चंडीगढ़ः प्राचीन कला केन्द्र द्वारा आज यहां पंडित रितेश और रजनीश मिश्रा द्वारा मधुर शास्त्रीय गायन प्रस्तुत किया । इस कार्यक्रम का आयोजन गुरू एम.एल.कौसर सभागार में शाम 4:00 बजे से किया गया । सीमित लाईव दर्शकों के साथ कोविड के नियमों का पालन करते हुए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया । बिना मास्क प्रवेश नहीं और सनैटाईजैशन जैसे नियमों का पालन सख्ताई से किया गया । इस अवसर पर कई गणमान्य संगीत प्रेमी मौजूद थे ।
आज के कलाकार रितेश रजनीश किसी पहचान के मोहताज नहीं । बनारस घराने के महान कलाकारों के सानिध्य में इन दोनों ने संगीत की शिक्षा प्राप्त की । दोनों को संगीत विरासत में मिला है । अपने पिता राजन मिश्रा तथा चाचा साजन मिश्रा के शिष्यत्व में संगीत को नए आयाम देने में दोनों ने अपनी प्रतिभा के दम पर आगे बढ़ रहे हैं । इन्होंने देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी प्रस्तुतियों से कला प्रेमियों के दिलों में जगह बनाई है ।
आज के कार्यक्रम की शुरूआत रितेश,रजनीश मिश्रा ने राग मुल्तानी से की । पारम्परिक आलाप के पश्चात विलम्बित एक ताल की बंदिश ‘‘गोकुल गांव का’’ पेश की उपरांत द्रुत एक ताल की बंदिश ‘‘ आंगन में नंदलाल’’ प्रस्तुत की । कुछ पारम्परिक खूबसूरत बंदिशें भी पेश की गई । जिसे दर्शकों ने खूब सराहा । कार्यक्रम का समापन इन्होंने एक भजन से किया । इनके साथ तबले पर जाने माने तबला वादक दुर्जय भौमिक तथा हारमोनियम पर सधे हुए कलाकार सुमित मिश्रा ने बखूबी संगत की ।
कार्यक्रम में केन्द्र की रजिस्ट्ार डाॅ.शोभा कौसर एवं सचिव श्री सजल कौसर भी उपस्थित थे । कार्यक्रम के अंत में कलाकारों को पुष्प देकर सम्मानित किया गया ।