प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को दिखाए काले झंडे, रास्ता भी रोका

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उस वक्त काले झंडे दिखाए, जब उनका काफिला अंबाला शहर से गुजर रहा था.

प्रदर्शनकारी किसानों ने हरियाणा के मुख्यमंत्री को दिखाए काले झंडे, रास्ता भी रोका

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को काले झंडे दिखाए

नई दिल्ली:

केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों के एक समूह ने मंगलवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को उस वक्त काले झंडे दिखाए, जब उनका काफिला अंबाला शहर से गुजर रहा था. हरियाणा की बीजेपी शासित सरकार कहती रही है कि केवल कुछ किसान ही कृष‍ि कानूनों के ख‍िलाफ हैं. हालांकि दिल्ली से लगती सीमा पर किसानों का जमावड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है और उसमें पंजाब से आने वाले किसान भी शामिल हैं.

किसानों ने आज मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर को एस्कॉर्ट कर रहे लंबे काफिले को ब्लॉक करने की कोश‍िश की. बाद में पुलिस ने किसानों को रास्ता देने के लिए राजी किया. विजुअल्स में कई किसानों को काले झंडे और डंडे लहराते देखा जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि बड़ी संख्या में रास्ता रोके किसानों को देखकर मुख्यमंत्री के काफिले को काफी कम करनी पड़ी. 

खट्टर, अंबाला में आगामी निकाय चुनावों में महापौर और पार्षद के प्रत्याशियों के समर्थन में जनसभाओं को संबोधित करने आए थे.

एक दिसंबर को अंबाला के ही एक गांव में किसानों के एक समूह ने केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया को काले झंडे द‍िखाए थे. कटारिया अंबाला से ही सांसद भी हैं.

किसान और सरकार बातचीत में गतिरोध नहीं तोड़ पाए हैं. केंद्र का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है और यहां तक कि कानून के हर हिस्से पर पर चर्चा करने के लिए भी.

हालांकि, किसानों का कहना है कि वो चाहते हैं के‍ कानूनों को पूरी तरह वापस लिया जाए. सितंबर में परित हुए तीनों कृष‍ि कानूनों को केंद्र सरकार कृष‍ि क्षेत्र में हुआ बहुत बड़ा सुधार बता रही है जो कि बिचौलियों को खत्म कर देगा और किसान अपनी फसल देश के किसी भी हिस्से में बेच पाएंगे.

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हालांकि किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त होगा और मंडी व्यवस्था भी खत्म हो जाएगी, और वो बड़ी कंपनियों के रहमोकरम पर हो जाएंगे.

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किसान अब हरियाणा और द‍िल्ली की सीमा पर डटे हैं. उनके और केंद्र सरकार के बीच वार्ता का इंतजार है.