आजकल के समय में जहां काम का दबाव बहुत ज्यादा रहता हैं वहीं डिप्रेशन भी खूब देखने को मिलता हैं। डिप्रेशन भारत में एक बहुत ही गंभीर समस्या के रूप में सामने आ रहा हैं। जिसमें ये किशोर और युवा पीढ़ी में बहुत ज्यादा देखने को मिलता हैं। WHO के अनुसार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में सर्वाधिक आत्महत्या दर भारत में ही रिपोर्ट की गयी है।
उसने ‘दक्षिण पूर्व एशिया में किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति कार्रवाई का सबूत’ नामक रिपोर्ट जारी की। जो कहती है कि 2012 में भारत में 15-29 साल उम्रवर्ग के प्रति एक लाख व्यक्ति पर आत्महत्या दर 35.5प्रतिशत था। केंद्रित रिपोर्ट के मुताबिक भारत इसकी जनसंख्या 131.11 करोड़ है
जिसमें 7.5 करोड़ किशोर (13-15 साल) हैं और यह कुल जनसंख्या का 5.8 फीसदी है। उनमें 3.98 और 3.57 करोड़ लड़के ,लड़कियां हैं। डब्ल्यूएचओ कि रिपोर्ट के मुताबिक आठ प्रतिशत किशोर चिंता की वजह से बेचैनी के शिकार हैं, वे ठीक से सो नहीं पाते हैं और इतने ही फीसदी किशोर ज्यादातर समय अपने आपको हमेशा अकेलापन महसूस करते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि अवसाद के ये कारण भी हो सकते हैं जैसे ठीक से नींद ना आना, भूख कम लगना, अपराध बोध होना, आत्मविश्वास में कमी होना, थोड़ा काम करते ही ज्यादा थकान महसूस होना और ज्यादातर सुस्ती आना शामिल हैं। इनसे कई तरह की कमी भी देखी जाती हैं जैसे एकाग्रता की कमी और खुदकुशी करने का ख्याल आना भी इसके लक्षण में शामिल हैं।
किशोरों में ये बातें ज्यादा देखने को मिलती हैं क्यों इसी उम्र में सबसे ज्यादा जरूरत होती हैं उन्हें समझने की और ये सब माता-पिता का कर्तव्य होता हैं। क्योंकि इसी वजह से हर साल भारत में ही बड़ी मात्रा में खुदकुशी के मामले सामने आते हैं। जिसका कारण डिप्रेशन ही हेाता हैं।
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