चंडीगढ़: संतूर की मधुर स्वर लहरियों एवं उड़ीसी नृत्य से सजा भास्कर राव का दूसरा दिन टैगोर थियेटर में चल रहे 50वें भास्कर राव नृत्य एवं संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन सुप्रसिद्ध संतूर वादक तरूण भट्टाचार्य और उड़ीसी नृत्यांगना सुजाता महापात्रा ने अपनी खूबसूरत प्रस्तुतियो से दर्शकों की खूब तालियां बटोरी । इस कार्यक्रम का आयोजन केन्द्र की अधीकृत यूटयूब चैनल,फेसबुक एवं टविटर पेज पर भी किया जाएगा ।
इस अवसर पर एनजेडसीसी के पूर्व निदेशक प्रो.सौभाग्य वर्धन ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की । इनके साथ केन्द्र की रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर ने शिरकत की | संगीत नाटक अवार्ड से सम्मानित पंडित तरूण भट्टाचार्य संगीतिक शिक्षा अपने पिता रवि भट्टाचार्य एवं पंडित दुलाल राय से प्राप्त की । इन्होंने पंडित रविशंकर से भी संगीत की बारीकियां सीखीं । इन्होंने एक नए राग गंगा की रचना भी की है । इसके अलावा संतूर के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है । इन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों की प्रशंसा हासिल की है ।
दूसरी कलाकार सुजाता महापात्रा भी किसी पहचान की मोहताज नहीं है । गुरू केलूचरण महापात्रा की पुत्रवधु एवं एक उम्दा कलाकार के रूप में इन्होंने कला के क्षेत्र में नए आयाम बनाए हैं । उड़ीसी नृत्य को पारम्परिक रूप से संजोकर प्रसारित एवं प्रचारित करने का अद्भुत कार्य सुजाता बखूबी कर रही है । देश एवं विदेशों में भी अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर चुकी हैं ।
कार्यक्रम की शुरूआत पंडित तरूण भट्टाचार्य के संतूर वादन से हुई जिसमें इन्होंने राग जनसम्मोहिनी से की । पारम्परिक आलाप से शुरू करके जोड़ प्रस्तुत किया तथा इसी राग में झपताल एवं तीन ताल मे रचनाएं पेश की । कार्यक्रम का
समापन इन्होंने भटियाली धुन से किया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक पंडित रामदास पलसुले ने बखूबी संगत की ।
कार्यक्रम के दूसरे भाग में सुजाता महापात्रा ने खूबसूरत प्रस्तुति से दर्शकों को भाव विभोर कर दिया । इनके साथ इनके समूह ने भी प्रस्तुतियां पेश की | सबसे पहले भगवान जगन्नाथ को अर्पित रचना सृतकमला पेश की । जिसमें पारम्परिक अभिनय
पक्ष पर आधारित मंगलाचरण पेश किया । इसके पश्चात शुद्ध उड़ीसी नृत्य पल्लवी प्रस्तुत की गई जिसमें उड़ीसी नृत्य के तकनीकी पक्ष को बखूबी पेश करके खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम के अगले भाग में सुजाता ने एकल प्रस्तुति ‘‘शवरी’’
जो कि अभिनय पक्ष पर आधारित थी । इस भावपूर्ण प्रस्तुति से इन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया ।
कार्यक्रम के अंत में सुजाता ने अपने समूह के साथ ‘‘मोक्ष’’ प्रस्तुत किया । जिसमें आत्मा का ब्रह्म के साथा मिलन को नृत्य के माध्यम से पेश करके खूब तालियां बटोरी । इनके समूह में प्रसन्ती जेना,अंकिता सेनगुप्ता,सौम्या बोस,बिस्वाजीत चक्रवर्ती ने संगत की । कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को पुष्प एवं मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया ।