोड़पति उम्मीदवार थे, लेकिन इस बार 101 करोड़पति उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि, प्रति उम्मीदवार औसत संपत्ति में मामूली कमी आई है। 2016 में दो करोड़ रुपये की तुलना में 2021 के दौरान औसत संपत्ति 1.8 करोड़ रुपये रह गई है। वहीं, आपराधिक मुकदमों वाले उम्मीदवारों की बात करें तो इस बार 41 उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज होने की जानकारी दी है। 2016 चुनाव में ऐसे उम्मीदवारों की संख्या सिर्फ 17 थी।