चंडीगढ़: प्राचीन कला केंद्र द्वारा आयोजित किये जा रहे भास्कर राव सम्मलेन के छटे दिन टैगोर थिएटर में दर्शकों ने मधुर गायन एवं कत्थक नृत्य की खूबसूरत प्रस्तुतियों का आनंद लिया । आज के कार्यक्रम में केंद्र के चेयरमैन श्री एस के मोंगा एवं सचिव श्री सजल कौसर भी मौजूद थे ।
आज के पहले कलाकार अम्ब्रीश दास कोलकाता से हैं और इन्होने ने सगीत की शिक्षा अपने गुरु पुष्पन सेन, अलोक चटर्जी से प्राप्त की उपरांत किराना घराने के उस्ताद मश्कूर अली खान साहिब से गुरु शिष्य परंपरा के तहत संगीत की बारीकियां सीखीं व् दूरदर्शन के ऐ ग्रेड कलाकार अम्ब्रीश ने अपनी बेहतरीन प्रस्तुतियों से दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई है । अम्ब्रीश दस की चंडीगढ़ में ये पहली प्रस्तुति है ।
आज की दूसरी कलाकार डॉ समीरा कौसर किसी पहचान की मोहताज़ नहीं हैं, जयपुर घराने की प्रसिद्द नर्तकी समीरा एवं गुरु डॉ शोभा कोसेर की शिष्य एवं पुत्रवधु ने अपनी प्रस्तुतियों से अपनी कला प्रतिभा एवं भावो से कला जगत में अलग पहचान बनाई है
आज की पहली प्रस्तुति में पंडित अम्ब्रीश दस ने राग यमन कल्याण में आलाप से की इसके पश्चात विलम्बित एक ताल में निबद्ध बंदिश “कजरा कैसे डालू” पेश की । इसके बाद अम्ब्रीश ने द्रुत लय में तीन ताल में निबद्ध एक रचना अवगुण ना
कीजिये गुनी संग पेश करके अम्ब्रीश दस ने पेश करके अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय दिया उपरांत एक और सुन्दर बंदिश ऐ इ माई आये घर मितवा प्रस्तुत करके खूब तालियां बटोरी । कार्यक्रम के अंत में राग बसंत पर आधारित बंदिश आयो पगवा ब्रिज देखन को चली मैं कार्यक्रम के अंत में राग बसंत पर आधारित बंदिश आयो पगवा ब्रिज देखन को चली पेश की। इनके साथ तबले पर देबाशीष अधिकारी ने बखूबी संगत की ।
कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में डॉ समीरा कोसेर ने एक खूबसूरत श्लोक से भक्तिमयी शरुआत की । इसके उपरांत जयपुर घराने के तकनीकी पक्ष को खूबसूरत तोड़े, टुकड़े, गत, निकास, चक्कर के इलावा पैरो की चालें इत्यादि का सुंदर प्रदर्शन किया । इसके बाद समीरा ने भाव पक्ष पर आधारित रचना “अहिल्या ” पर भावपूर्ण प्रस्तुति दी । इस में उन्होंने ने देवी अहिल्या के अनदेखे अनसुने भाव और हृदय के उदगारों का प्रदर्शन नृत्य के माध्यम से किया । इस प्रस्तुति से समीरा ने अहिल्या के पथराये जाने पर दुःख जताया और एक स्त्री के मनोभावों का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया ।
इस प्रस्तुति में डॉ समीरा कोसेर के साथ मंच पर पडंत पर गुरु ब्रिज मोहन गंगानी , तबले पर उस्ताद शकील अहमद और मेहमूद खान , गायन पर पंडित माधो प्रसाद , सितार पर सलीम कुमार और बांसुरी पर विनय प्रसन्ना ने बेहतरीन संगत
की ।
कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को पुष्प एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया