
किसान संगठनों ने तीन घंटे के चक्काजाम का ऐलान किया था
संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया है किसानों के 'चक्का जाम' को देश भर में जबरदस्त समर्थन मिला है. किसान संगठनों का कहना है कि चक्का जाम ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि देश भर के किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं.
यह भी पढ़ें
भारतीय हस्तियों ने विदेशी ट्वीट्स को बताया दुष्प्रचार तो अमेरिकी एक्ट्रेस बोलीं- इन मूर्खों को किसने...
"स्पष्ट तौर पर वे कृषि कानूनों के बारे में ज्यादा नहीं जानते": विदेशी हस्तियों के ट्वीट पर बोले मंत्री
किसान आंदोलन : इंटरनेट बैन का मामला पहुंचा SC, याचिका में पाबंदी को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताया
किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि हम वार्ता के लिए तैयार हैं, गेंद सरकार के पाले में है. हमने सरकार को स्पष्ट रूप से बता दिया है कि कृषि कानूनों पर उसका प्रस्ताव हमें स्वीकार नहीं है, वह अब नया प्रस्ताव लेकर आए.संयुक्त किसान मोर्चा कृषि कानूनों को पूर्ण रूप से निरस्त करने और एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग पर दृढ़ है.
दर्शनपाल ने कहा कि ससंद में कृषि मंत्री द्वारा किसानों के संघर्ष का अपमान किया गया कि केवल एक राज्य के किसान कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं. परंतु आज के देशव्यापी चक्का जाम ने एक बार फिर साबित किया कि देश भर के किसान इन कानूनों के खिलाफ एकजुट हैं. किसानों ने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन किया.
बिहार में भी चक्का जाम का कार्यक्रम सफल रहा. चंपारन, पूर्णिया, भोजपुर, कटिहार समेत पूरे बिहार में किसानों द्वारा चक्का जाम किया गया. मध्य प्रदेश में 200 से ज्यादा जगहों पर किसान एकजुट हुए. महराष्ट्र में वर्धा, पुणे व नासिक समेत अनेक जगहों पर किसानों ने चक्का जाम का नेतृत्व किया. आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु में भी यही देखने को मिला. कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के अलावा 25 जिलों में यह कार्यक्रम सफल रहा.
पंजाब और हरियाणा में किसान, मजदूर, छात्र संगठनों ने आगे आते हुए सैंकड़ों सड़क जाम की. राजस्थान में भी शाहजहांपुर, उदयपुर समेत दर्जनों जगह किसानों ने राजमार्ग जाम किए. ओडिशा के भुवनेश्वर भी किसानों ने चक्का जाम किया. संयुक्त मोर्चा ने बागपत के 150 प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस से मिले नोटिस की निंदा की है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि 26 जनवरी के बाद से 127 व्यक्तियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. वहीं 25 अब भी लापता हैं. इस आंदोलन में 204 आंदोलनकारियों की मौत हो चुकी है, परंतु सरकार किसानों के दर्द को अनदेखा कर रही है. बलविंदर सिंह पिछले दिनों ही किसान आंदोलन में शहीद हुए हैं. उनकी मां और भाई पर तिरंगे के अपमान संबधी पुलिस केस दर्ज किया गया है. किसान संगठन तुरंत केस वापस करने की मांग करते हैं. किसान परिवार को हरसंभव सहायता दी जाएगी.