कृषि कानून: केंद्र सरकार और किसानों नेताओं की बातचीत में अभी भी गतिरोध कायम

Farmers Talks: कृषि कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध कायम है. किसान सितंबर से ही इन कानूनों का विरोध करते हुए आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली की कई सीमाओं पर किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं.

खास बातें

  • तीनों कृषि कानून रद्द करने पर अ‍ड़े हैं किसान
  • केंद्र सरकार की ओर से सुधार की बात की जा रही
  • किसानों को मनाने का प्रयास कर रही सरकार
नई दिल्ली:

कृषि कानूनों के महत्वपूर्ण मुद्दे पर केंद्र सरकार औऱ किसान नेताओं के बीच बातचीत  (Farmers Government Talks) में अभी भी गतिरोध बना हुआ है. सोमवार को दोनों पक्षों के बीच 7वें दौर की वार्ता शुरू हुई. किसान नेता अपनी मांगों पर अडिग है. अभी तक की दो घंटे की बैठक में किसानों की ओर से सिर्फ और सिर्फ तीनों कृषि कानूनों (Farm Law) पर बात की गई. पहले दौर की बातचीत में किसानों की ओर से बार-बार तीनों कृषि कानून को रद्द करने की बात की गई जबकि सरकार की तरफ से सुधार करने की बात की जा रही है. कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर बार-बार किसानों से अपील कर रहे हैं कि आप सुधार पर मान जाइए. लंच के बाद कुछ ही मिनट में बातचीत खत्म हो सकती ह. हालांकि सरकार की तरफ से लगातार किसान नेताओं को मनाने की कोशिश की जा रही है

बातचीत शुरू होने से पहले आंदोलन में मारे गए लोगों के लिए दो मिनट का मौन रखा गया.दिल्ली में भारी बारिश और हाड़ कंपा देने वाली ठंड के बावजूद किसान सिंघु बॉर्डर समेत कई सीमाओं पर मोर्चेबंदी पर डटे हुए हैं. किसानों ने अल्टीमेटम दिया है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी जाती हैं तो वे 6 जनवरी से आंदोलन तेज करेंगे.आखिरी दौर की बैठक में सरकार ने किसानों की दो मांगें मान ली थीं. सरकार ने बिजली संशोधन बिल को वापस लेने और पराली जलाने से रोकने के लिए बने वायु गुणवत्ता आयोग अध्यादेश में बदलाव का भरोसा किसान नेताओं को दिया था. हालांकि कृषि कानूनों पर पेंच फंसा हुआ है. किसान सितंबर से ही इन कानूनों का विरोध करते हुए आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली की कई सीमाओं पर किसान 26 नवंबर से आंदोलन कर रहे हैं.

किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि वह बैठक में सरकार के सामने नया विकल्प नहीं रखेंगे. दरअसल, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पिछली बैठक में किसान संगठनों से अनुरोध किया था कि कृषि सुधार कानूनों के संबंध में अपनी मांग के अन्य विकल्प दें, जिस पर सरकार विचार करेगी. हालांकि, किसान नेताओं ने वार्ता से पहले कहा कि वह बैठक में सरकार के सामने कोई नया विकल्प नहीं रखेंगे. पिछली बैठक में शामिल किसान नेताओं ने कहा था कि सरकार ने संकेत दिया है कि वह कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी. उसने इसे लंबी और जटिल प्रक्रिया बताया था.

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