नींद सही तरीके से पूरी नहीं होना इस बात का गंभीर संकेत हो सकता है कि अन्य तरीके से स्वस्थ्य रहने वाले व्यक्ति को अल्जाइमर की गंभीर बीमारी होने का खतरा भी हो सकता है। यह जानकारी एक ताजा अध्ययन में सामने आयी है।
अनुसंधानकर्ताओं को नींद की समस्याओं और रीढ़ की हड्डी के तरल द्रव में पाये जाने वाले अल्जाइमर रोग के जैविक संकेतक मार्कर के बीच एक जबरदस्त कड़ी नजर आई।
अमेरिका में विस्कॉन्सिन-मैडिसन की प्रोफेसर ने बताया, पूर्व में मिले साक्ष्य दर्शाते हैं कि नींद कई तरह से अल्जाइमर रोग के पनपने या विकसित होने का गंभीर कारण बन सकती है।
उन्होंने बताया, उदाहरण के तौर पर, नींद नहीं आने या नींद में कमी के कारण एमीलोयड पट्टिका का निर्माण भी होने लगता है क्योंकि सोने के दौरान मस्तिष्क की निकासी प्रणाली काम करना भी स्टार्ट करती है। हमारे अध्ययन में ना केवल एमीलोयड पर नजर रखी गयी बल्कि रीढ़ की हड्डी में तरल द्रव में अन्य जैविक मार्कर की भी पूरी पड़ताल की गयी। एमीलोयड एक प्रोटीन है । टाउ एक प्रोटीन है जो उलझ जाता है।
शोधकर्ताओं ने लगभग 101 लोगों पर अध्ययन किया जिनकी औसत उम्र 63 वर्ष थी। इन लोगों की सोच सामान्य और याद्दाश्त विल्कुल सही थे। यह अध्ययन न्यूरोलॉजी पत्रिका में प्रकाति हुआ है।
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