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कम होगी फ्रैक्चर की संभावनाएं मेनोपॉज के दौरान कराए हड्डियों का जांच

महिलाओं में हड्डियों की कमजोरी का पता लगभग 30 साल की उम्र से पहले या फिर रजोनिवृत्ति के दौरान ही लगा लिया जाए तो फ्रैक्चर की समस्या से अवश्य बचा जा सकता है. बोन फ्रेजिलिटी (हड्डियों की कमजोरी) एक बहुत ही गंभीर स्थिति है, जो महिलाओं को बढ़ती उम्र के साथ-साथ प्रभावित करती है. इसके कारण हड्डियों का घनत्व बहुत कम हो जाता है.

वर्तमान में इस रोग की पहचान लगभग 65 वर्ष के आसपास की जाती है और तब तक शरीर पर्याप्त हड्डियों का घनत्व और ताकत पूरी तरह खो चुका होता है.

अमेरिका की मिशिगन यूनिवर्सिटी के प्राध्यापक ने बताया, हड्डियों की कमजोरी को एक बहुत ही गंभीर रोग माना गया है.
शोध के निष्कर्षों से यह भी पता चला कि रजोनिवृत्ति के दौरान कुछ महिलाओं के कूल्हे की हड्डियों की ताकत बढ़ी जबकि कुछ महिलाओं की बहुत ही कम हुई.

जेप्सन ने कहा, इस अध्ययन से पहली बार यह सामने आया है कि हम रजोनिवृत्ति के दौरान निजी तौर पर महिलाओं की हड्डियों में हो रहे परिवर्तनों की पूरी जांच अवश्य कर सकते हैं.

उन्होंने कहा, हड्डियां लगातार खुद की मरम्मत करती रहती हैं लेकिन उम्र के साथ और रजोनिवृत्ति के दौरान हड्डियों की ताकत बहुत ही कम हो जाती है. उन्होंने बताया कि इस शोध ने हमें यह भी समझने में मदद की है कि यह प्रक्रिया किस तरह से महिलाओं के बीच कितनी अलग हो सकती है.

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