आरे मेट्रो कार शेड को लेकर 'अहंकारी' होने के तंज पर उद्धव ठाकरे ने किया BJP पर पलटवार

बांबे हाईकोर्ट ने कांजुरमार्ग पर मेट्रो कार शेड ( Kanjurmarg Metro car Shed) के निर्माण पर पिछले हफ्ते अस्थायी रोक लगा दी थी. केंद्र ने102 एकड़ की इस जमीन पर मालिकाना हक जताया है.

आरे मेट्रो कार शेड को लेकर 'अहंकारी' होने के तंज पर उद्धव ठाकरे ने किया BJP पर पलटवार

महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे रविवार को राज्य की जनता को संबोधित किया (फाइल) 

मुंबई:

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने आरे मेट्रो कार शेड को लेकर अहंकारी होने के BJP के तंज पर पलटवार किया है. ठाकरे ने रविवार को जनता को संबोधित करते हुए कहा कि बुनियादी ढांचे को लेकर जल्दबाजी में उठाया गया कदम व्यर्थ हो जाता है और यह असल में विकास नहीं रह जाता. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कुछ दिनों पहले ठाकरे की अगुवाई गठबंधन सरकार को आरे मेट्रो कार शेड (Aarey Metro Car Shed) पर अहंकार छोड़कर निर्माण कार्य शुरू करने की सलाह दी थी. कांजुरमार्ग की तरह मुंबई की आरे कालोनी में मेट्रो कार शेड प्रोजेक्ट को लेकर भी काफी विवाद हुआ था.

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महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की सरकार ने सिविल सोसायटी और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के भारी विरोध के बाद आरे से मेट्रो कार शेड परियोजना को कांजुरमार्ग (Kanjurmarg) स्थानांतरित करने का फैसला अक्टूबर में किया था. ठाकरे ने कहा, अगर मुंबई की बेहतरी के लिए उन्हें अहंकारी भी होना पड़े तो वह यह दोष भी अपने सिर लेने को तैयार हैं. ठाकरे ने कहा कि मेट्रो कार शेड के मुद्दे पर उन्हें अहंकारी कहा जा रहा है. हां यह सही है कि मुंबई को लेकर मैं अभिमानी हूं. हमने मेट्रो कार शेड को आरे से कांजुरमार्ग ले जाने का फैसला वन क्षेत्र को बचाने के लिए किया था. पहले कार शेड के लिए पेड़ काटे गए होते और फिर किसी अन्य कार्य के लिए. धीरे-धीरे पूरा वन क्षेत्र वहां से गायब हो जाता.

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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (Maharashtra Chief Minister) ने कहा कि विकास का मतलब यह नहीं है कि कार्य को बेहद तेजी से पूरा कर दिया जाए. जल्दबाजी में पूरे किए गए कार्य नुकसान और बर्बादी का कारण बनते हैं. लेकिन यह मौजूदा और भविष्य की पीढ़ी का सवाल है. आरे में सिर्फ मेट्रो 3 शेड ही संभव था लेकिन कांजुरमार्ग पर मेट्रो 3, 4 और 6 बनाया जा सकता है. वहां परियोजना को और विस्तार देना भी संभव है. अगर हम आरे में निर्माण कार्य करते तो यह सिर्फ 5 साल के लिए ही पर्याप्त होता. कांजुरमार्ग पर यह 50 साल की जरूरतों को पूरा करता है. मालिकाना हक जताने से ज्यादा जरूरी है कि कैसे लोगों को फायदा होगा. विकास के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.