चण्डीगढ़: प्राचीन कला केन्द्र की 34 वैबबैठक का सीधा प्रसारण केन्द्र के सोशल मीडिया प्लेटफार्म यूटयूब,फेसबुक एवं टविटर पेज पर किया गया ।
देबवर्णा युवा एवं प्रतिभाशाली शास्त्रीय गायिका है । इन्होंने संगीत की शिक्षा विदुषी आरती अंकालीकर जकेकर एवं पंडित उल्हास कशालकर से प्राप्त की है । पुणे विश्वविद्यालय से संगीत मास्टर की डिग्री करने वाली देबवर्णा आज पीएचडी कर रही है। देबवर्णा देश के विभिन्न शहरों में अपनी प्रस्तुतियों से संगीत प्रेमियों के दिलों में जगह बना चुकी है ।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत देबवर्णा ने राग मारू बिहाग से की । पारम्परिक आलाप के पश्चात विलम्बित एक ताल से सजी बंदिश जिसके बोल थे ‘‘अब मैं यूंहि जानू’’ पेश की । उपरांत इन्होंने द्रुत ताल में निबद्ध आड़ा तीन ताल की रचना ‘‘मोरे नयनवा’’ पेश की । इसके पश्चात एक ताल से सजा तराना पेश करके देबवर्णा ने अपनी सधी हुई गायकी का परिचय दिया । कार्यक्रम के अंत में देबवर्णा ने जात ताल में निबद्ध ठुमरी ‘‘बसीया मोहे बुलाए’’ पेश की । इनके साथ संगत कलाकारों मे सुदीप चक्रबर्ती ने तबले पर एवं बरनाली बासु ने हारमोनियम पर संगत की ।