सर्दियों में बड़े-बुजुर्गों का सबसे ज्यादा ध्यान इसी बात पर होता है कि बच्चों को ठंड से कैसे बचाया जाए। डॉक्टर भी कहते हैं कि बच्चों को ठंड और हवा से बचाना जरूरी है, लेकिन इस मौसम में बच्चों को साफ-सफाई उपलब्ध करवाने और संक्रमण से दूर रखना भी जरूरी है। यानी आपको भोजन से लेकर साफ-सफाई तक में इस दौरान अलग से सावधानी बरतनी होती है।
इन दिनों , रात बेहद ठंडी हो रही है। विषाणुओं (वाइरस) और जीवाणुओं के फैलने के लिए यह सबसे उपयुक्त समय होता है और बच्चे इनकी चपेट में बेहद आसानी से आ जाते हैं। यही वह समय होता है, जब जुकाम और बुखार से लेकर चेस्ट कंजेशन (सीने में जकड़न) तक के मामले बहुत ज्यादा होते हैं। कफ, खांसी, नाक बहना और नाक जाम हो जाना इस दौरान बहुत सामान्य है। भारत ही नहीं दुनिया भर में बच्चों के डॉक्टरों के पास सबसे ज्यादा इसी तरह के मामले पहुंचते हैं। तभी तो इस मौसम में बच्चों के ऊनी कपड़ों पर ध्यान देना जरूरी है। पर्याप्त ऊनी कपड़े न पहनने पर बच्चे गंभीर शारीरिक समस्याओं से ग्रस्त हो सकते हैं।
कुछ जगहों पर शीतलहर चलने लगी है, ऐसे में जरूरी है कि तेज हवा के झोंकों से बच्चों को बचाया जाए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि तापमान थोड़ा कम होते ही आप उन्हें ताजा हवा और आउटडोर गेम्स से पूरी तरह दूर कर दें।जरूरी है कि बच्चों के शरीर को धूप लगे। इस मौसम में भी बच्चों को कुछ समय के लिए बाहर खेलने की छूट देनी चाहिए। यह भी ध्यान रहे कि खासकर सुबह की धूप शरीर में विटामिन डी की कमी को दूर करती है।
बच्चों को फल और सब्जियां पर्याप्त मात्रा में खिलाएं। कुछ फलों को लेकर लोगों में अनेक भ्रांतियां व्याप्त हैं, मगर यह सोचकर कि ये ठंडी तासीर के होते हैं, बच्चों को इनके फायदे से दूर नहीं करें।इन दिनों अमरूद पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं। इसी तरह आंवला तो खास तौर पर इसी मौसम में होता है और इसे शरीर के लिए अमृत की तरह माना गया है। नियमित रूप से बच्चा अगर एक आंवला खा ले, तो उसकी रोग प्रतिरोधी क्षमता काफी बढ़ सकती है।
अक्सर लोग जाड़े के दिनों में व्यायाम बंद कर देते हैं। इसका बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। जाड़े का मौसम लोगों को आलसी भी बनाता है। इस तरह शरीर पर दोहरा बोझ पड़ जाता है। इसमें संतुलन कायम रखना बहुत जरूरी है। नियमित व्यायाम कर के आप अपने शरीर का रक्त संचार और ऑक्सीजन का स्तर दोनों ठीक रख सकते हैं। यह आपको ठंड से लड़ने में मदद करेगा।
जाड़े में बच्चे के शरीर की साफ-सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है। लेकिन जाड़े के मौसम में भी नियमित स्नान करने की आदत डालें।
लेकिन नहाने का पानी ज्यादा गर्म भी नहीं होना चाहिए। पानी जितना गर्म होगा, शरीर अपना बाहरी तापमान उसी के मुताबिक अनुकूलित कर लेता है। पानी पीना कम नहीं करें। इससे डिहाइड्रेशन होने की आशंका तो होती ही है, होंठ भी बहुत सूखते हैं। पर्याप्त पानी पीकर फटे होठ की समस्या को भी दूर किया जा सकता है।
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