
Bharat Biotech ने आईसीएमआर के सहयोग के साथ विकसित किया था यह टीका
कोरोना के स्वदेशी टीके ‘कोवैक्सीन' (Bharat Biotech Covaxin) को लेकर बहस तेज हो गई है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सरकार से पूछा है कि वह किस वैज्ञानिक आधार पर कह रही है कि भारत बायोटेक का कोविड-19 टीका ‘कोवैक्सीन' कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ कारगर हो सकता है और इसका इस्तेमाल ‘‘बैकअप'' के तौर पर किया जा सकता है. विशेषज्ञों ने सरकार के दावे और टीके की सुरक्षा और प्रभावशीलता के वैज्ञानिक प्रमाण सार्वजनिक करने की मांग की.
देश के औषधि नियामक डीसीजीआई ने रविवार को ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की ‘कोविशील्ड' और स्वदेशी ‘कोवैक्सीन' के आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी थी. हालांकि, ‘कोवैक्सीन' की प्रभावशीलता और सुरक्षा को लेकर पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं हैं.. प्रख्यात वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील ने कहा कि उन्हें विश्वास नहीं है कि अंततः ‘कोवैक्सीन' सुरक्षित साबित होगी और 70 प्रतिशत से अधिक प्रभावशीलता दिखाएगी. उन्होंने टीके को मंजूरी देने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया और जिम्मेदार पदों पर बैठे व्यक्तियों के बयानों पर सवाल उठाए.
ऑल इंडिया ड्रग्स एक्शन नेटवर्क ने भी इस दावे पर सवाल उठाया है कि ‘कोवैक्सीन' वायरस के नए स्ट्रेन के खिलाफ बेहतर काम कर सकता है, जो अधिक संक्रामक है. कांग्रेस नेता आनंद शर्मा, शशि थरूर और जयराम रमेश ने रविवार को टीके को मंजूरी दिये जाने पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा था कि यह ‘‘अपरिपक्व'' है और खतरनाक साबित हो सकता है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक डा. बलराम भार्गव ने रविवार को कहा था कि ‘कोवैक्सीन' में ब्रिटेन में सामने आए वायरस के नए स्ट्रेन सहित अन्य प्रकारों से भी निपटने क्षमता रखता है. यह टीके को मंजूरी दिये जाने का एक प्रमुख आधार है. उन्होंने माना था कि टीके की प्रभाव क्षमता के बारे में कोई स्पष्ट डेटा उपलब्ध नहीं है. एम्स निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि भारत बायोटेक के टीके को केवल आपात स्थितियों में ‘बैकअप' के रूप में मंजूरी दी गई है. अगर मामलों में बढ़ोतरी होती है तो हमें टीके की बड़ी खुराक की जरूरत हो सकती है तो हम भारत बायोटेक के टीके का इस्तेमाल कर सकते हैं. भारत बायोटेक का टीका एक बैकअप अधिक है.''
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)