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जानिए तुलसी का प्रभाव, हमारी संस्कृति और जीवन में

भारत में तुलसी के पौधे का बड़ा महत्व, तुलसी को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हर घर के आंगन में तुलसी का पेड़ लगाया जाता है, जोकि बहुत शुभ माना जाता है।  धार्मिक कार्यक्रम हो, शादी का कार्यक्रम, या कोई मुहूर्त कार्यक्रम सभी जगह तुलसी के पत्ते बहुत मायने रखते है। इसके अलावा तुलसी का पत्ता चिकित्सा दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है। तुलसी के नए पौधे मुख्य रूप से वर्षा ऋतु में उगते है और शीतकाल में फूलते हैं। पौधा सामान्य रूप से दो-तीन वर्षों तक हरा बना रहता है। तुलसी को बहुत पवित्र माना जाता है, मुख्यत: इसकी भी दो प्रजातियां होती हैं।

श्री तुलसी की पत्तियां हरी होती हैं तथा कृष्णा तुलसी जिसकी पत्तियां निलाभ-कुछ बैंगनी रंग लिए होती हैं। श्री तुलसी के पत्र तथा शाखाएं श्वेताभ होते हैं जबकि कृष्ण तुलसी के पत्रादि कृष्ण रंग के होते हैं। गुण, धर्म की दृष्टि से काली तुलसी को ही श्रेष्ठ माना गया है, परन्तु अधिकांश विद्वानों का मत है कि दोनों ही गुणों में समान हैं। तुलसी का पौधा हिंदू धर्म में पवित्र माना जाता है और लोग इसे अपने घर के आंगन या दरवाजे पर या बाग में लगाते हैं।

भारतीय संस्कृति के चिर पुरातन ग्रंथ वेदों में भी तुलसी के गुणों एवं उसकी उपयोगिता का वर्णन मिलता है। इसके अतिरिक्त ऐलोपैथी, होमियोपैथी और यूनानी दवाओं में भी तुलसी का किसी न किसी रूप में प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा घरेलू उपचार में भी तुलसी का पत्ता रामबाण माना जाता है। बुखार, जुकाम, खांसी में तुलसी के पत्ते की चाय बनाकर पीने से बहुत आराम मिलता है।

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