देश के लघु व मध्यम उद्योग धंधों तथा खुदरा व्यापार के लिए कोई ठोस योजना लागू किए बिना आत्मनिर्भर भारत की बात करना बेमानी: राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला

चंडीगढ़, रोहतक, 01 फरवरी: केन्द्र सरकार द्वारा जारी आम बजट में कोरोना काल में बर्बादी की कगार पर पहुंचे देश के लघु व मध्यम उद्योग धंधों तथा खुदरा व्यापार के लिए कोई ठोस योजना लागू किए बिना आत्मनिर्भर भारत की बात करना बेमानी है। ये बात आज राष्ट्रीय जन उद्योग व्यापार संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने आम बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कही।

बुवानीवाला ने कहा कि गिनती के दो-चार पुंजीपतियों को फायदा पहुचाने के लिए केन्द्र सरकार ने देश आर्थिक विकास की रीढ़ माने जाने वाले लघु व मध्यम वर्ग को पूरी तरह से दरकिनार कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि देश का खुदरा व्यापार उम्मीद कर रहा था कि आम बजट में केन्द्र सरकार ई-कम्पनियों पर लगाम लगाएंगी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जो कि निराशाजनक है।

उन्होंने कहा कि बुवानीवाला ने कहा कि उम्मीदों के उलट वित्त मंत्री ने बजट 2021 में आयकर दाताओं को किसी तरह की राहत नहीं देना भी निराशाजनक रहा। उन्होंने कहा कि न तो आयकर की सीमा में छूट का एलान किया, न ही आयकर स्लैब में कोई बदलाव किया। इसके अलावा निवेश करने पर आयकर में मिलने वाली छूट यानी 80 सी के तहत भी सरकार ने कुछ एलान नहीं किया। आर्थिक मंदी के कारण लोगों की क्रय शक्ति और घरेलू मांग कम हो रही है। इस बजट में वृद्धि के बजाय निवेश को बढ़ावा देने के नाम पर कॉरपोरेट्स को अधिक रियायतें दी गई है। बुवानीवाला ने कहा कि अधिक निवेश विकास की गारंटी नहीं देता है क्योंकि उत्पादों के लिए कोई खरीदार नहीं होते हैं। बुवानीवाला ने कहा कि आम बजट लघु व मध्यम उद्योग व व्यापार के साथ आम आदमी की समस्याओं को बढ़ाने वाला है। पेट्रोल, डीजल पर सेस, एफडीआई, रेलवे सहित कई सरकारी कंपनियों को बेचने की तैयारी आम आदमी को बुरी तरह प्रभावित करेंगी और महंगाई की मार से जीवन बेहाल करेगी।

बुवानीवाला ने कहा कि सरकार की योजना भारत की संपत्तियों को चंद पुंजीपतियों को बेचकर बदले में अपना चुनावी प्रबंधन पूरा करने की है। आम जनता से उसका कोई लेना-देना नहीं है। खोखले दावों के खेल से देश का गरीब व मध्यम वर्ग खुद को ठगा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि बजट में न तो गरीब व मध्यम वर्ग की जनता का ध्यान रखा गया है और न हीं लघु व मध्यम उद्योग धंधों, खुदरा व्यापार को बचाने की कोई योजना को लागू किया गया है।

बुवानीवाला ने कहा कि जब पहले से ही पेट्रोल-डीज़ल की कीमतें आसमान छू रही हैं और अपने अब तक की रिकार्ड ऊंचाई पर है सेस लगा दिया है। पेट्रोल पर 4 रुपए और डीजल पर 2.50 रुपए प्रति लीटर कृषि अधिभार यानी ‘एग्रीकल्चरल सेस’ लगाने का एलान कर वित्तमंत्री का ये कहना कि उपभोक्ता पर इसकी मार नहीं पड़ेगी अपने आप में हास्यापद है।

इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन डंग ने बजट को उद्योग जगत व व्यापारियों के लिए खोखला बताते हुए निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि व्यापारी की बहुत सी मांगे थी जिनको बजट में पूरा किए जाने की आशा थी परन्तु व्यापार जगत के लिए बजट निराधार साबित हुआ है।

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