आयरन को एक बहुत ही महत्वपूर्ण खनिज पदार्थ माना जाता है। इसका सबसे मुख्य कार्य खून के प्रमुख घटक लाल रक्त कणों का पूर्ण निर्माण करना होता है। इतना ही नहीं हीमोग्लोबिन के निर्माण का कार्य भी आयरन ही करता है, जो शरीर के अंग-प्रत्यंगों को पूरी तरह सुडौल बनाकर, शरीर को स्वस्थ बनाकर ऑक्सीजन को पूरे शरीर में, खासकर फेफड़ों तक पहुंचाने में बहुत ज्यादा सहायता करता है।
शरीर में आयरन की कमी या आयरन की अधिकता भी गंभीर समस्याएं खड़ी कर सकती है। लेकिन इसकी अधिक मात्रा से बहुत ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है। आपको बता दे की ऐसे अनेक खान पान हैं जिनमे आयरन के प्रमुख स्रोत होते हैं, जैसे की रेड मीट,ट्यूना और सालमन मछली, अंडे, बीन्स, सेके हुए आलू, छिलके के साथ सूखे हुए मेवे पालक एवं पालक की तरह हरी और पत्तेदार सब्जियां आदि।
गर्भवती महिलाओं को आयरन की रोज़ 27 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है। 18 से 50 वर्ष की आयु वाली महिलाओं को 18 मिलीग्राम आयरन के सेवन की सलाह दी जाती है, जबकि 50 वर्ष से ऊपर की आयु के पुरुष और महिलाओं को 8 मिलीग्राम आयरन की आवश्यकता होती है। आयरन की अधिकता अनुवांशिक समस्याओं को जन्म देती है जिससे शरीर के अंगों पर बुरा असर पड़ता है और जो लीवर के कैंसर का कारण बन सकता है।
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