सरकार चाहती है किसानों की आमदनी बढ़े, कृषि कानून पूरी तरह किसानों के हक में: रमन मलिक

गुरुग्राम: राष्ट्र के किसानों की अथक मेहनत से भारत खाद्यान्न सुरक्षा को हासिल कर सका है। हरित क्रांति में पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों का योगदान उल्लेखनीय रहा था। जहां भारत पहले खाद्यान्न की कमी से जूझता था, आज हम सरप्लस फसलों की बिक्री व किसान को उच्च मूल्य प्राप्ति के लिए प्रयासरत हैं। यह बात रविवार को भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रमन मलिक ने कही। उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि किसानों की आमदनी बढ़े, इसके लिए फसलों का विविधीकरण तथा नए बाजारों की उपलब्धता जरूरी है। सरकार का प्रयास है कि कृषि क्षेत्र में एक ऐसा इको सिस्टम बनाया जाए, जहां अच्छी गुणवत्ता के उन्नत बीज, प्रामाणिक खाद उपलब्ध हो, कृषि में आधुनिक तकनीक का उपयोग हो, फसल क्षति को कम किया जाए, फसलोपरांत प्रबंधन के लिए अवसंरचनाओं का निर्माण हो, छोटे एवं लघु किसानों को संगठित किया जाए और बाजार के नये विकल्प उपलब्ध हों।
एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) रहेगा जस का तस |
उन्होंने कहा कि किसान की आर्थिक मदद के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना लागू की गई, संस्थागत ऋण व्यवस्था का सरलीकरण एवं विस्तार किया गया है और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी को लगातार सुदृढ़ किया गया है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में कृषि विभाग का बजट 1,34,399 करोड़ रुपए है, जो वर्ष 2013-14 के बजट का छह गुना है। वर्ष 2015-16 में देश में अनाज का कुल उत्पादन 251.54 मिलियन टन था, जो 2019-20 में बढ़कर 296.65 मिलियन टन हो गया है, जो कि एक रिकार्ड है। ऐसे में किसानों को समय पर उचित मूल्य पर खाद-बीज व खरपतवार मिलने का परिणाम है।
मलिक ने कहा कि अवसंरचना निर्माण के लिए एक लाख करोड़ रुपए के कृषि अवसंरचना कोष की स्थापना की गई है, जिसके अंतर्गत फसलोपरांत प्रबंधन अवसंरचना (पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर) जैसे कि भंडारगृह, कोल्ड स्टोर, सॊर्टिंग, ग्रेडिंग एवं पैकेजिंग इकाई, ग्रामीण विपणन प्लेटफार्म, ई-मार्केटिंग इकाई इत्यादि हेतु संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं, अब तक 3064 परियोजनाओं में 1565 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है।
मुद्दों के समाधान के लिए सरकार ने किए बार-बार प्रयास |
रमन मलिक ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न तिथियों 14 अक्टूबर, 13 नवम्बर, 1 दिसम्बर, 3 दिसम्बर एवं 5 दिसम्बर को बिना किसी पूर्वाग्रह के और खुले मन से पूरी संवेदना के साथ किसान संगठनों द्वारा समर्पित मेमोरेंडम में उल्लिखित तथा चर्चा के दौरान उभरकर आए मुद्दों के समाधान का प्रयास किया गया है। गत 3 दिसम्बर को किसान संगठनों से चर्चा के उपरान्त मुद्दों को चिन्हित किया गया और केंद्र सरकार द्वारा उन पर चर्चा और हल का प्रयास किया गया।
 कृषि सुधार कानूनों की संवैधानिक वैधता, एपीएमसी मंडियों का सशक्त रहना, निजी मंडियों का वर्चस्व न होना, व्यापारियों के पंजीकरण की व्यवस्था, कृषि अनुबंधों का पंजीकरण, विवाद समाधान हेतु सिविल न्यायालय का विकल्प, किसान की भूमि सुरक्षित, एमएसपी पर खरीद व्यवस्था, बिजली संशोधन विधेयक में किसानों की चिंता का समाधान, पराली के जलाने पर आपराधिक कार्रवाई से संबंधित किसान संगठनों की आशंकाओं के समाधान और कानूनी पहलुओं की स्पष्टता के लिए केंद्र सरकार द्वारा पहल की गई है।

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