आयुर्वेद में नीम के औषधीय गुणों का बखान मिलता है। आधुनिक विज्ञान भी सेहत, खेती-बाड़ी और पर्यावरण संबंधित समस्याओं के सफल निवारण के लिए नीम को उत्तम बताता है।
आदिवासियों के अनुसार, नीम के पत्ते और मकोय के फ़लों का रस समान मात्रा में लेकर पलकों पर लगाने से आंखों का लालपन दूर हो जाता है।
नीम की निबौलियों को पीसकर रस तैयार कर लिया जाए और इसे बालों पर लगाया जाए तो जूएं मर जाते हैं।
गर्मियों में होने वाली घमौरियों से छुटकारा पाने के लिए नीम की छाल को घिसकर लेप तैयार कर लिया जाए और उन हिस्सों पर लगाया जाए जहाँ घमौरियां और फुंसिया हो, आराम मिल जाता है। पानी में थोड़ी सी नीम की पत्तियां डालकर नहाने से भी घमौरियां दूर हो जाती है।
गले की सूजन दूर करने के लिए नीम की पत्तियां (५ ग्राम), ४ कालीमिर्च, २ लौंग और चुटकी भर नमक को मिलाकर काढ़ा बना कर पीये।
डाँग- गुजरात के आदिवासियों के अनुसार नीम के गुलाबी कोमल पत्तों को चबाकर रस चूसने से मधुमेह रोग मे आराम मिलता है। कुछ आदिवासी नीम की पत्तियों के रस में दालचीनी का चूर्ण मिलाकर मधुमेह के रोगियों को देते हैं।
डाँग में आदिवासी लगभग २०० ग्राम नीम की पत्तियों को २ लीटर पानी में उबाल कर उस पानी को बोतल में छान कर रख लेते है। नहाने के इस नीम के पानी को बाल्टी में डाल दिया जाता है। इस पानी से नहाने से संक्रमण, मुँहासे और शरीर से पुराने दाग- धब्बों से छुटकारा मिलता है।
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