राजधानी कॉलेज में हुआ दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

नई दिल्ली: राजधानी कॉलेज के संस्कृत विभाग और आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन समिति (आई क्यू ए सी) के संयुक्त तत्त्वावधान में दो दिवसीय ऑनलाइन राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है। “भारतीय जीवन दृष्टि: समकालीन परिप्रेक्ष्य” विषय पर आधारित इस संगोष्ठी में दिल्ली विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इग्नू, हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय सहित देश के अनेक विश्वविद्यालयों के शिक्षक और विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। डीयू संस्कृत विभाग के प्रोफेसर ओमनाथ बिमली, प्रो मीरा द्विवेदी, प्रो दयाशंकर तिवारी सहित जेएनयू के प्रोफेसर सुधीर कुमार आर्य ने संगोष्ठी के प्रथम दिन अपना वक्तव्य दिया। प्रो. मीरा द्विवेदी ने अमर्यादित अर्थलोलुपता पर संयम के अभाव पर विशेष बल दिया तो प्रो. सुधीर कुमार आर्य ने यम और नियम को प्रारम्भिक स्तर पर सिखलाने का महत्त्व बतलाया।

प्रो. दयाशंकर तिवारी ने संस्कृत और विज्ञान के अन्तर्सम्बन्ध को अत्यन्त सरल शब्दों में समझाया और अध्यक्षीय भाषण में प्रो. ओमनाथ बिमली ने परस्पर सम्वाद और संगति की वर्तमान समय में आवश्यकता को प्रतिपादित किया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कॉलेज प्राचार्य प्रो राजेश गिरि ने कहा कि भारतीय जीवन दर्शन को संस्कृत-शास्त्र परम्परा से देखना और वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उसको समझने की आज अत्यन्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत विभाग का यह प्रयास विद्यार्थियों सहित सभी श्रोताओं के लिये अत्यन्त लाभप्रद है।

इस संगोष्ठी की संयोजिका डॉ सविता निगम ने सभी विशिष्ट अथितिगणों का स्वागत किया और विद्यार्थियों को संगोष्ठी के विषय का महत्त्व भी समझाया। संगोष्ठी के सह-संयोजक डॉ आशीष कुमार ने सभी सम्मानित अथितिगणों का धन्यवाद ज्ञापन करते हुये कहा कि संस्कृत विभाग द्वारा बहुत दिनों से इस प्रकार के समसामयिक विषय पर संगोष्ठी करने का विचार था जिससे न केवल संस्कृत के विद्यार्थी लाभान्वित हों अपितु संस्कृत से अतिरिक्त विषय के विद्यार्थी भी लाभान्वित हों, तथा संस्कृत का प्रभाव वर्तमान जीवन शैली पर समझ सकें।

प्रथम दिवस के कार्यक्रम का सञ्चालन संस्कृत विभाग में सहायक आचार्य डॉ रवीन्द्र के दास ने किया, तथा आई क्यू ए सी संयोजक डॉ अमित जैन सहित आयोजन समिति की सदस्या डॉ चित्रा भारद्वाज, डॉ मनोहर सिंह, डॉ के के अरोड़ा, डॉ मीनाक्षी श्रीधर, डॉ जी पी बैरवा, डॉ आरती रस्तोगी, डॉ युद्धवीर शर्मा, डॉ अथोई आदि अनेक अन्य विभागों के शिक्षक भी सम्मिलित हुए।

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