दही से बनने वाला पारंपारिक पेय लस्सी भारत में काफी प्रचलित है। भारत ही नहीं अपितु पूरे दक्षिण एशिया में पेय का लोकप्रिय पेय पदार्थ है। लस्सी, दही को मथ कर एवं पानी मिलाकर बनाया जाता है तथा इसमें ऐच्छिक रूप से तरह तरह के मसाले एवं चीनी या नमक डालकर तैयार किया जाता है। लस्सी एवं छाछ का जिक्र बहुत सी पुरानी लेखनियों में मिलता है। पारंपरिक लस्सी में लोग भुना हुआ जीरा भी स्वाद के लिए मिलाते हैं।
पंजाब की लस्सी में अक्सर लस्सी तैयार करने के बाद ऊपर से मलाई की एक परत डाली जाती है। लस्सी को गर्मी के मौसम में फ्रिज में ठंढा करके या बर्फ डालकर पिया जाता है जिसे अत्यंत स्फूर्ति एवं ताजगीदायक माना गया है।
बदहजमी जैसे रोगों के लिए लस्सी बहुत मुफीद है। लस्सी में काला नमक, पुदीना, जीरा, बुरककर (छिडक़कर) पीने से बदहजमी जैसे रोगों में काफी आराम मिलता है।
मीठी लस्सी का चलन बहुत पुराना नहीं है। अब तो लस्सी में कई तरह की चीजें जैसे गुलाबजल, केसर, नींबू, आम, स्ट्रॉबेरी तथा अन्य फलों के रस इत्यादि मिलाये जाने लगे हैं।
भारत के पंजाब और हरियाणा राज्य में तो काफी प्रचलित और लोकप्रिय पेय पदार्थ है। इन राज्यों में आंगतुकों के आगमन पर लस्सी ही मुख्य रूप से पिलाया जाने वाला पेय पदार्थ है।
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